भक्तमाल | ज्ञानेश्वर
मूल नाम - ज्ञानेश्वर विट्ठल कुलकर्णी
अन्य नाम - संत ज्ञानेश्वर, संत ज्ञानेश्वर महाराज, ज्ञानदेव, मौली
गुरु - निवृत्तिनाथ
जन्म- 1275,
कृष्ण जन्माष्टमी
जन्म स्थान - पैठण तालुका, छत्रपति संभाजीनगर जिला, महाराष्ट्र, भारत
मृत्यु - 1296 (उम्र 20-21) आलंदी, यादव राजवंश
दर्शन - आदिनाथ सम्प्रदाय
पिता - विट्ठल पंत
माता - रुक्मिणी बाई
दर्शन - अद्वैत, वारकरी
संत ज्ञानेश्वर महाराज (1275-1296), जिन्हें ज्ञानेश्वर या ज्ञानदेव के नाम से भी जाना जाता है, 13वीं शताब्दी के एक महान मराठी संत, योगी, कवि और महाराष्ट्र के भक्ति आंदोलन के दार्शनिक थे।
उनकी प्रमुख रचनाएँ: ज्ञानेश्वरी (भावार्थ दीपिका): मराठी भाषा (विशेष रूप से ओवि मीटर में) में लिखी गई भगवद्गीता पर एक आध्यात्मिक भाष्य, जो इसे आम लोगों के लिए सुलभ बनाता है। अमृतानुभव: उनके अपने आध्यात्मिक अनुभवों का वर्णन करने वाला एक गहन दार्शनिक ग्रंथ। उन्होंने संस्कृत गीता के प्रत्येक श्लोक का अनुवाद किया और फिर मराठी में उसका अर्थ खूबसूरती से समझाया।
वे सभी की समानता में विश्वास करते थे - उन्होंने जाति और कर्मकांड की बाधाओं को अस्वीकार किया। उनका मानना था कि आध्यात्मिक ज्ञान (ज्ञान) केवल विद्वानों को ही नहीं, बल्कि सभी को उपलब्ध होना चाहिए। उन्होंने योग, भक्ति और आत्म-साक्षात्कार के मार्ग का प्रचार किया।
भक्ति भारत का मानना है कि उनकी शिक्षाओं ने महाराष्ट्र की वारकरी परंपरा में एक मूलभूत भूमिका निभाई। हर साल लाखों भक्त आलंदी से पंढरपुर तक संत ज्ञानेश्वर-संत तुकाराम पालखी तीर्थयात्रा में भाग लेते हैं।
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