बिना लक्ष्मण के है जग सुना सुना: भजन (Bina Lakshman Ke Hai Jag Soona Soona)


बिना लक्ष्मण के है जग सुना सुना ॥
श्लोक – मूर्छित हुए जब लखनलाल रण में,
लगी चोट रघुवर के तब ऐसी मन में,
रोके सुग्रीव से बोले जाओ,
अभी बंद फ़ौरन लड़ाई कराओ ॥

बिना लक्ष्मण के है जग सुना सुना,
मुझे और जीने की चाहत नहीं है,
ऐ वीरो मुझे छोड़ के लौट जाओ,
ऐ वीरो मुझे छोड़ के लौट जाओ,
कि लंका विजय की जरुरत नहीं है,
बिना लक्ष्मण के है जग सुना सुना ॥

मेरा दाहिना हाथ है आज टुटा,
लखन लाल से है मेरा साथ छूटा,
बिना लक्ष्मण के हुआ मैं अपाहीच,
बिना लक्ष्मण के हुआ मैं अपाहीच,
धनुष अब उठाने की ताकत नहीं है,
बिना लक्ष्मण के है जग सुना सुना ॥

मै दुनिया को क्या मुँह दिखाऊंगा जाकर,
क्या माता को आखिर बताऊंगा जाकर,
मैं कैसे कहूंगा लखन आ रहा है,
मैं कैसे कहूंगा लखन आ रहा है,
मुझे झूट कहने की आदत नहीं है,
बिना लक्ष्मण के है जग सुना सुना ॥

ये सुनकर पवनसुत बोले आगे बढ़कर,
मैं बूटी संजीवन ले आता हूँ जाकर,
मेरे जीते जी काल लक्ष्मण को खा ले,
अभी काल में इतनी ताकत नहीं है,
मेरे जीते जी काल लक्ष्मण को खा ले ॥

प्रबल वेग से फिर हनुमान धाए,
उठा कर हथेली पे पर्वत ले आये,
ले आ पहुंचे सूरज निकलने से पहले,
किसी वीर में इतनी करामत नहीं है,
ले आ पहुंचे सूरज निकलने से पहले ॥

वो लाकर संजीवन लखन को जिलाये,
दो बिछड़े हुए भाई हनुमत मिलाये
है जितनी कृपा राम की उनके ऊपर
किसी भक्त की इतनी इनायत नहीं है,
है जितनी कृपा राम की उनके ऊपर ॥

करो प्रेम से ‘शर्मा’ बजरंग का सुमिरन,
सभी दूर हो जाएगी तेरी उलझन,
पढ़े रोज जो ‘लख्खा’ हनुमत चालीसा,
कभी उसपे आ सकती आफत नहीं है,
करो प्रेम से ‘शर्मा’ बजरंग का सुमिरन,
कभी तुमपे आ सकती आफत नहीं है ॥

बिना लक्ष्मण के है जग सुना सुना,
मुझे और जीने की चाहत नहीं है,
ऐ वीरो मुझे छोड़ के लौट जाओ,
ऐ वीरो मुझे छोड़ के लौट जाओ,
कि लंका विजय की जरुरत नहीं है,
बिना लक्ष्मण के है जग सुना सुना ॥
Bina Lakshman Ke Hai Jag Soona Soona - Read in English
Bina Lakshman Ke Hai Jag Soona Soona, Mujhe Aur Jine Ki Chaahat Nahin Hai, Ai Viro Mujhe Chhod Ke Laut Jao, Ai Viro Mujhe Chhod Ke Laut Jao, Ki Lanka Vijay Ki Jarurat Nahin Hai, Bina Lakshman Ke Hai Jag Soona Soona ॥
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