होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिसमे हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ रंगों से, मिष्ठानो से, भजनों से जाति बंधन से परे संदेश देते हैं। होली में रंगों का प्रयोग जितना आवश्यक है उतना ही आवश्यक भजनों का गाया जाना भी है। भजनों में रसिया, ठुमरी एवं राग गाये जाते हैं, इन सभी प्रकार के भजनों को होली के दौरान गायन के कारण, होरी गायन भी कहते हैं।
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श्री डिग्गी वाले बाबा देव निराले, तेरी महिमा अपरम्पार है, रामधुन गाए सिंदूर सजाये, चहूं ओर तेरी जय जयकार है,
श्री डिग्गी वालें बाबा देव निराले, तेरी महिमा अपरम्पार है ॥