भक्तगायक | एमएस शुभलक्ष्मी
असली नाम - मदुरै शन्मुखवदिवु सुब्बुलक्ष्मी
अन्य नाम - सुब्बुलक्ष्मी, कुंजम्मा
आराध्य - भगवान वेंकटेश्वर
जन्मतिथि - 16 सितम्बर 1916
जन्म स्थान - मदुरै, तमिलनाडु
निधन: 11 दिसंबर 2004, चेन्नई
भाषा: तमिल, कन्नड़, संस्कृत, तेलुगु, हिंदी, मलयालम, बंगाली और मराठी।
पिता - सुब्रमण्यम अय्यर
माता - शन्मुखावदिवर अम्माल
पति- कल्कि सदाशिवम
बच्चे - राधा विश्वनाथन
पुरस्कार और मान्यता - भारत रत्न (1998), रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (1974), पद्म भूषण (1954) और पद्म विभूषण (1975), संगीता कलानिधि (1968)
एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी महानतम भारतीय कर्नाटक गायिकाओं में से एक थीं, जिन्हें अक्सर "संगीत की रानी" और कर्नाटक संगीत की प्रथम महिला कहा जाता है। वह 1998 में भारत रत्न (भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार) से सम्मानित होने वाली पहली संगीतकार थीं।
उनका जन्म एक संगीत परिवार में हुआ था। उनकी माँ, षण्मुखवदिवु, एक वीणा वादक थीं, जिसका प्रभाव सुब्बुलक्ष्मी पर बचपन से ही पड़ा। उन्होंने कर्नाटक संगीत का प्रशिक्षण लिया और पंडित नारायणराव व्यास से हिंदुस्तानी संगीत भी सीखा, जिससे उन्हें अभिव्यक्ति की व्यापकता मिली।
सुब्बुलक्ष्मी ने 1930 और 1940 के दशक में कुछ तमिल फ़िल्मों में भी अभिनय किया, जिनमें सबसे प्रसिद्ध "मीरा" (1945) थी, जिसमें उन्होंने संत-कवि
मीराबाई की भूमिका निभाई थी। इस फ़िल्म में उनके भावपूर्ण भजनों ने उन्हें व्यापक रूप से लोकप्रिय बना दिया।
वह अपनी विनम्रता, भक्ति गायन और स्पष्ट वाणी के लिए जानी जाती हैं। भक्ति गीत, भजन, कृतियाँ और
विष्णु सहस्रनाम , भजगोविंदम जैसे ग्रंथों के छंदों और त्यागराज, मीरा, अन्नामाचार्य, पुरंदरदास जैसे संतों की रचनाओं के लिए प्रसिद्ध। आज भी, एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी संगीत और भक्ति में पवित्रता की प्रतीक हैं, जिन्हें पूरे भारत और विदेशों में सम्मान दिया जाता है।