चंदन यात्रा, जग्गनाथ पुरी ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर में मनाया जाने वाला सबसे लंबा त्योहार है। चंदन यात्रा उत्सव जग्गनाथ पुरी में 42 दिनों तक मनाया जाता है। यह उत्सव अक्षय तृतीया के दिन से शुरू होता है। पुरी में चंदन यात्रा दो भागों में मनाई जाती है जो की बहार चंदन और भितर चंदन नाम से जाना जाता है।
कैसे मनायी जाती है चंदन यात्रा?
बहार चंदन:
बहार चंदन अक्षय तृतीया से शुरू होकर 21 दिनों तक चलता है।
पहले 21 दिनों में जगन्नाथ मंदिर के मुख्य देवताओं की प्रतिनिधि मूर्तियों के साथ-साथ पांच शिवलिंगों को पंच पांडव के रूप में सजाया जाता है, जिन्हें पुरी में जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार से नरेंद्र तीर्थ तालाब तक एक जुलूस के साथ ले जाया जाता है। अन्य देवताओं जैसे मदनमोहन, भूदेवी, श्रीदेवी और रामकृष्ण इस यात्रा में 21 दिनों तक भाग लेते हैं। विभिन्न अनुष्ठानों के बाद देवताओं को जगन्नाथ मंदिर के पास स्थित नरेंद्र तालाब में ले जाया जाता है और उन्हें तालाब के एक भव्य रूप से सजाए गए नावों पर शेर कराया जाता है। स्थानीय भाषा में इसे चाप खेल भी कहा जाता है। चंदन यात्रा के दौरान भगवान को प्रमुख रूप से चंदन के लेप से सजाया जाता है।
भितर चंदन:
भितर चंदन जो की अंतिम 21 दिनों में मंदिर के अंदर ही होने वाले अनुष्ठान में शामिल हैं। देवता दैनिक परिभ्रमण के बजाय मंदिर के अंदर रीती निति से पूजा किया जाता है।
अक्षय तृतीया विशेष : आरती | भजन | मंत्र | नामवली | कथा | मंदिर | भोग प्रसाद
संबंधित अन्य नाम | चाप खेल |
शुरुआत तिथि | अक्षय तृतीया |
कारण | भगवान जगन्नाथ |
उत्सव विधि | भजन कीर्तन, झांकी,आरती,नौका विहार |
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