पुरुषोत्तम मास या अधिक मास या मलमास!

धर्म ग्रंथों के अनुसार तीन वर्ष में एक बार पुरुषोत्तम मास आता है। इसे अधिक मास भी कहते है।पहले हम ये जान लेते है की पुरुषोत्तम मास है क्या?
ज्योतिष् शास्त्र के अनुसार जिस मास में अमावस्या से अमावस्या के बीच में कोई संक्रांति न पड़े उसे अधिक मास कहते है।
संक्रांति का अर्थ सूर्य का राशि परिवर्तन से है।
सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को ही संक्रांति कहते है।

तथा जिस चंद्रमास में दो सूर्य संक्रांति का समावेश हो जाय, वह क्षयमास कहलाता है। क्षयमास केवल कार्तिक, मार्ग व पौस मासों में होता है। जिस वर्ष क्षय-मास पड़ता है, उसी वर्ष अधि-मास भी अवश्य पड़ता है परन्तु यह स्थिति १९ वर्षों या १४१ वर्षों के पश्चात् आती है।

ज्योतिषीय गणना के अनुसार एक सौर वर्ष 365 दिन 6 घंटे 11 मिनट का होता है तथा एक चंद्र वर्ष 354 दिन 9 घंटे का माना जाता है।
सौर वर्ष और चंद्र वर्ष की गणना को बराबर करने के लिए अधिक मास की उत्पत्ति हुई।

मलमास
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक तीन वर्ष पर आने वाला अधिक मास !!

अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से 12 महीने होते हैं,लेकिन क्या आपको पता है कि हिंदुओं की मान्यता के अनुसार प्रत्येक तीन साल में एक साल 13 महीनों का होता है ?

चलिए हम आपको बताते हैं इससे जुड़ी सच्चाई।

हर तीसरे साल जो तेरहवां महीना आता है,उस महीने को मलमास कहा जाता है।

अंग्रेजी में इस माह का जिक्र नहीं है, लेकिन हिंदुओं की मान्यता के अनुसार एक माह मलमास का होता है।

भारतीय कैलेंडर को पंचांग इसलिए कहा जाता है, क्यों कि इसमें मुख्यतया पाँच बातों की जानकारी रहती हैः
(१) तिथि, जो दिनांक यानी तारीख का काम करती है
(२) वारः सोमवार, मंगलवार आदि सात वार
(३) नक्षत्र, जो बताता है कि चंद्रमा तारों के किस समूह में है
(४) योग, जो बताता है कि सूर्य और चंद्रमा के भोगांशों का योग क्या है, और
(५) करण, जो तिथि का आधा होता है।

पौराणिक भारतीय ग्रंथ वायु पुराण के अनुसार मगध सम्राट बसु द्वारा बिहार के राजगीर में 'वाजपेयी यज्ञ' कराया गया था।

उस यज्ञ में राजा बसु के पितामह ब्रह्मा सहित सभी देवी-देवता राजगीर पधारे थे।

यज्ञ में पवित्र नदियों और तीर्थों के जल की जरूरत पड़ी थी।

कहा जाता है कि ब्रह्मा के आह्वान पर ही अग्निकुंड से विभिन्न तीर्थों का जल प्रकट हुआ था।

उस यज्ञ का अग्निकुंड ही आज का ब्रह्मकुंड (राजगीर,बिहार) है।

उस यज्ञ में बड़ी संख्या में ऋषि-महर्षि भी आए थे।

पुरुषोत्तम मास,सर्वोत्तम मास में यहां अर्थ,धर्म,काम और मोक्ष की प्राप्ति की महिमा है।

धार्मिक मान्यता है कि इस अतिरिक्त एक महीने को मलमास या अधिक मास कहा जाता है।

वायु पुराण एवं अग्नि पुराण के अनुसार इस अवधि में सभी देवी-देवता यहां आकर वास करते हैं।

इसी अधिक मास में मगध की पौराणिक नगरी राजगीर में प्रत्येक ढाई से तीन साल पर विराट मलमास मेला लगता है।

इस माह में लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों प्राची,सरस्वती और वैतरणी के अलावा गर्म जलकुंडों,ब्रह्मकुंड,सप्तधारा,न्यासकुंड, मार्कंडेय कुंड,गंगा-यमुना कुंड,काशीधारा कुंड,अनंतऋषि कुंड,सूर्य-कुंड,राम-लक्ष्मण कुंड,सीता कुंड,गौरी कुंड और नानक कुंड में स्नान कर भगवान लक्ष्मी नारायण मंदिर में आराधना करते हैं।
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