Download Bhakti Bharat APP

परमात्मा! जीवन यात्रा के दौरान हमारे साथ हैं - प्रेरक कहानी (Parmatma! Jeevan Yatra Ke Dauran Hamare Sath Hain)


परमात्मा! जीवन यात्रा के दौरान हमारे साथ हैं - प्रेरक कहानी
Add To Favorites Change Font Size
प्रतिवर्ष माता पिता अपने पुत्र को गर्मी की छुट्टियों में उसके दादा-दादी के घर ले जाते । 10-20 दिन सब वहीं रहते और फिर लौट आते। ऐसा प्रतिवर्ष चलता रहा, कुछ वर्षों के पश्चात बालक थोड़ा बड़ा हो गया।
एक दिन उसने अपने माता-पिता से कहा कि अब मैं अकेला भी दादी के घर जा सकता हूँ तो आप मुझे अकेले को दादी के घर जाने दो। माता-पिता पहले तो राजी नहीं हुए। परंतु बालक ने जब जोर दिया तो उसको सारी सावधानी समझाते हुए अनुमति दे दी।

जाने का दिन निकट आया, माता-पिता बालक को छोड़ने स्टेशन पर गए। ट्रेन में उसको उसकी सीट पर बिठाया। फिर बाहर आकर खिड़की में से उससे बात की। उसको यात्रा के दौरान की सारी सावधानियाँ एक बार फिर से समझाई

बालक ने कहा कि मुझे सब याद है, आप चिंता मत करो।
ट्रेन को सिग्नल मिला, व्हीसिल लगी, तब पिता ने एक लिफाफा पुत्र को दिया कि बेटा अगर रास्ते में तुझे डर लगे तो यह लिफाफा खोल कर इसमें जो लिखा उसको पढ़ लेना, बालक ने पत्र जेब में रख लिया।

माता पिता ने हाथ हिलाकर विदा किया, ट्रैन चलती रही। हर स्टेशन पर लोग आते रहे पुराने उतरते रहे। सबके साथ कोई न कोई था। अब बालक को अकेलापन लगा।

ट्रेन में अगले स्टेशन पर ऐसी शख्सियत आई जिसका चेहरा दिखाने में भयानक था। पहली बार बिना माता-पिता के, बिना किसी सहयोगी के, यात्रा कर रहा था।

उसने अपनी आंखें बंद कर सोने का प्रयास किया, परंतु बार-बार वह चेहरा उसकी आंखों के सामने घूमने लगा। बालक भयभीत हो गया, और रोने के स्थिति में आगया।

तब उसको पिता की चिट्ठी याद आई, उसने जेब में हाथ डाला, हाथ कांप रहा था। पत्र निकाला, लिफाफा खोला, और पढ़ने लगा: पिता ने लिखा था तू डर मत बेटा, मैं पास वाले कंपार्टमेंट में ही इसी गाड़ी में बैठा हूँ।

बालक का चेहरा खिल उठा। सब डर छूमंतर हो गया। जीवन भी ऐसा ही है! जब भगवान ने हमको इस दुनिया में भेजा उस समय उन्होंने हमको भी एक पत्र दिया था, जिसमें लिखा था, उदास मत होना, मैं हर पल, हर क्षण, हर जगह तुम्हारे साथ हूँ। पूरी यात्रा तुम्हारे साथ करता हूँ, केवल तुम मुझे स्मरण रखते रहो। सच्चे मन से याद करना, मैं एक पल में तुम्हारे सामने ही होऊँगा।

इसलिए चिंता नहीं करना। घबराना नहीं। हताश नहीं होना। कहा जाता है कि,
चिंता कोपि न कार्या
चिंता करने से मानसिक और शारीरिक दोनों स्वास्थ्य प्रभावित होते हैं। परमात्मा पर, प्रभु पर, अपने इष्ट पर, हर क्षण विश्वास रखें। हमारी पूरी जीवन यात्रा के दौरान, वह हमेशा हमारे साथ हैं।
यह भी जानें

Prerak-kahani Parents Prerak-kahaniMata-Pita Prerak-kahaniMother-Father Prerak-kahaniTrain Prerak-kahaniDada-Dadi Prerak-kahaniGrand Father Prerak-kahaniChuttiyan Prerak-kahaniSummer VacationKarm Prerak-kahaniVillage Prerak-kahaniGaon Prerak-kahaniKisan Prerak-kahaniFarmer Prerak-kahaniDoctor Prerak-kahaniVaiddh Prerak-kahaniShadi Prerak-kahaniPutra Pita Prerak-kahaniSon Father Prerak-kahaniFathers Day Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

परमात्मा! जीवन यात्रा के दौरान हमारे साथ हैं - प्रेरक कहानी

प्रतिवर्ष माता पिता अपने पुत्र को गर्मी की छुट्टियों में उसके दादा-दादी के घर ले जाते । 10-20 दिन सब वहीं रहते और फिर लौट आते।..

ह्रदय से जो जाओगे सबल समझूंगा तोहे: सूरदास जी की सत्य कथा

हाथ छुड़ाए जात हो, निवल जान के मोये । मन से जब तुम जाओगे, तब प्रवल माने हौ तोये । - सूरदास जी

कर्म-योग क्या है? - प्रेरक कहानी

एक बार एक बालक रमन महर्षि के पास आया! उन्हे प्रणाम कर उसने अपनी जिज्ञासा उनके समक्ष रखी! वह बोला- क्या आप मुझे बता सकते है कि कर्म-योग क्या है?...

क्या कठिन परिस्थितियों या हालातों पर रोना चाहिए?

जब चिड़िया ने लगाई गरुड़ जी से दौड़ : एक दिन की बात है एक चिड़िया आकाश में अपनी उड़ान भर रही होती है। गरुड़ उस चिड़िया को खाने को दौड़ता है..

जो तुम करोगे, वही तुम्हारे साथ रहेगा - प्रेरक कहानी

एक औरत अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोज़ाना भोजन पकाती थी और एक रोटी वह वहाँ से गुजरने वाले किसी भी भूखे के लिए पकाती थी। वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी, जिसे कोई भी ले सकता था।

प्रेरक कहानी: एक सत्संग ऐसी भी

सत्संग में भी हम सिर्फ उन बातों को पसंद करते है जिसमे हमारा स्वार्थ सिद्ध होता हैं। जबकि सत्संग जाकर हमें सत्य...

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Bhakti Bharat APP