विजयदशमी स्पेशल:
❀ श्री राम स्तुति: श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
❀ भए प्रगट कृपाला दीनदयाला
❀ श्री राम रक्षा स्तोत्रम्
❀ श्री राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे
❀ मैसूर दशहरा
❀ श्री राम भजन
❀ विजयादशमी शुभकामना मेसेज
शारदीय नवरात्रि वर्ष 2022 में 26 सितम्बर से प्रारंभ हो रही है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में व्रत, जप, पूजा, भंडारे, जागरण, डांडिया आदि में माँ के भक्त बड़े ही उत्साह से भाग लेते है। भारत में नवरात्रि के इस त्यौहार से प्रारंभ हो जाता है, एक के बाद एक त्यौहार का आना।
दुर्गा पूजा नवरात्रि के छठे दिन से मनाई जाती है। यह 4 दिनों तक चलेगा और फिर विजयादशमी के साथ समाप्त होगा।
आइए जानें! ऊर्जा से भरे इस उत्सव के जुड़ी कुछ विशेष जानकारियाँ, आरतियाँ, भजन, मंत्र एवं रोचक कथाएँ त्वरित(quick) लिंक्स के द्वारा...
नवरात्रि कब, कैसे और क्यों?
❀ शारदीय नवरात्रि - Shardiya Navratri
❀ दुर्गा पूजा - Durga Puja
माता की आरती:
❀ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
❀ अम्बे तू है जगदम्बे काली
❀ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी
❀ माँ दुर्गा, माँ काली
नवरात्रि मंत्र:
❀ दुर्गा पूजा पुष्पांजली
❀ महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - अयि गिरिनन्दिनि
❀ माँ दुर्गा देव्यापराध क्षमा प्रार्थना स्तोत्रं
❀ सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्रम्
❀ श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम्
❀ स्वस्ति / स्वस्तिक मंत्र
❀ दैनिक हवन-यज्ञ विधि
माता के चालीसा:
❀ श्री दुर्गा चालीसा
❀ श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा
नामावली:
❀ श्री दुर्गा माँ के 108 नाम
❀ अथ दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला - श्री दुर्गा द्वात्रिंशत नाम माला
❀ श्री लक्ष्मी के 108 नाम - श्रीलक्ष्मीष्टोत्तरशतनामावलिः
❀ अन्नपूर्णा स्तोत्रम् - नित्यानन्दकरी वराभयकरी
नवरात्रि भजन:
❀ नवरात्रि मे माता रानी के भजन
❀ मन लेके आया, माता रानी के भवन में
❀ तुने मुझे बुलाया शेरा वालिये
❀ चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है
❀ मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की
❀ बड़ा प्यारा सजा है तेरा द्वार भवानी
❀ दुर्गा है मेरी माँ, अम्बे है मेरी माँ
❀ मेरी अखियों के सामने ही रहना, माँ जगदम्बे
❀ माँ शारदे वंदना, हे शारदे माँ
❀ बेटा जो बुलाए माँ को आना चाहिए
❀ आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा
❀ सावन की बरसे बदरिया..
माता के मंदिर:
❀ दिल्ली मे प्रसिद्ध माता रानी के मंदिर
❀ दिल्ली के प्रमुख कालीबाड़ी मंदिर
❀ श्री चंद्रभागा शक्ति पीठ, सोमनाथ
❀ माँ ब्रह्माणी मंदिर, इटावा
❀ श्री महालक्ष्मी मंदिर, पुणे
❀ श्री महालक्ष्मी मंदिर, मुंबई
❀ श्री मुंबा देवी मंदिर, मुंबई
नवरात्रि भोग प्रसाद:
❀ पंचामृत बनाने की विधि
❀ मखाने की खीर बनाने की विधि
❀ मथुरा के पेड़े बनाने की विधि
❀ साबूदाने की खीर बनाने की विधि
❀ समा के चावल की खीर बनाने की विधि
❀ सूजी का हलवा बनाने की विधि
नवरात्रि ब्लॉग:
❀ घटस्थापना महोत्सव 2022
❀ दुर्गा पूजा धुनुची नृत्य
❀ नवरात्रि में कन्या पूजन की विधि
❀ भारत में सात शीर्ष माँ दुर्गा मंदिर
❀ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नवरात्रि कैसे मनाते हैं?
दिन | तिथि | नवरात्रि में देवी के नाम |
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26 सितम्बर | प्रतिपदा | घटस्थापना, माता शैलपुत्री पूजा, अग्रसेन जयंती |
27 सितम्बर | द्वितीया | माता ब्रह्मचारिणी पूजा |
28 सितम्बर | तृतीया | माता चंद्रघंटा पूजा, सिन्दूर तृतीया |
29 सितम्बर | चतुर्थी | माता कुष्मांडा पूजा |
30 सितम्बर | पंचमी | माता स्कंद माता पूजा, ललिता पञ्चमी |
1 अक्टूबर | षष्ठी | माता कात्यायनी पूजा, दुर्गा पूजा |
2 अक्टूबर | सप्तमी | माता कालरात्रि पूजा, नवपत्रिका पूजा, कलाबोऊ पूजा |
3 अक्टूबर | अष्टमी | महा गौरी पूजा, सरस्वती पूजा, दुर्गा अष्टमी, कुमारी पूजा, सन्धि पूजा |
4 अक्टूबर | नवमी | माता सिद्धिदात्री पूजा, दुर्गा बलिदान, नवमी हवन |
5 अक्टूबर | दशमी | विजयदशमी, दुर्गा विसर्जन, सिंदूर खेला, नवरात्रि व्रत समाप्त। |
देवी भागवत में नवरात्रि के प्रारंभ व समापन के वार अनुसार माताजी के आगमन प्रस्थान के वाहन इस प्रकार बताए गए हैं।
आगमन वाहन:
शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता ॥
देवीभाग्वत पुराण के इस श्लोक में बताया गया है कि माता का वाहन क्या होगा यह दिन के अनुसार तय होता है। अगर नवरात्र का आरंभ सोमवार या रविवार को हो रहा है तो माता का आगमन हाथी पर होगा। शनिवार और मंगलवार को माता का आगमन होने पर उनका वाहन घोड़ा होता है। गुरुवार और शुक्रवार को आगमन होने पर माता डोली में आती हैं जबकि बुधवार को नवरात्र का आरंभ होने पर माता का वहन नाव होता है।
प्रस्थान वाहन:
देवीभाग्वत पुराण में बताया गया है कि
शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा,
शनि भौमदिने यदि सा विजया
चरणायुध यानि करी विकला ।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया
गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा,
सुरराजगुरौ यदि सा विजया
नरवाहन गा शुभ सौख्य करा ॥
इस श्लोक से स्पष्ट है कि इस वर्ष माता पैदल जा रही हैं। इसकी वजह यह है कि विजयादशमी मंगलवार को है। मंगल और शनिवार के दिन विदाई होने पर माता किसी भी वाहन पर नहीं जाती हैं।
साधक भाई बहन जो ब्राह्मण द्वारा पूजन करवाने में असमर्थ है एवं जो सामर्थ्यवान होने पर भी समयाभाव के कारण पूजा नही कर पाते उनके लिये पंचोपचार विधि द्वारा सम्पूर्ण पूजन विधि बताई जा रही है आशा है आप सभी साधक इसका लाभ उठाकर माता के कृपा पात्र बनेंगे।
घट स्थापना एवं दुर्गा पूजन की सामग्री:
❀ जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र। यह वेदी कहलाती है।
❀ जौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिटटी जिसमे कंकर आदि ना हो।
❀ पात्र में बोने के लिए जौ ( गेहूं भी ले सकते है )
❀ घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश ( सोने, चांदी या तांबे का कलश भी ले सकते है )
❀ कलश में भरने के लिए शुद्ध जल
❀ नर्मदा या गंगाजल या फिर अन्य साफ जल
❀ रोली, मौली
❀ इत्र, पूजा में काम आने वाली साबुत सुपारी, दूर्वा, कलश में रखने के लिए सिक्का ( किसी भी प्रकार का कुछ लोग चांदी या सोने का सिक्का भी रखते है )
❀ पंचरत्न ( हीरा , नीलम , पन्ना , माणक और मोती )
❀ पीपल , बरगद , जामुन , अशोक और आम के पत्ते ( सभी ना मिल पायें तो कोई भी दो प्रकार के पत्ते ले सकते है )
❀ कलश ढकने के लिए ढक्कन ( मिट्टी का या तांबे का )
❀ ढक्कन में रखने के लिए साबुत चावल
❀ नारियल, लाल कपडा, फूल माला
❀ फल तथा मिठाई, दीपक , धूप , अगरबत्ती
दुर्गा पूजन सामग्री:
पंचमेवा पंचमिठाई रूई कलावा, रोली, सिंदूर, अक्षत, लाल वस्त्र, फूल, 5 सुपारी, लौंग, पान के पत्ते 5, घी, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत ( दूध, दही, घी, शहद, शर्करा ), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी की गांठ, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, आरती की थाली, कुशा, रक्त चंदन, श्रीखंड चंदन, जौ, तिल, माँ की प्रतिमा, आभूषण व श्रृंगार का सामान, फूल माला।
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शारदीय नवरात्रि 2020 - Dr. Pawan Sinha Guruji
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