Shri Ram Bhajan

श्री रामचरितमानस: बाल काण्ड: पद 132 (Shri Ramcharitmanas: Bal Kand: Pad 132)


Add To Favorites Change Font Size
॥ चौपाई ॥
हरि सन मागौं सुंदरताई।
होइहि जात गहरु अति भाई ॥
मोरें हित हरि सम नहिं कोऊ।
एहि अवसर सहाय सोइ होऊ ॥1॥
बहुबिधि बिनय कीन्हि तेहि काला ।
प्रगटेउ प्रभु कौतुकी कृपाला
प्रभु बिलोकि मुनि नयन जुड़ाने ।
होइहि काजु हिएँ हरषाने ॥2॥

अति आरति कहि कथा सुनाई ।
करहु कृपा करि होहु सहाई।।
आपन रूप देहु प्रभु मोही ।
आन भाँति नहिं पावौं ओही ॥3॥

जेहि बिधि नाथ होइ हित मोरा ।
करहु सो बेगि दास मैं तोरा ॥
निज माया बल देखि बिसाला ।
हियँ हँसि बोले दीनदयाला ॥4॥

॥ दोहा ॥
जेहि बिधि होइहि परम हित नारद सुनहु तुम्हार ।
सोइ हम करब न आन कछु बचन न मृषा हमार ॥
यह भी जानें

Granth Ramcharitmanas GranthBalkand GranthTulsidas Ji Rachit Granth

अगर आपको यह ग्रंथ पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस ग्रंथ को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

ग्रंथ ›

विनय पत्रिका

गोस्वामी तुलसीदास कृत विनयपत्रिका ब्रज भाषा में रचित है। विनय पत्रिका में विनय के पद है। विनयपत्रिका का एक नाम राम विनयावली भी है।

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 41

बुध पुरान श्रुति संमत बानी । कही बिभीषन नीति बखानी ॥ सुनत दसानन उठा रिसाई ।..

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 44

कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू । आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू ॥ सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं ।..

Shiv Chalisa - Shiv Chalisa
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP