Download Bhakti Bharat APP

प्राणनाथजी (Prannathji)


भक्तमाल: प्राणनाथजी
असली नाम - मेहराज ठाकुर
गुरु - स्वामी देवचंद्र
अन्य नाम - महामति प्राणनाथजी, श्री महराज
आराध्य - श्रीकृष्ण
जन्म- 26th अक्टूबर, 1618
जन्म स्थान - जामनगर, गुजरात
वैवाहिक स्थिति - अविवाहित
भाषा - हिंदी, संस्कृत, गुजराती, उर्दू
पिता - केशव ठाकुर
माता - श्रीमती धनबाई
साहित्यिक कार्य - कुलजाम स्वरूप वाणी
संस्थापक - प्रणामी परम्परा
प्रणामी संप्रदाय को फैलाने का श्रेय और स्वामी देवचंद्र के सबसे प्रिय शिष्य और उत्तराधिकारी, महामती श्री प्राणनाथजी को जाता है। महामती प्राणनाथ ने अपनी यात्राओं और प्रवचनों में हिन्दू समाज को सुधारने का प्रयास किया है। जिस समय महिलाओं उपेक्छित किया जाता था, उन्होंने महिलाओं को तरतम मंत्र दिया और समाज में जागरूकता लाने के लिए कई कार्य किये हैं।

प्रणामी परंपरा ने सभी जातियों और धर्मों को सर्वोच्च सत्य श्री कृष्ण पूजा परंपरा को माना है। वह अपनी शिक्षाओं को धर्मान्तरितों की पृष्ठभूमि से जोड़ने के लिए हिंदू और इस्लामी ग्रंथों का हवाला देकर प्रणामी विचारों की व्याख्या किया है। स्वामी प्राणनाथजी महाराजा छत्रसाल के धार्मिक गुरु थे; उन्होंने उन्हें राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मामलों में निर्देशित किया है।

हिंदू कैलेंडर के वर्ष 1751 में, श्रावण के कृष्ण पक्ष के चौथे दिन, पांचवें महीने, महामती प्राणनाथ ने इस दुनिया में अपना उद्देश्य पूरा किया, और सर्वोच्च निवास "परमधाम" में निवास करने के लिए तैयार हुए थे।

Prannathji in English

Shri Devchandra Ji Maharaj was the founder of the Nijanand Sampradaya, he had introduced a saintly attitude from his childhood.
यह भी जानें

Bhakt Prannathji BhaktPranami Tradition BhaktKuljam Swaroop Vaani BhaktNijanand Sampradaya BhaktMahamati Prannathji BhaktShri Mehraj BhaktShri Devchandra Ji Maharaj Bhakt

अगर आपको यह भक्तमाल पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस भक्तमाल को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

चैतन्य महाप्रभु

चैतन्य महाप्रभु 15वीं शताब्दी के एक भारतीय संत थे, जिन्हें उनके शिष्यों और विभिन्न शास्त्रों द्वारा राधा और कृष्ण का संयुक्त अवतार माना जाता है।

एकनाथ

संत एकनाथ (1533-1599) महाराष्ट्र के पैठण (ऐतिहासिक रूप से प्रतिष्ठान) के 16वीं शताब्दी के एक प्रतिष्ठित भक्ति संत, दार्शनिक, कवि और समाज सुधारक थे। वे वारकरी आंदोलन के एक प्रमुख व्यक्ति थे।

दत्तात्रेय

पुराणों के अनुसार, भगवान दत्तात्रेय देवता हैं जो ब्रह्मा, विष्णु और शंकर के संयुक्त रूप हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार श्री दत्तात्रेय भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं। वे आजीवन ब्रह्मचारी और अवधूत रहे, इसलिए उन्हें सर्वव्यापी कहा जाता है।

परमहंस योगानंद

परमहंस योगानंद, 20वीं सदी के आध्यात्मिक शिक्षक, योगी और संत थे। उन्होंने अपने अनुयायियों को क्रिया योग का उपदेश दिया और पूरे विश्व में इसका प्रचार एवं प्रसार किया।

स्वामी राम शंकर

पूरी दुनिया में डिजिटल बाबा के नाम से मशहूर स्वामी राम शंकर डिजिटल और सोशल मीडिया पर अपनी आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं। युवाओं के बीच भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देकर लुप्त होती भारतीय परंपराओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के उनके प्रयास रंग ला रहा है।

विश्वेश तीर्थ

श्री विश्वेश तीर्थरु, एक भारतीय हिंदू गुरु, संत और श्री पेजावर अदोक्षजा मठ के पूर्व पीठासीन स्वामीजी थे। स्वामीजी विभिन्न सामाजिक सेवा संगठनों में शामिल थे, और कहा जाता है कि उन्होंने कई शैक्षिक और सामाजिक सेवा संगठन शुरू किए थे।

शबरी

हिंदू महाकाव्य रामायण में सबरी एक बुजुर्ग महिला तपस्वी हैं। उनकी भक्ति के कारण उन्हें भगवान राम के दर्शन का आशीर्वाद मिला। वह भील समुदाय की शाबर जाति से संबंधित थी इसी कारण से बाद में उसका नाम शबरी रखा गया।

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Bhakti Bharat APP