Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel
Hanuman Chalisa - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Hanuman Chalisa - Shiv Chalisa -

शीतला अष्टमी(बसौड़ा) व्रत कथा (Sheetala Ashtami / Basoda Vrat Katha)


शीतला अष्टमी(बसौड़ा) व्रत कथा
Add To Favorites Change Font Size
श्री गणेशाय नमः !
एक बार शीतला माता ने सोचा कि चलो आज देखूं कि धरती पर मेरी पूजा कौन करता है, कौन मुझे मानता है। यही सोचकर शीतला माता धरती पर राजस्थान के डुंगरी गाँव में आईं और देखा कि इस गाँव में मेरा मंदिर नहीं है, और ना ही मेरी पूजा होती है।
माता शीतला गाँव की गलियों में घूम रही थी, तभी एक मकान के ऊपर से किसी ने चावल का उबला पानी (मांड) नीचे फेंका। वह उबलता पानी शीतला माता के ऊपर गिरा जिससे शीतला माता के शरीर में फफोले/छाले पड गये। शीतला माता के पूरे शरीर में जलन होने लगी।

शीतला माता गाँव में इधर-उधर भाग-भाग के चिल्लाने लगी अरे में जल गई, मेरा शरीर तप रहा है, जल रहा है। कोई मेरी सहायता करो। लेकिन उस गाँव में किसी ने शीतला माता की सहायता नही की। वहीं अपने घर के बाहर एक कुम्हारन महिला बैठी थी। उस कुम्हारन ने देखा कि अरे यह बूढी माई तो बहुत जल गई है। इसके पूरे शरीर में तपन है। इसके पूरे शरीर में फफोले पड़ गये है। यह तपन सहन नहीं कर पा रही है।

तब उस कुम्हारन ने कहा हे माँ! तू यहाँ आकार बैठ जा, मैं तेरे शरीर के ऊपर ठंडा पानी डालती हूँ। कुम्हारन ने उस बूढी माई पर खूब ठंडा पानी डाला और बोली हे माँ! मेरे घर में रात की बनी हुई राबड़ी रखी है थोड़ा दही भी है। तू दही-राबड़ी खा लें। जब बूढी माई ने ठंडी ज्वार के आटे की राबड़ी और दही खाया तो उसके शरीर को ठंडक मिली।

तब उस कुम्हारन ने कहा - आ माँ बैठजा तेरे सिर के बाल बहुत बिखरे हैं, ला मैं तेरी चोटी गूँथ देती हूँ।
और कुम्हारन माई की चोटी गूथने हेतु कंगी बालो में करती रही। अचानक कुम्हारन की नजर उस बूढ़ी माई के सिर के पीछे पड़ी, तो कुम्हारन ने देखा कि एक आँख बालों के अंदर छुपी है।
यह देखकर वह कुम्हारन डर के मारे घबराकर भागने लगी तभी उस बूढ़ी माई ने कहा - रुकजा बेटी तू डर मत। मैं कोई भूत-प्रेत नही हूँ। मैं शीतला देवी हूँ मैं तो इस घरती पर देखने आई थी कि मुझे कौन मानता है। कौन मेरी पूजा करता है। इतना कहकर माता चारभुजा वाली हीरे जवाहरात के आभूषण पहने सिर पर स्वर्णमुकुट धारण किये अपने असली रुप में प्रगट हो गई।

माता के दर्शन कर कुम्हारन सोचने लगी कि अब मैं गरीब इन माता को कहाँ बिठाऊ।
तब माता बोली - हे बेटी! तुम किस सोच मे पड गई।
तब उस कुम्हारन ने हाथ जोड़कर आँखो में आँसू बहते हुए कहा - हे माँ! मेरे घर में तो चारो तरफ दरिद्रता बिखरी हुई है। मैं आपको कहाँ बिठाऊ। मेरे घर में ना तो चौकी है, ना बैठने का आसन ही।

तब शीतला माता प्रसन्न होकर उस कुम्हारन के घर पर खड़े हुए गधे पर बैठ कर एक हाथ में झाड़ू दूसरे हाथ में डलिया लेकर उस कुम्हारन के घर की दरिद्रता को झाड़कर डलिया में भरकर फैंक दिया।
और उस कुम्हारन से कहा - हे बेटी! मैं तेरी सच्ची भक्ति से प्रसन्न हूँ, अब तुझे जो भी चाहिये मुझसे वरदान मांग लो।

तब कुम्हारन ने हाथ जोड़ कर कहा - हे माता मेरी इच्छा है अब आप इसी डुंगरी गाँव मे स्थापित होकर यहीं निवास करें और जिस प्रकार आपने मेरे घर की दरिद्रता को अपनी झाड़ू से साफ कर दिया। ऐसे ही आपको जो भी भक्त होली के बाद की सप्तमी को भक्ति-भाव से पूजा कर, अष्टमी के दिन आपको ठंडा जल, दही व बासी ठंडा भोजन चढ़ाये उसके घर की दरिद्रता को दूर करना एवं आपकी पूजा करने वाली महिला का अखंड सुहाग रखना, उसकी गोद हमेशा भरी रखना। साथ ही जो पुरुष शीतला अष्टमी को नाई के यहाँ बाल ना कटवाये धोबी को कपड़े धुलने ना दें और पुरुष भी आप पर ठंडा जल चढ़ाकर, नरियल फूल चढ़ाकर परिवार सहित ठंडा बासी भोजन करे उसके काम धंधे व्यापार मे कभी दरिद्रता ना आये।

तब माता बोलीं तथास्तु! हे बेटी! जो तूने वरदान मांगे हैं मैं सब तुझे देती हूँ। हे बेटी! तुझे आर्शिवाद देती हूँ कि मेरी पूजा का मुख्य अधिकार इस धरती पर सिर्फ कुम्हार जाति का ही होगा। तभी उसी दिन से डुंगरी गाँव में शीतला माता स्थापित हो गई और उस गाँव का नाम हो गया शील की डुंगरी

शील की डुंगरी भारत का एक मात्र मुख्य मंदिर है। शीतला सप्तमी के दिन यहाँ बहुत विशाल मेला लगता है।
शीतला माता की जय!
श्री गणेश आरती | शीतला माता आरती | श्री शीतलाष्टक स्तोत्र
यह भी जानें

Katha Sheetala Ashtami KathaVrat KathaSheetala Mata KathaBasoda KathaBasoda Vrat Katha

अगर आपको यह कथाएँ पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस कथाएँ को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

सोमवार व्रत कथा

किसी नगर में एक धनी व्यापारी रहता था। दूर-दूर तक उसका व्यापार फैला हुआ था। नगर के सभी लोग उस व्यापारी का सम्मान करते थे..

नर्मदेश्वर शिवलिंग बने की पौराणिक कथा

नर्मदेश्वर शिवलिंग कैसे बनते हैं और कहाँ मिलते हैं, इस सवाल के जबाब के लिए यह पौराणिक कथा बिल्कुल उपयुक्त है। नर्मदा का प्रत्येक पत्थर शिवलिंग..

श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा

दारूका नाम की एक प्रसिद्ध राक्षसी थी, जो पार्वती जी से वरदान प्राप्त कर अहंकार में चूर रहती थी। उसका पति दरुका महान् बलशाली राक्षस था।...

वैशाख संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

एक बार पार्वती जी ने गणेशजी से पूछा कि वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की जो संकटा नामक चतुर्थी कही गई है, उस दिन कौन से गणेश का किस विधि से पूजन करना चाहिए एवं उस दिन भोजन में क्या ग्रहण करना चाहिए?

रोहिणी शकट भेदन, दशरथ रचित शनि स्तोत्र कथा

प्राचीन काल में दशरथ नामक प्रसिद्ध चक्रवती राजा हुए थे। राजा के कार्य से राज्य की प्रजा सुखी जीवन यापन कर रही थी...

शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा

संतोषी माता व्रत कथा | सातवें बेटे का परदेश जाना | परदेश मे नौकरी | पति की अनुपस्थिति में अत्याचार | संतोषी माता का व्रत | संतोषी माता व्रत विधि | माँ संतोषी का दर्शन | शुक्रवार व्रत में भूल | माँ संतोषी से माँगी माफी | शुक्रवार व्रत का उद्यापन

अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा | बृहस्पतिदेव की कथा

भारतवर्ष में एक राजा राज्य करता था वह बड़ा प्रतापी और दानी था। वह नित्य गरीबों और ब्राह्‌मणों...

Hanuman Chalisa -
Ram Bhajan -
×
Bhakti Bharat APP