पितृ पक्ष - Pitru Paksha

बल प्रयोग अंतिम विकल्प - प्रेरक कहानी (Bal Prayog Antim Vikalp)


Add To Favorites Change Font Size
एक चिड़िया का एक दाना पेड़ के कंदरे में कहीं फंस गया था। चिड़िया ने पेड़ से बहुत अनुरोध किया उस दाने को दे देने के लिए लेकिन पेड़ उस छोटी सी चिड़िया की बात भला कहां सुनने वाला था...
हार कर चिड़िया बढ़ई के पास गई और उसने उससे अनुरोध किया कि तुम उस पेड़ को काट दो, क्योंकि वो उसका दाना नहीं दे रहा...

भला एक दाने के लिए बढ़ई पेड़ कहां काटने वाला था..फिर चिड़िया राजा के पास गई और उसने राजा से कहा कि तुम बढ़ई को सजा दो क्योंकि बढ़ई पेड़ नहीं काट रहा और पेड़ दाना नहीं दे रहा...

राजा ने उस नन्हीं चिड़िया को डांट कर भगा दिया कि कहां एक दाने के लिए वो उस तक पहुंच गई है। चिड़िया हार नहीं मानने वाली थी...

वो महावत के पास गई कि अगली बार राजा जब हाथी की पीठ पर बैठेगा तो तुम उसे गिरा देना,क्योंकि राजा बढ़ई को सजा नहीं देता..बढ़ई पेड़ नहीं काटता...पेड़ उसका दाना नहीं देता..महावत ने भी चिड़िया को डपट कर भगा दिया...

चिड़िया फिर हाथी के पास गई और उसने अपने अनुरोध को दुहराया कि अगली बार जब महावत तुम्हारी पीठ पर बैठे तो तुम उसे गिरा देना क्योंकि वो राजा को गिराने को तैयार नहीं...

राजा बढ़ई को सजा देने को तैयार नहीं...बढ़ई पेड़ काटने को तैयार नहीं...पेड़ दाना देने को राजी नहीं...हाथी बिगड़ गया...उसने कहा, ऐ छोटी चिड़िया..तू इतनी सी बात के लिए मुझे महावत और राजा को गिराने की बात सोच भी कैसे रही है?

चिड़िया आखिर में चींटी के पास गई और वही अनुरोध दोहराकर कहा कि तुम हाथी की सूंढ़ में घुस जाओ...चींटी ने चिड़िया से कहा, "चल भाग यहां से...बड़ी आई हाथी की सूंढ़ में घुसने को बोलने वाली

अब तक अनुरोध की मुद्रा में रही चिड़िया ने रौद्र रूप धारण कर लिया...उसने कहा कि "मैं चाहे पेड़, बढ़ई, राजा, महावत, और हाथी का कुछ न बिगाड़ पाऊं...पर तुझे तो अपनी चोंच में डाल कर खा ही सकती हूँ...

चींटी डर गई...भाग कर वो हाथी के पास गई...हाथी भागता हुआ महावत के पास पहुंचा...महावत राजा के पास कि महाराज चिड़िया का काम कर दीजिए नहीं तो मैं आपको गिरा दूंगा....राजा ने फौरन बढ़ई को बुलाया उससे कहा कि पेड़ काट दो नहीं तो सजा दूंगा...बढ़ई पेड़ के पास पहुंचा...बढ़ई को देखते ही पेड़ बिलबिला उठा कि मुझे मत काटो.मैं चिड़िया को दाना लौटा दूंगा...!!अंत मे चिड़िया ने अपना दाना पेड़ से प्राप्त कर लिया और वो खुशी खुशी अपने घोंसले में चली गयी।

??शिक्षा??

आपको अपनी ताकत को पहचानना होगा...आपको पहचानना होगा कि भले आप छोटी सी चिड़िया की तरह होंगे, लेकिन ताकत की कड़ियां कहीं न कहीं आपसे होकर गुजरती होंगी...हर शेर को सवा शेर मिल सकता है, बशर्ते आप अपनी लड़ाई से घबराएं नहीं...

आप अगर किसी काम के पीछे पड़ जाएंगे तो वो काम होकर रहेगा विश्वास कीजिए। हर ताकत के आगे एक और ताकत होती है और अंत में सबसे ताकतवर आप होते हैं। हिम्मत, लगन और पक्का इरादा ही हमारी ताकत की बुनियाद है..!
यह भी जानें

Prerak-kahani Chidiya Prerak-kahaniHathi Prerak-kahaniElephant Prerak-kahaniGauriya Prerak-kahaniSparrow Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

मैं मरूंगा ही नहीं तो चूड़ियां फोड़ेगी कैसे - सत्य कथा

शारदा उनकी पत्नी रोने लगी तो रामकृष्ण ने आंखें खोलीं और कहा कि चुप, किसलिए रोती है? मैं न कहीं गया, न कहीं आया, मैं जहां हूं वहीं रहूंगा। तो शारदा ने पूछा, तुम्हारी देह के चले जाने के बाद मेरी चूड़ियों का क्या करना?

तुलसीदास जी द्वारा भगवान् श्रीराम, लक्ष्मण दर्शन - सत्य कथा

चित्रकूटके घाट पर, भइ संतन की भीर । तुलसिदास चंदन घिसें, तिलक देन रघुबीर ॥..

तुलसीदास जी रचित श्री रामचरितमानस के प्रथम श्रोता - सत्य कथा

श्री रामचरितमानस के प्रथम श्रोता संत: मनुष्यों में सबसे प्रथम यह ग्रन्थ सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ मिथिला के परम संत श्रीरूपारुण स्वामीजी महाराज को।

तुलसीदास जी द्वारा ब्राह्मण को जीवन दान - सत्य कथा

ब्राह्मण की मृत्यु हो गयी, उसकी पत्नी उसके साथ सती होने के लिए जा रही थी। गोस्वामी श्री तुलसीदास जी अपनी कुटी के द्वार पर बैठे हुए भजन कर रहे थे।

भगवान कहाँ रहते हैं? - प्रेरक कहानी

एक ब्राह्मण था, वह घरों पर जाकर पूजा पाठ कर अपना जीवन यापन किया करता था। एक बार उस ब्राह्मण को नगर के राजा के महल से पूजा के लिये बुलावा आया।

कर्म कैसे फल देता है? - प्रेरक कहानी

ज्योतिष कहता है कि मनुष्य अपने ही कर्मो का फल पाता है। कर्म कैसे फल देता है? यह इस प्रसंग से समझे..

वृंदावन के वृक्ष को मर्म न जाने कोय - प्रेरक कहानी

क्येांकि संत को वो वृदांवन दिखता है जो साक्षात गौलोंक धाम का खंड है। हमें साधारण वृदांवन दिखता है।...

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Ganesh Aarti Bhajan - Ganesh Aarti Bhajan
Bhakti Bharat APP