Shri Ram Bhajan

कर्म के साथ भावनाओं का भी महत्व है - प्रेरक कहानी (Karm Ke Sath Bhawanaon Ka Bhi Mahatv Hai)


Add To Favorites Change Font Size
गाय ने केला देखकर मुँह मोड़ लिया, महिला ने गाय के सामने जाकर फिर उसके मुँह मे केला देना चाहा लेकिन गाय ने केला नहीं खाया। परंतु वह महिला केला खिलाने के लिये पीछे ही पड़ गई थी।
जब महिला नहीं मानी, तो गाय ने सींग से मारने का अभिनय किया, तब महिला डरकर बिना केला खिलाये चली गयी।

महिला के जाने के बाद पास खडे साँड ने पूछा- वह इतने प्यार से केला खिला रही थी, आपने केला क्यों नहीं खाया और उसे डराकर भगा भी दिया।

गाय बोली- प्यार नहीं मजबूरी। आज एकादशी है, महिला मुझे केला खिलाकर पुण्य कमाना चाहती है। वैसे यह मुझे कभी नहीं पूछती, गलती से उसके मकान के आगे चली जाती हूँ, तो डंडा लेकर मारने को दौड़ती है।

प्रेम से सूखी रोटी भी मिल जाये, तो अमृत तुल्य है।

जो केवल अपना भला चाहता है, वह दुर्योधन है, जो अपनों का भला चाहता है,वह युधिष्ठिर है और जो सबका भला चाहता है वह श्रीकृष्ण है। अर्थात कर्म के साथ-साथ भावनाएँ भी महत्व रखती हैं।
यह भी जानें

Prerak-kahani Gau Mata Prerak-kahaniSand Prerak-kahaniCow Prerak-kahaniGuru Prerak-kahaniEkadashi Prerak-kahaniLady Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

समर्पित भक्त का वास वैकुन्ठ में - प्रेरक कहानी

एक ब्राह्मण था तथा महान भक्त था, वह मंदिर की पूजा में बहुत शानदार सेवा पेश करना चाहता था, लेकिन उसके पास धन नहीं था।...

तुम्हारे विचार ही तुम्हारे कर्म हैं!

एक राजा हाथी पर बैठकर अपने राज्य का भ्रमण कर रहा था। अचानक वह एक दुकान के सामने रुका और अपने मंत्री से कहा: मुझे नहीं पता क्यों, पर मैं इस दुकान के स्वामी को फाँसी देना चाहता हूँ।

हमे हर जीव मैं प्रभु नजर आते हैं - प्रेरक कहानी

जब बच्चे ने ईश्वर के साथ रोटी खाई! एक 6 साल का छोटा सा बच्चा, उसे भगवान् के बारे में कुछ भी पता नही था..

आप कर्मयोगी पुरुष, और मैनेजर भगवान

बुद्ध का प्रवचन सुनने के लिए गांव के सभी लोग उपस्थित थे, लेकिन वह भक्त ही कहीं दिखाई नहीं दे रहा था।.

अहंकार का त्याग ही तपस्या का मूलमंत्र है - प्रेरक कहानी

निर्णय करने से पहले धर्मराज ने दोनों से कहा: मैं अपना निर्णय तो सुनाउंगा लेकिन यदि तुम दोनों अपने बारे में कुछ कहना चाहते हो तो मैं अवसर देता हूं, कह सकते हो।...

आत्मविश्वास ना खोएं, ऊँचाइयाँ पाओगे - प्रेरक कहानी

एक बार एक युवक को संघर्ष करते-करते कई वर्ष हो गए लेकिन उसे सफलता नहीं मिली।...

Shri Krishna Bhajan - Shri Krishna Bhajan
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP