कालाष्टमी क्या है? पालने की तरीकें बतायें? (What is Kalashtami? How to Worship?)

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, काल भैरव भगवान शिव के पांचवे आवतार हैं. इस दिन मां दुर्गा की पूजा का भी विधान है। हिन्दू पंचांग के अनुसार कालाष्टमी, प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान काल भैरव जो की शिव शंकर के रुद्र स्वरूप हैं उनकी पूजा की जाती है। कालभैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है।
कालाष्टमी कैसे मनाएं?
❀ कालाष्टमी भगवान शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, सूर्योदय से पहले उठकर जल्दी स्नान कर लें।
❀ काल भैरव के लिए एक विशेष पूजा करें और अपने सभी पापों के लिए आशीर्वाद और क्षमा मांगें।
❀ इस दिन आप जीवन में समृद्धि, सुख और सफलता प्राप्त करने के लिए उपवास भी कर सकते हैं।

कालाष्टमी पर भगवान भैरव को प्रसन्न करने के उपाय:
❀ कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की प्रतिमा के आगे सरसो के तेल का दीपक जलाएं और श्रीकालभैरवाष्टकम् का पाठ करें। मनोकामना पूर्ण होने तक प्रतिदिन इस उपाय को भक्ति भाव के साथ करें।
❀ कालाष्टमी के दिन चंदन से 'ॐ नम: शिवाय' लिखकर 21 बिल्वपत्र शिवलिंग को चढ़ाएं
❀ कुछ लोग काले कुत्ते को खिलाने में भी विश्वास करते हैं जिन्हें भगवान भैरव का वाहन माना जाता है। आप उन्हें दूध, दही और मिठाई खिला सकते हैं। इस उपाय को करने से भगवान भैरवऔर शनिदेव दोनों ही प्रस्सन होते हैं।
❀ ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें।
❀ कालाष्टमी के दिन से लेकर 40 दिनों तक लगातार काल भैरव का दर्शन करें। इस उपाय को करने से भगवान भैरव प्रसन्न होंगे और आपकी मनोकामना को पूर्ण करेंगे।
What is Kalashtami? How to Worship? - Read in English
According to the Hindu calendar, Kalashtami is celebrated every month on the eighth day of Krishna Paksha.
Blogs Kalashtami BlogsBhairav Nath BlogsShivji Blogs
अगर आपको यह ब्लॉग पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

ब्लॉग ›

ISKCON एकादशी कैलेंडर 2025

यह एकादशी तिथियाँ केवल वैष्णव सम्प्रदाय इस्कॉन के अनुयायियों के लिए मान्य है | ISKCON एकादशी कैलेंडर 2025

नवरात्रि घटस्थापना पूजा में उपयोग किए जाने वाले 7 अनाज

नवरात्र की पूजा में सबसे महत्‍वपूर्ण कलश स्‍थापना को माना जाता है। शास्‍त्रों में कलश स्‍थापित करने को गणेशजी का स्‍वरूप माना गया है। आइए जानते हैं कौन से हैं ये 7 प्रकार के अनाज

चैत्र नवरात्रि तिथियों में कैसे करें विधान से पूजा?

चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होने वाली नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि कहा जाता है।

नवपत्रिका पूजा नवरात्रि 2025

नवरात्रि के सातवें दिन नवपत्रिका पूजन का विधान है।

नवरात्रि में कन्या पूजन की विधि

नवरात्रि में विधि-विधान से मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इसके साथ ही अष्टमी और नवमी तिथि को बहुत ही खास माना जाता है, क्योंकि इन दिनों कन्या पूजन का भी विधान है। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि में कन्या की पूजा करने से सुख-समृद्धि आती है। इससे मां दुर्गा शीघ्र प्रसन्न होती हैं।