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स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Swami Swaroopanand Saraswati)


स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती
भक्तमालः स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती
वास्तविक नाम - पोथीराम उपाध्याय
गुरु - ब्रह्मानंद सरस्वती और स्वामी करपात्री
आराध्य - भगवान शिव, भगवान राम
जन्म - 2 सितंबर 1924
जन्म स्थान - दिघोरी गांव, सिवनी, मध्य प्रदेश
वैवाहिक स्थिति - अविवाहित
गोलोक गमन - 11 सितंबर 2022
भाषा - हिन्दी
सम्मान - द्वारका शारदा पीठम के शंकराचार्य, ज्योतिर मठ के कार्यवाहक (1982 -2021)
शिष्य - स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, स्वामी सदानंद
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती एक भारतीय धार्मिक नेता थे। 1982 में, वे द्वारका, गुजरात में द्वारका शारदा पीठम के शंकराचार्य बने और बद्रीनाथ में ज्योतिर मठ के कार्यवाहक भी बने।

19 साल की उम्र में वे 'भारत छोड़ो' आंदोलन (1942) में स्वतंत्रता सेनानी बने और 'क्रांतिकारी साधु' के नाम से जाने गए। 1950 में गुरु देव ने उन्हें दण्डी सन्यासी बना दिया। स्वामी स्वरूपानंद 'रामराज्य परिषद पार्टी' के अध्यक्ष थे।

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का 99 वर्ष की आयु में मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में निधन हो गया। भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य लोगों ने शोक व्यक्त किया। झोटेश्वर में आयोजित शंकराचार्य जी के अंतिम संस्कार में लगभग 300,000 लोग शामिल हुए थे।

Swami Swaroopanand Saraswati in English

Swami Swaroopanand Saraswati was an Indian religious leader. In 1982, he became the Shankaracharya of Dwarka Sharada Peetham in Dwaraka, Gujarat and also caretaker of the Jyotir Math in Badrinath.
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एकनाथ

संत एकनाथ (1533-1599) महाराष्ट्र के पैठण (ऐतिहासिक रूप से प्रतिष्ठान) के 16वीं शताब्दी के एक प्रतिष्ठित भक्ति संत, दार्शनिक, कवि और समाज सुधारक थे। वे वारकरी आंदोलन के एक प्रमुख व्यक्ति थे।

दत्तात्रेय

पुराणों के अनुसार, भगवान दत्तात्रेय देवता हैं जो ब्रह्मा, विष्णु और शंकर के संयुक्त रूप हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार श्री दत्तात्रेय भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं। वे आजीवन ब्रह्मचारी और अवधूत रहे, इसलिए उन्हें सर्वव्यापी कहा जाता है।

परमहंस योगानंद

परमहंस योगानंद, 20वीं सदी के आध्यात्मिक शिक्षक, योगी और संत थे। उन्होंने अपने अनुयायियों को क्रिया योग का उपदेश दिया और पूरे विश्व में इसका प्रचार एवं प्रसार किया।

स्वामी राम शंकर

पूरी दुनिया में डिजिटल बाबा के नाम से मशहूर स्वामी राम शंकर डिजिटल और सोशल मीडिया पर अपनी आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं। युवाओं के बीच भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देकर लुप्त होती भारतीय परंपराओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के उनके प्रयास रंग ला रहा है।

विश्वेश तीर्थ

श्री विश्वेश तीर्थरु, एक भारतीय हिंदू गुरु, संत और श्री पेजावर अदोक्षजा मठ के पूर्व पीठासीन स्वामीजी थे। स्वामीजी विभिन्न सामाजिक सेवा संगठनों में शामिल थे, और कहा जाता है कि उन्होंने कई शैक्षिक और सामाजिक सेवा संगठन शुरू किए थे।

शबरी

हिंदू महाकाव्य रामायण में सबरी एक बुजुर्ग महिला तपस्वी हैं। उनकी भक्ति के कारण उन्हें भगवान राम के दर्शन का आशीर्वाद मिला। वह भील समुदाय की शाबर जाति से संबंधित थी इसी कारण से बाद में उसका नाम शबरी रखा गया।

नाहर सिंह पांडे

नाहार सिंह पांडे महाराजा गोगादेव के प्रधानमंत्री, सेनापति और राजपंडित थे। नाहर सिंह पाण्डे जी ने ही गोगाजी के दोनों पुत्रो सज्जन और सामत को अभ्यास कराकर शास्त्र का अभ्यास करवाया था।

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