ब्रह्मांड का निर्माता केवल एक ही है, जिसे लोग अलग-अलग नामों से पूजते हैं जैसे भगवान, गुरु नानक, अल्लाह, जीसस अन्य विभिन्न धर्म। कहने का मतलब यह है कि जितने धर्म उतने भगवान और जितने मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च। लेकिन आज हम किसी धर्म की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि आपको दुनिया के सबसे बड़े हिंदू मंदिर और उसके सुनहरे इतिहास के बारे में बताएंगे।
अंगकोर वाट उत्तरी कंबोडिया में दुनिया के सबसे बड़े स्मारकों में से एक है। अंगकोर वाट का मंदिर कंबोडिया के करोंग सीएम रीप शहर में स्थित है। अंकोरवाट मंदिर हिंदू धर्म का मंदिर हुआ करता था, बाद में इसे बौद्ध धर्म का तीर्थ स्थान बना दिया गया।
अंगकोर वाट मंदिर का इतिहास
⦿ अंगकोरवाट के इतिहास की बात करें तो बता दें कि 1113 से 1150 ई. के बीच 500 एकड़ क्षेत्र को कवर किया गया है। आज, यह स्मारक कंबोडिया में बने अब तक के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्मारकों में से एक है।
⦿ अंगकोर वाट मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में तत्कालीन सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय के आदेश पर किया गया था। यह आकर्षक मंदिर मूल रूप से भगवान विष्णु को समर्पित एक मंदिर था जिसके बाद धीरे-धीरे 14वीं शताब्दी में एक हिंदू पूजा मंदिर से बौद्ध मंदिर में बदल गया। आज भी इस मंदिर का असली नाम अज्ञात है क्योंकि उस समय का कोई शिलालेख यहाँ नहीं मिला था।
अंगकोर वाट के मंदिर की वास्तुकला
⦿अंगकोर वाट मंदिर एक आकर्षक संरचना है जिसके आधार से नुकीले मीनारें उठती हैं। यह संरचना 12वीं शताब्दी की खमेर वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
⦿ यह बलुआ पत्थर से बना है। अंकोरवाट में वाट का मतलब थाई में मंदिर होता है। लेकिन इस संरचना के पूर्व-पश्चिम अभिविन्यास में मंदिरों का महत्व है। कई विद्वानों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण सूर्यवर्मन ने अपने अंतिम विश्राम स्थल के लिए करवाया था। अंकोरवाट मंदिर में चार छोटे टावरों और बाड़े की दीवारों की एक श्रृंखला से घिरा 65 मीटर केंद्रीय टॉवर है।
पौराणिक कथा
इस मंदिर के निर्माण का मुख्य कारण अमरता का लालच था। ऐसा कहा जाता है कि राजा सूर्यवर्मन हिंदू देवताओं की पूजा करके अमर होना चाहते थे। इसलिए उन्होंने इस मंदिर में अपने लिए एक पूजा स्थल बनवाया, जिसमें केवल ब्रह्मा, विष्णु, महेश और तीनों की ही पूजा की जाती थी।
वर्तमान में कंबोडिया में बौद्ध धर्म के अनुयायियों की संख्या बहुत अधिक है, इसलिए भगवान बुद्ध की मूर्तियाँ यहाँ-वहाँ पाई जाती हैं। लेकिन यहां अंगकोर वाट ही एक ऐसी जगह है जहां ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की मूर्तियां एक साथ हैं। इतना ही नहीं, अंगकोर वाट मंदिर की विशेषता यह भी है कि यह भगवान विष्णु का विश्व का सबसे बड़ा मंदिर है। इस मंदिर की विशाल दीवारों पर रामायण और महाभारत के पवित्र ग्रंथों से जुड़ी कहानियां खुदी हुई हैं।
उतार-चढ़ाव के कई दौर देखने के बाद यह मंदिर देश-दुनिया के हजारों करोड़ों पर्यटकों और भक्तों के लिए आस्था और पर्यटन का केंद्र बन गया है।
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