Shri Ram Bhajan
गूगल पर भक्ति भारत को अपना प्रीफ़र्ड सोर्स बनाएँ

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता: अर्जुनविषादयोग - श्लोक 36 (Shrimad Bhagwat Geeta: Arjun Visada Yog: Shlok 36)


Add To Favorites Change Font Size
निहत्य धार्तराष्ट्रान्न का प्रीतिः स्याज्जनार्दन ।
पापमेवाश्रयेदस्मान्‌ हत्वैतानाततायिनः ॥
भावार्थ: हे जनार्दन! धृतराष्ट्र के पुत्रों को मारकर हमें क्या प्रसन्नता होगी? इन आततायियों को मारकर तो हमें पाप ही लगेगा।
यह भी जानें

    Granth Bhagwat Geeta Granth

    अगर आपको यह ग्रंथ पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

    Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
    इस ग्रंथ को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
    * कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

    ** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

    ग्रंथ ›

    विनय पत्रिका

    गोस्वामी तुलसीदास कृत विनयपत्रिका ब्रज भाषा में रचित है। विनय पत्रिका में विनय के पद है। विनयपत्रिका का एक नाम राम विनयावली भी है।

    श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 41

    बुध पुरान श्रुति संमत बानी । कही बिभीषन नीति बखानी ॥ सुनत दसानन उठा रिसाई ।..

    श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 44

    कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू । आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू ॥ सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं ।..

    Ganesh Aarti Bhajan - Ganesh Aarti Bhajan
    Ram Bhajan - Ram Bhajan
    Bhakti Bharat APP