
कुछ पंडितों ने एक औरत को कहा - घर में तू विष्णु जी की फोटो रख ले और रोटी खाने से पहले उनके आगे रोटी की थाली रखना कर कहना है विष्णु अर्पण..
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राजधर्म और तपस्या का फर्क - प्रेरक कहानी
सम्राट भरत, जिनके बारे में कहा जाता है कि उनके नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा, वे बड़े प्रतापी और सुयोग्य शासक थे। राजा भरत शासन करते हुए भी कठोर तपस्या किया करते थे...
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चाँदी के पात्र का सही मूल्य क्या? - प्रेरक कहानी
बहुत समय पहले की बात है। किसी गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था। उसके दो बेटे थे..
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बुजुर्गों का अनुभव हमें हर पल सिखाता है - प्रेरक कहानी
युवा युगल उन वरिष्ठ युगल से बहुत अधिक लगाव रखते थे, और उन्हें दादा दादी की तरह सम्मान देते थे..
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अगर तुम तीन बार राम नाम का जाप करते हो तो यह सम्पूर्ण विष्णु सहस्त्रनाम या १००० बार ईश्वर के नाम का जाप करने के बराबर है।
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भगवान की कृपा से ही सब मिलता है - प्रेरक कहानी
एक राजा था, वह जब पूजा के लिए मंदिर जाता, तो 2 भिखारी उसके दाएं और बाएं बैठा करते।..
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बुढ़िया माई को मुक्ति दी - तुलसी माता की कहानी
कार्तिक महीने में एक बुढ़िया माई तुलसीजी को सींचती और कहती कि: हे तुलसी माता! सत की दाता मैं तेरा बिडला सीचती हूँ..
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भरे हुए में राम को स्थान कहाँ? - प्रेरक कहानी
लोभ, लालच, ईर्ष्या, द्वेष और भली-बुरी बातों से जब दिल-दिमाग भरा रहेगा तो उसमें ईश्वर का वास कैसे होगा?
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मानव सेवा में गोल्ड मेडेलिस्ट - प्रेरक कहानी
वासु भाई और वीणा बेन गुजरात के एक शहर में रहते हैं। आज दोनों यात्रा की तैयारी कर रहे थे।..
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तोटकाचार्य कैसे बने शंकराचार्य के प्रिय शिष्य - सत्य कथा
वहाँ अवाक् बैठे सभी शिष्य तब और ज्यादा अवाक् हो गए जब उन्होंने देखा कि गुरु शंकराचार्य ने गिरी को आदेश देते हुए कहा कि आज उनकी जगह पर गिरी ब्रह्मसूत्र पर शंकराचार्य के मन्तव्य को समझाएंगे।
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क्या भोग लगाना पाखंड है? - प्रेरक कहानी
1) उसमें से भगवान क्या खाते हैं? 2) क्या पीते हैं? 3) क्या हमारे चढ़ाए हुए पदार्थ के रुप रंग स्वाद या मात्रा में कोई परिवर्तन होता है?
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श्री गणेश एवं बुढ़िया माई की कहानी
एक बुढ़िया माई थी। मिट्टी के गणेश जी की पूजा करती थी। रोज बनाए रोज गल जाए। एक सेठ का मकान बन रहा था..
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भक्तमाल सुमेरु तुलसीदास जी - सत्य कथा
भक्तमाल सुमेरु श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज| वृंदावन में भंडारा | संत चरण रज ही नहीं अपितु पवित्र व्रजरज इस जूती पर लगी है | हां ! संत समाज में दास को इसी नाम से जाना जाता है..
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गोस्वामी तुलसीदास द्वारा जगन्नाथ जी दर्शन - सत्य कथा
जगन्नाथ जी का दर्शन | जगन्नाथ जी ने आपके लिए प्रसाद भेजा है | मेरे मंदिर के चारों द्वारों पर हनुमान का पहरा है | वह स्थान तुलसी चौरा नाम से विख्यात हुआ..
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तुलसीदास जी द्वारा श्री रामचरितमानस की रचना - सत्य कथा
दो वर्ष सात महीने छब्बीस दिन मे श्रीरामचरित मानस की रचना समाप्त हुई। संवत् १६३३ मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष में रामविवाह के दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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