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✨वल्लभाचार्य जयंती - Vallabhacharya Jayanti

Vallabhacharya Jayanti Date: Monday, 13 April 2026
वल्लभाचार्य जयंती

वल्लभाचार्य भारत के इतिहास के एक महान संत थे जिन्होंने ईश्वर और उनकी भक्ति का एक अलग मार्ग खोजा था। इस महान संत ने भारत के ब्रज क्षेत्र में पुष्टि संप्रदाय की स्थापना की थी। इसी कारण से महाप्रभु वल्लभाचार्य को भगवान कृष्ण का प्रबल अनुयायी कहा जाता है। इतना ही नहीं वल्लभाचार्य को भक्ति आंदोलन का अहम हिस्सा माना जाता है।

महाप्रभु वल्लभाचार्य जयंती कब मनाई जाती है?
वल्लभाचार्य का जन्म हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को हुआ था। इस कारण इसे वल्लभाचार्य जयंती के रूप में मनाया जाता है।

महाप्रभु वल्लभाचार्य जयंती का महत्व
श्री वल्लभाचार्य का जन्म 1479 ई. में वाराणसी में एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वल्लभाचार्य श्री कृष्ण के प्रबल अनुयायी थे। भगवान के कई भक्तों की तरह, वह भी एक सर्वोच्च शक्ति में विश्वास करते थे और श्रीनाथ जी की पूजा करते थे, जिन्हें भगवान कृष्ण का एक रूप माना जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि जब वल्लभाचार्य उत्तर-पश्चिम भारत की ओर बढ़ रहे थे, तो उन्होंने गोवर्धन पर्वत के पास एक असामान्य घटना देखी, जो हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान कृष्ण से जुड़ी है। उसने देखा कि पहाड़ पर एक विशेष स्थान पर एक गाय प्रतिदिन दूध दे रही है। एक दिन, वल्लभाचार्य ने एक विशिष्ट स्थान की खुदाई करने के बारे में सोचा और खुदाई में उन्हें भगवान कृष्ण की मूर्ति मिली। ऐसा कहा जाता है कि भगवान संत के सामने प्रकट हुए और उनके समर्पण के लिए उन्हें गले लगा लिया। उस दिन से पुष्टि संप्रदाय द्वारा भगवान कृष्ण की 'बाल' या युवा छवि की बड़ी भक्ति के साथ पूजा की जाने लगी।

संबंधित अन्य नामVallabhacharya Jayanti
शुरुआत तिथिवैशाख महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी
कारणभगवान कृष्ण
उत्सव विधिमंदिर में प्रार्थना, व्रत, घर में पूजा

Vallabhacharya Jayanti in English

The great saint Vallabhacharya is said to be an ardent follower of Bhagwan Krishna. Vallabhacharya believed in the supreme power and worshiped Shrinathji, who is considered a form of Bhagwan Krishna.

महाप्रभु वल्लभाचार्य जयंती कहाँ और कैसे मनाते हैं?

महाप्रभु वल्लभाचार्य की जयंती पूरे देश में विशेषकर गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों में भव्य तरीके से मनाई जाती है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और अपने घरों और मंदिरों को सजाते हैं। भक्त भगवान कृष्ण की मूर्ति को पवित्र स्नान कराते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं। इसके साथ ही कई जगहों पर यज्ञों का भी आयोजन किया जाता है।

श्री महाप्रभुजी की बधाई

सुनोंरी आज नवल बधायो हे ।
श्री लक्ष्मण गृह प्रकट भये हें, श्री वल्लभ मन भायो हे ॥1॥

बाजत आवज ढोलक महुवर, घन ज्यों ढोल बजायो हे ।
कोकिल कंठ नवल वनिता मिल, मंगल गायो हे ॥2॥

हरदी तेल सुगंध सुवासित, लालन उबट न्हावायो हे ।
नखशिखलों आभूषण भूषित, पीताम्बर पहरायो हे ॥3॥

अशन वसन कंचन मणि माणिक, घरघर याचक पायो हे ।
श्री विठ्ठल गिरिधरन कृपानिधि, पलनामांझ झुलायो हे ॥4॥

संबंधित जानकारियाँ

भविष्य के त्यौहार
2 May 202720 April 20289 May 202930 April 2030
आवृत्ति
वार्षिक
समय
1 दिन
शुरुआत तिथि
वैशाख महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी
महीना
अप्रैल - मई
मंत्र
ॐ केशवाय नमः स्वाहा, ॐ नारायणाय नमः स्वाहा, माधवाय नमः स्वाहा
कारण
भगवान कृष्ण
उत्सव विधि
मंदिर में प्रार्थना, व्रत, घर में पूजा
महत्वपूर्ण जगह
गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु
पिछले त्यौहार
24 April 2025, 4 May 2024

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