पितृ पक्ष - Pitru Paksha

कर्म के साथ भावनाओं का भी महत्व है - प्रेरक कहानी (Karm Ke Sath Bhawanaon Ka Bhi Mahatv Hai)


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गाय ने केला देखकर मुँह मोड़ लिया, महिला ने गाय के सामने जाकर फिर उसके मुँह मे केला देना चाहा लेकिन गाय ने केला नहीं खाया। परंतु वह महिला केला खिलाने के लिये पीछे ही पड़ गई थी।
जब महिला नहीं मानी, तो गाय ने सींग से मारने का अभिनय किया, तब महिला डरकर बिना केला खिलाये चली गयी।

महिला के जाने के बाद पास खडे साँड ने पूछा- वह इतने प्यार से केला खिला रही थी, आपने केला क्यों नहीं खाया और उसे डराकर भगा भी दिया।

गाय बोली- प्यार नहीं मजबूरी। आज एकादशी है, महिला मुझे केला खिलाकर पुण्य कमाना चाहती है। वैसे यह मुझे कभी नहीं पूछती, गलती से उसके मकान के आगे चली जाती हूँ, तो डंडा लेकर मारने को दौड़ती है।

प्रेम से सूखी रोटी भी मिल जाये, तो अमृत तुल्य है।

जो केवल अपना भला चाहता है, वह दुर्योधन है, जो अपनों का भला चाहता है,वह युधिष्ठिर है और जो सबका भला चाहता है वह श्रीकृष्ण है। अर्थात कर्म के साथ-साथ भावनाएँ भी महत्व रखती हैं।
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