भक्तमाल | माता भानी
असली नाम - बीबी भानी
गुरु - गुरु अमर दास जी
जन्म - 19 जनवरी, 1535
मृत्यु - 9 अप्रैल 1598 (गोइन्दवाल)
वैवाहिक स्थिति - विवाहित
भाषा - पंजाबी, हिन्दी
पिता - गुरु अमर दास जी
माता - माता मनसा देवी
पति -
गुरु राम दास जी (विवाह 18 फरवरी 1554)
पुत्र - बाबा पृथि चंद, बाबा महादेव, गुरु अर्जन देव जी
ख्याति - सिख के चतुर्थ गुरु रामदास जी की पत्नी
माता भानी तीसरे सिख गुरु, गुरु अमर दास की छोटी बेटी एवं चतुर्थ गुरु राम दास जी की पत्नी थी। उन्हें सिख धर्म के सिद्धांतों और मानदंडों पर महिलाओं को शिक्षित करने का कार्य सौंपा गया था।
बीबी भानी ने अपने पिता के प्रति पूरी निष्ठा भाव से सेवा की ही थी। एक कथा के अनुसार, उन्होंने अपने पिता गुरु अमर दास को लकड़ी के आसन पर ध्यान करते हुए देखा। उन्होंने देखा कि आसन का एक पैर टूटने वाला था, इसलिए उन्होंने गुरु को गिरने से बचाने हेतु आसन को सीधा रखने के लिए अपने हाथों का इस्तेमाल किया। गुरु के ध्यान समाप्त करने के बाद, उन्होंने पाया कि बीबी भानी के हाथ से खून बह रहा था। यह देखकर, गुरु ने उनसे कहा कि उनकी संतान गुरु पद की उत्तराधिकारी होगी।
अकबर ने गुरु अमरदास से मुलाकात के दौरान भानी को उपहार स्वरूप जागीर दान दी थी, क्योंकि गुरु ने अपने नाम पर किसी भी प्रकार का आधिकारिक राजकीय संरक्षण स्वीकार नहीं किया था। अकबर ने यह भूमि भानी को विवाह उपहार के रूप में दी थी।
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