मध्यप्रदेश एवं राजस्थान में भाद्रपद शुक्ल दशमी को लोकदेवता तेजाजी के निर्वाण दिवस के रूप में तेजादशमी पर्व मनाया जाता है। जिसके अंतर्गत नवमी तिथि को रात्रि जागरण होता है तथा दशमी तिथि को वीर तेजाजी के मंदिरों में मेले का आयोजन किया जाता है। बड़ी संख्या में तेजाजी के भक्त मंदिर में कच्चा दूध, पानी के कच्चे दूधिया नारियल एवं चूरमा चढ़ाते हैं।
इस दौरान शोभायात्रा के रूप में तेजाजी की सवारी निकली जाती है उसके उपरांत प्रसादी के रूप में चूरमे का भंडारा किया जाता है।
नागौर जिले के परबतसर गाँव में तेजाजी की याद में तेजा पशु मेले काआयोजन किया जाता है। वीर तेजाजी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। इस मेले की लोकाक्ति यह है कि वीर तेजाजी जाति से जाट थे। वह बड़े शूरवीर, निर्भीक, सेवाभवी, त्यागी एवं तपस्वी थे।
शुरुआत तिथि | भाद्रपद शुक्ला दशमी |
कारण | तेजाजी के निर्वाण दिवस। |
उत्सव विधि | शोभायात्रा, चूरमे का भंडारा, मेला। |
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