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बटगणेश मंदिर, पुरी जगन्नाथ मंदिर में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi at Batganesh Mandir, Puri Jagannath Temple)

जगन्नाथ मंदिर पुरी के बटगणेश मंदिर में हर साल गणेश चतुर्थी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस गणेश मंदिर को बटगणेश मंदिर कहा जाता है और यह कल्पबट (इच्छा पूर्ति बरगद के पेड़) के पास जगन्नाथ मंदिर के दक्षिण की ओर है। मूर्ति पत्थर की बनी है और इसका मुख दक्षिण दिशा की ओर है।
यह मंदिर कल्पबट की जड़ में स्थित है। इस मंदिर की ऊंचाई 12 फीट है। मूर्ति की ऊंचाई 4 फीट है। भगवान गणेश शांत मुद्रा में अपने सिंहासन पर विराजमान हैं। उनकी चार भुजाएँ हैं। दाहिने दो हाथ रुद्राक्ष की माला, लेखनी (पेन), एक हाथी का टूटा हुआ दांत से सुशोभित हैं। बाएं दो हाथ एक हथियार (परशु) और लड्डू (मीठा) से सुशोभित हैं। उनका बहक चुहा ग्रेनिट पथर से बना हुआ है, उनके सामने स्थित है। ग्रेनाइट चुहा के पिछले हिस्से को छूते हुए कुछ सेकंड वास्तविक चुहा दृश्य की भावना महसूस की जा सकती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश कल्पतरु की तरह सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं।

श्री मंदिर निर्माण के बाद सबसे पहले बटगणेश की पूजा की गई। श्री बटगणेश के दैनिक अनुष्ठानों का प्रबंधन श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन द्वारा किया जाता है। भाद्रब मास के महीने में, गणेश चतुर्थी का दिन पवित्र रूप से मनाया जाता है।

गणेश उत्सव के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।

Ganesh Chaturthi at Batganesh Mandir, Puri Jagannath Temple in English

Every year Ganesh Chaturthi festival celebrate with huge pomp at Batganesh Mandir, Jagannath Temple Puri.
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श्रावण मास 2024

श्रावण मास हिंदू कैलेंडर का पांचवां महीना है। हिंदुओं के लिए श्रावण का महीना उपवास का महीना होता है और कई हिंदू हर सोमवार को भगवान शिव और हर मंगलवार को देवी पार्वती का उपवास करते हैं।

सावन शिवरात्रि 2024

आइए जानें! सावन शिवरात्रि से जुड़ी कुछ जानकारियाँ एवं सम्वन्धित कुछ प्रेरक तथ्य.. | सावन शिवरात्रि: Friday, 2 August 2024

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नीलाद्रि बिज महोत्सव वार्षिक रथ यात्रा उत्सव के समापन का प्रतीक है।

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कांवर यात्रा की परंपरा किसने शुरू की?

धार्मिक ग्रंथों में माना जाता है कि भगवान परशुराम ने ही कांवर यात्रा की शुरुआत की थी। इसीलिए उन्हें प्रथम कांवरिया भी कहा जाता है।

तुलाभारम क्या है, तुलाभारम कैसे करें?

तुलाभारम और तुलाभरा जिसे तुला-दान के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन हिंदू प्रथा है यह एक प्राचीन अनुष्ठान है। तुलाभारम द्वापर युग से प्रचलित है। तुलाभारम का अर्थ है कि एक व्यक्ति को तराजू के एक हिस्से पर बैठाया जाता है और व्यक्ति की क्षमता के अनुसार बराबर मात्रा में चावल, तेल, सोना या चांदी या अनाज, फूल, गुड़ आदि तौला जाता है और भगवान को चढ़ाया जाता है।

हिंदू धर्म में पूजा से पहले संकल्प क्यों लिया जाता है?

संकल्प का सामान्य अर्थ है किसी कार्य को करने का दृढ़ निश्चय करना। हिंदू धर्म में परंपरा है कि किसी भी तरह की पूजा, अनुष्ठान या शुभ कार्य करने से पहले संकल्प लेना बहुत जरूरी होता है।

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