9-दिवसीय
नवरात्रि उत्सव और दशईं उत्सव के दौरान पालन की जाने वाली एक रस्म है। दशईं त्योहार भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और पड़ोसी देश नेपाल में मनाया जाता है। घटस्थापना अनुष्ठान दोनों त्योहारों की शुरुआत का प्रतीक है।
कैसे किया जाता है घटस्थापना महोत्सव:
घटस्थापना के दौरान, लोग एक कलश में "पवित्र जल" भरते हैं। कलश को फिर गाय के गोबर से लेपित किया जाता है और उसमें जौ के बीज बोए जाते हैं। फिर इसे एक रेत के गड्ढे में रखा जाता है जिसे जौ के बीज के साथ भी बोया जाता है। इस कलश को एक पुजारी द्वारा आशीर्वाद दिया जाता है जो देवी दुर्गा को पूरे त्योहार के लिए बर्तन में निवास करने के लिए कहता है।
परिवार के किसी सदस्य द्वारा दिन में दो बार, त्योहार खत्म होने तक हर दिन बर्तन की पूजा की जाती है। कलश को धूप से दूर रखा जाता है और उसमें प्रतिदिन पवित्र जल डाला जाता है। इस गतिविधि के परिणामस्वरूप गमले से एक लंबी, पीली घास उगती है जिसे "
जमारा" कहा जाता है।
घटस्थापना का शुभ समय:
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गा का पूजन प्रारंभ किया जाता है।
आश्विन घटस्थापना: सोमवार, सितम्बर 22, 2025
घटस्थापना मुहूर्त - 6:11 AM से 7:52 AM
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त - 11:51 AM से 12:39 PM
अवधि - 48 मिनट्स
❀ घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है।
❀ घटस्थापना मुहूर्त, द्वि-स्वभाव कन्या लग्न के दौरान है।
❀ प्रतिपदा तिथि - सितम्बर 22, 2025 को 1:23 AM से सितम्बर 23, 2025 को 2:55 AM
❀ कन्या लग्न - सितम्बर 22, 2025 को 6:11 AM से सितम्बर 22, 2025 को 7:52 AM
घटस्थापना को कलशस्थापना के नाम से भी जाना जाता है।
घटस्थापना के दौरान किए जाने वाले कई अनुष्ठानों को गुप्त रखा जाता है। यह अनुष्ठान पूरे भारत में
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन किया जाता है।