ज़रा पास बैठो हे बांके बिहारी
पलक में पिरो लूं छबि मैं तिहारी
मुलाक़ात जाने हो फ़िर कब हमारी
पलक में पिरो लूं छवि मैं तिहारी
चरण देखे जाऊं या मुखड़ा निहारूं
ये दिल देदूं पहले के जाँ पहले वारूं
ये कजरारी अखियां, ये लट कारी कारी
पलक में पिरो लूं छबि मैं तिहारी
ये सूरत जो राधा के मन में समाई
जिसे देखकर मीरा महल छोड़ आई
मै बलिहारी जाऊं इसपे मुरारी
पलक में पिरो लूं छबि ये तिहारी
[Bhakti Bharat Bhajan]
कई जन्म बांधे तपस्या के धागे
किसी और संग कान्हा नेहा ना लागे
मेरी ओर देखो हे गिरधारी
पलक में पिरो लूं छबि मैं तिहारी