ब्रह्मन्! स्वराष्ट्र में हों, द्विज ब्रह्म तेजधारी (Brahman Swarastra Mein Hon)


वैदिक काल से राष्ट्र या देश के लिए गाई जाने वाली राष्ट्रोत्थान प्रार्थना है। इस काव्य को वैदिक राष्ट्रगान भी कहा जा सकता है। भक्ति भारत के अनुसार, आज भी यह प्रार्थना भारत के विभिन्न गुरुकुलों व स्कूल मे गाई जाती है। आर्य जनता इंटर कालेज, पैगू की यह प्रातः कालीन वंदना है।
यह मूल रूप से यजुर्वेद के संस्कृत श्लोक का हिन्दी रूपांतरण है।
ब्रह्मन्! स्वराष्ट्र में हों,
द्विज ब्रह्म तेजधारी ।
क्षत्रिय महारथी हों,
अरिदल विनाशकारी ॥

होवें दुधारू गौएँ,
पशु अश्व आशुवाही ।
आधार राष्ट्र की हों,
नारी सुभग सदा ही ॥

बलवान सभ्य योद्धा,
यजमान पुत्र होवें ।
इच्छानुसार वर्षें,
पर्जन्य ताप धोवें ॥

फल-फूल से लदी हों,
औषध अमोघ BhaktiBharat Lyrics सारी ।
हों योग-क्षेमकारी,
स्वाधीनता हमारी ॥

संस्कृत श्लोक:
ओ३म् आ ब्रह्मन् ब्राह्मणों ब्रह्मवर्चसी जायतामाराष्ट्रे राजन्यः शूरऽइषव्योऽतिव्याधी महारथो जायतां दोग्ध्री धेनुर्वोढ़ाऽनड्वानाशुः सप्तिः पुरन्धिर्योषा जिष्णू रथेष्ठाः सभेयो युवास्य यजमानस्य वीरो जायतां निकामे-निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो नऽओषधयः पच्यन्तां योगक्षेमो नः कल्पताम्॥
- यजुर्वेद २२, मन्त्र २२
Brahman Swarastra Mein Hon - Read in English
Brahman! Swarashtra Mein Hon, Dwij Brahm Tejdhari । This prayer is sung in various gurukuls and schools of India. Students from Aryan Janata Inter College, Paigu sung this prayers in the morning assembly.
Bhajan Vedic BhajanVed BhajanSchool BhajanCollage BhajanMatrabhomi BhajanDesh Bhakti BhajanPatriotic BhajanAryan Janata Inter College BhajanIndependence Day BhajanRepublic Day Bhajan
अगर आपको यह भजन पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

नवीनतम भजन ›

हम वन के वासी, नगर जगाने आए: भजन

हम वन के वासी, नगर जगाने आए, सीता को उसका खोया, माता को उसका खोया, सम्मान दिलाने आए, हम वन कें वासी, नगर जगाने आए ॥

जन्मे अवध में, दशरथ के ललना: भजन

जन्मे अवध में, दशरथ के ललना, बाजे शंख और नगाड़े, कौशल्या अंगना, जन्में अवध में, दशरथ के ललना ॥

मन भजले पवनसुत नाम, प्रभु श्री राम जी आएंगे: भजन

मन भजले पवनसुत नाम, प्रभु श्री राम जी आएंगे, तेरा बिगड़ा बनाने हर काम, प्रभु श्री राम जी आएंगे

बजरंग के आते आते कही भोर हो न जाये रे: भजन

बजरंग के आते आते कही भोर हो न जाये रे, ये राम सोचते हैं, श्री राम सोचते हैं।

मन नो मोरलियो रटे: भजन

मन नो मोरलियो, रटे तारु नाम, म्हारी झोपड़िये, आवो म्हारा राम, एक वार आवी पुर, हईया केरी हाम, म्हारी झोपड़िये, आवो म्हारा राम ॥