Shri Ram Bhajan

श्री सरस्वती अष्टकम् (Shri Saraswati Ashtakam)


॥ शतानीक उवाच ॥
महामते महाप्राज्ञसर्वशास्त्रविशारद।
अक्षीणकर्मबन्धस्तुपुरुषो द्विजसत्तम॥1॥
मरणे यज्जोपेज्जाप्यंयं च भावमनुस्मरन्।
परं पदमवाप्नोतितन्मे ब्रूहि महामुने॥2॥

॥ शौनक उवाच ॥
इदमेव महाराजपृष्टवांस्ते पितामहः।
भीष्मं धर्मविदां श्रेष्ठंधर्मपुत्रो युधिष्ठिरः॥3॥

॥ युधिष्ठिर उवाच ॥
पितामह महाप्राज्ञसर्वशास्त्रविशारदः।
बृहस्पतिस्तुता देवीवागीशेन महात्मना।
आत्मायं दर्शयामासंसूर्य कोटिसमप्रभम्॥4॥

॥ सरस्वत्युवाच ॥
वरं वृणीष्व भद्रंते यत्ते मनसि विद्यते।

॥ बृहस्पतिरूवाच ॥
यदि मे वरदा देविदिव्यज्ञानं प्रयच्छ नः॥5॥

॥ देव्युवाच ॥
हन्त ते निर्मलज्ञानंकुमतिध्वंसकारणम्।
स्तोत्रणानेन यो भक्तयामां स्तुवन्ति मनीषिण॥6॥

॥ बृहस्पतिरूवाच ॥
लभते परमं ज्ञानंयतपरैरपि दुर्लभम्।
प्राप्नोति पुरुषो नित्यंमहामाया प्रसादतः॥7॥

॥ सरस्वत्युवाच ॥
त्रिसन्ध्यं प्रयतो नित्यंपठेदष्टकमुत्तमम्।
तस्य कण्ठे सदा वासंकरिष्यामि न संशयः॥8॥

॥ इति श्रीपद्मपुराणे सरस्वती अष्टकम् सम्पूर्णम् ॥

Shri Saraswati Ashtakam in English

Mahamate MahaprajnaSarvashastravisharada। AkshinakarmabandhastuPurusho Dwijasattama॥1॥
यह भी जानें

Mantra Maa Saraswati MantraShri Saraswati Ashtakam MantraVasant Panchami MantraBasant Panchami MantraSaraswati Puja MantraSaraswati Jayanti Mantra

अगर आपको यह मंत्र पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस मंत्र को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

मंत्र ›

महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - अयि गिरिनन्दिनि

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते, गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते । महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् नवरात्रि के दौरान माता रानी का सबसे ज्यादा सुना और पढ़ा जाने वाला संस्कृत श्लोक है

श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम्

निशुम्भ शुम्भ गर्जनी, प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी । बनेरणे प्रकाशिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥ त्रिशूल मुण्ड धारिणी..

श्री दुर्गा देवी स्तोत्रम्

श्री युधिष्ठिर विरचितं | श्रीगणेशाय नमः । श्री दुर्गायै नमः । नगरांत प्रवेशले पंडुनंदन । तो देखिले दुर्गास्थान । धर्मराज करी स्तवन । जगदंबेचे तेधवा ॥

महामाय़ा अष्टकम्

भद्रकाळी बिश्बमाता जगत्स्रोत कारिणी, शिबपत्नी पापहर्त्री सर्वभूत तारिणी, स्कन्दमाता शिवा शिवा सर्वसृष्टि धारिणी, नमः नमः महामाय़ा ! हिमाळय-नन्दिनी ॥ १

श्री चण्डी-ध्वज स्तोत्रम्

धन राज्य सुख देने वाला माँ चण्डिका का स्तोत्र। ॐ श्रीं नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै भूत्त्यै नमो नमः । परमानन्दरुपिण्यै नित्यायै सततं नमः॥१॥

भगवती स्तोत्र

जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे। जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥1॥

गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र - श्री विष्णु

एवं व्यवसितो बुद्ध्या समाधाय मनो हृदि । जजाप परमं जाप्यं प्राग्जन्मन्यनुशिक्षितम...

Durga Chalisa - Durga Chalisa
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP