श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र (Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra)

भगवान राम के भक्तों के लिए 24 मार्च का दिन बहुत खास होने जा रहा है। अयोध्या में सन 1992 से त्रिपालमें रह रहे रामलला, 24 मार्च को अस्थाई मंदिर में प्रतिष्ठित होंगे। इस मंदिर को फाइवर से निर्मित किया जा रहा है तथा बुलेट प्रूफ शीशे लगाए जा रहे हैं।अक्षरधाम मंदिर तीन वर्षों में बनाया गया था और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भी. इसलिए हम भी तीन / साढ़े-तीन साल में अयोध्या में भगवान श्री राम का भव्य मंदिर बनाने की सोच रहे हैं - गिरिजी महाराज।

अयोध्या मे श्री राम मंदिर का कार्य देखने के लिए मंदिर समिति का नामकरण हुआ, स्वतंत्र समिति का नाम श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र है। स्वतंत्र समिति बनाए जाने की औपचारिक घोषणा 5 फरवरी 2020 की सुवह 11 बजे, देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने संसद में दी।

अनुमान लगाया जा रहा है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामनवमी अर्थात 2 अप्रैल 2020 के दिन मंदिर निर्माण कार्य का शिलान्यास कर सकते हैं।
Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra - Read in English
Ramlala, who has been living in tant since 1992 in Ayodhya, will be revered in the temporary temple on March 24.
Blogs Ayodhya BlogsRam Mandir BlogsJanmbhoomi BlogsRam Janmbhoomi Blogs
अगर आपको यह ब्लॉग पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का महत्व

अक्षय तृतीया का महत्व हिंदू धर्म में बहुत खास है। संस्कृत शब्द अक्षय का अर्थ है वह जो कभी कम न हो या अनन्त (एकांत) हो। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

भाद्रपद 2024

भाद्रपद माह हिन्दु कैलेण्डर में छठवाँ चन्द्र महीना है। जो भाद्र या भाद्रपद या भादो या भाद्रव के नाम से भी जाना जाता है।

सावन 2024

जानें! सावन से जुड़ी कुछ जानकारियाँ एवं सम्वन्धित प्रेरक तथ्य.. | सावन 2023: सावन प्रारम्भ: 4 जुलाई | सावन शिवरात्रि: 15 जुलाई | अधिक मास (सावन): 18 जुलाई - 16 अगस्त | सावन समाप्त: 31 अगस्त

नमस्कार करने के फायदे

नमस्कार भक्ति, प्रेम, सम्मान और विनम्रता जैसे दिव्य गुणों की एक सरल और सुंदर अभिव्यक्ति है।

जैन ध्वज क्या है?

जैन धर्म में जैन ध्वज महत्वपूर्ण है और इसके अनुयायियों के लिए एकता के प्रतीक के रूप में कार्य करता है। विभिन्न समारोहों के दौरान जैन ध्वज मंदिर के मुख्य शिखर के ऊपर फहराया जाता है।