पितृ पक्ष - Pitru Paksha

आचरण बड़ा या ज्ञान? - प्रेरक कहानी (Acharan Bada Ya Gyan)


Add To Favorites Change Font Size
राजा की सभा में एक बडा सम्मानित राज पुरोहित था। जब वह आता राजा भी खड़े होकर उसका स्वागत करते थे। एक दिन राजा ने अपनी सभासद के सामने समस्या पूर्ति रखी की आचरण बड़ा या ज्ञान?
राजपुरोहित ने कहा: प्रश्न के समाधान के लिए थोड़ा वक्त चाहिए।
राजपुरोहित ने एक प्रयोग किया, कोषागार से दो मोती चुरा लिए। खजांची ने देखा और हैरान रह गया।

दूसरे दिन भी ऐसा ही हुआ। राजपुरोहित ने फिर से रत्न चुरा लिए। बात राजा तक पहुंचीं और राजा ने जांच कराई, तथा राजपुरोहित की सच्चाई सामने आईं।

अगले दिन राजा ने राजपुरोहित को सम्मान नहीं दिया। उसके सम्मान में खड़ा नहीं हुआ। पुरोहित ने मन ही मन कहा: दवा काम कर गई।

राजा ने पुरोहित से पुछा अपने मोती, रत्न चुराएं है? जी हां, पुरोहित ने कहा।

राजा ने पुछा क्यों?: दरअसल में आपको दिखाना चाहता था कि आचरण बड़ा है या ज्ञान? मेरी राज्य सभा में जो प्रतिष्ठित है, सम्मान है, इज्जत है वह आचरण के कारण है या ज्ञान के?..

..आपने देखा कि मेरा ज्ञान मेरे पास था, उसमें कोई फर्क नहीं आया, उसमें कोई कमी नहीं आई। फिर भी आपने मेरा स्वागत नहीं किया। खड़े होकर मेरा सम्मान नहीं किया। क्योंकि मैं आचरण से गिर गया था राजपुरोहित से चोर बन गया था। मेरा आचरण गिर, गया था राजपुरोहित से चोर बन गया था।..

..मेरा आचरण गिरा, आपकी भौंहें तन गई। मैं समझ गया कि आचरण बड़ा है या ज्ञान? मुझे लगता है कि आपके प्रश्न का भी यही उत्तर है।
यह भी जानें

Prerak-kahani King Prerak-kahaniRaja Prerak-kahaniRaj Purohit Prerak-kahaniPurohit Prerak-kahaniManner Ya Knowledge Prerak-kahaniKhajana Prerak-kahaniChori Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

पिता और पुत्र की रोचक कहानी - प्रेरक कहानी

एक बार पिता और पुत्र जलमार्ग से यात्रा कर रहे थे, और दोनों रास्ता भटक गये। फिर उनकी बोट भी उन्हें ऐसी जगह ले गई...

ज्ञान का सार्थक प्रयोग - प्रेरक कहानी

किसी ब्राह्मण के चार पुत्र थे। उनमें परस्पर गहरी मित्रता थी। चारों में से तीन शास्त्रों में पारंगत थे, लेकिन उनमें बुद्धि का अभाव था।

राम से बड़ा राम का नाम क्यों - प्रेरक कहानी

श्री राम दरबार में हनुमानजी महाराज श्री रामजी की सेवा में इतने तन्मय हो गये कि गुरू वशिष्ठ के आने का उनको ध्यान ही नहीं रहा!...

मैं तो स्वयं शिव हूँ - प्रेरक कहानी

एक था भिखारी! रेल सफर में भीख माँगने के दौरान एक सूट बूट पहने सेठ जी उसे दिखे। उसने सोचा कि यह व्यक्ति बहुत अमीर लगता है...

दद्दा की डेढ़ टिकट - प्रेरक कहानी

एक देहाती बुजुर्ग ने चढ़ने के लिए हाथ बढ़ाया। एक ही हाथ से सहारा ले डगमगाते कदमों से वे बस में चढ़े, क्योंकि दूसरे हाथ में थी भगवान गणेश की एक अत्यंत मनोहर बालमूर्ति थी।

गणेश विनायक जी की कथा - प्रेरक कहानी

एक गाँव में माँ-बेटी रहती थीं। एक दिन वह अपनी माँ से कहने लगी कि गाँव के सब लोग गणेश मेला देखने जा रहे हैं..

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Ganesh Aarti Bhajan - Ganesh Aarti Bhajan
Bhakti Bharat APP