Haanuman Bhajan

तुलसीदास जी द्वारा विप्रचंद ब्राह्मण पर कृपा - सत्य कथा (Goswami Tulsidas Dwara Viprachandra Brahmin Pe Kripa)


Add To Favorites Change Font Size
विप्रचंद ब्राह्मण पर कृपा:
एक बार एक विप्रचंद नामक ब्राह्मण से हत्या हो गयी और उस हत्या के प्रायश्चित के लिये वह अनेक तीर्थों में घूमता हुआ काशी आया। वह मुख से पुकार कर कहता था: राम राम ! मै हत्यारा हूँ, मुझे भिक्षा दीजिये। श्री गोस्वामी जी ने उसके मुख से अपने इष्टदेव का अतिसुंदर राम नाम सुनकर उसे अपने निवास स्थान पर बुला लिया और उसे हृदय से लगा लिया। गोस्वामी जी ने बड़ी प्रसन्नता से कहा:
तुलसी जाके बदन ते,
धोखेहु निकसत राम ।
ताके पग की पगतरी,
मेरे तन को चाम ॥
- वैराग्य संदीपनी
फिर उसे अपनी पंक्ति में बैठकर प्रसाद पवाया, जिससे वह शुद्ध हो गया। काशी के ब्राह्मणों ने जब यह बात सुनी तो उन्होंने एक सभा की और उसमे गोस्वामी जी को बुलवाया।

सभी पंडितो ने गोस्वामी जी से पूछा कि प्रायश्चित पूरा हुए बिना ये ब्राह्मण कैसे शुद्ध हो गया? गोस्वामी जी ने कहा कि वेदों पुराणों में भगवान् के नाम की महिमा लिखी है, उसे पढ़कर देख लीजिये। भगवन्नाम के प्रताप से ही यह ब्राह्मण भी शुद्ध हो गया।

उन्होंने गोस्वामी जी से कहा कि महिमा लिखी तो है परंतु हमें विश्वास नहीं होता। गोस्वामी जी ने पूछा कि फिर आपको कैसे होगा वह उपाय कहिये?

इसपर ब्राह्मणों ने कहा: यदि इस व्यक्ति के हाथ से भगवान शंकर के नंदी जी प्रसाद खा लें तो हम लोग इसे अपनी जाति, पंगति में ले अथवा नहीं।

सब लोग काशी में ज्ञानवापी नदी के तट पर पहुंचे जहाँ शर्त रखी गयी थी। श्री गोस्वामी जी ने नन्दीश्वर से कहा: हे नंदीश्वर ! यदि यह ब्राह्मण राम नाम के प्रताप से शुद्ध हो गया है तो आप इसके हाथ से प्रसाद स्वीकार करके नाम की महिमा को प्रमाणित कीजिये।

नन्दीश्वर ने प्रसन्नता के साथ प्रसाद स्वीकार कर लिया। इस चमत्कार को देखकर सभी श्री रामचंद्र जी की एवं रामनाम की जय जयकार करने लगे और श्रीतुलसीदास जी की नामनिष्ठा पर बलिहार हो गए।
यह भी जानें

Prerak-kahani Shri Ram Prerak-kahaniShri Hanuman Prerak-kahaniTulsidas Prerak-kahaniTrue Story Prerak-kahaniTrue Prerak-kahaniBrahmin Prerak-kahaniNandi Prerak-kahaniPrasan Prerak-kahaniRam Nam Mahima Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

निंदा से सदैव बचना चाहिए - प्रेरक कहानी

एक बार एक राजा ने यह फैसला लिया कि वह प्रतिदिन 100 अंधे लोगों को खीर खिलाया करेगा। एक दिन खीर वाले दूध में सांप ने मुंह डाला

कर्मानुसार सुख एवं दुःख का भोग - प्रेरक कहानी

प्रभु मैंने पृथ्वी पर देखा है कि जो व्यक्ति पहले से ही अपने प्रारब्ध से दुःखी है आप उसे और ज्यादा दुःख प्रदान करते हैं, और जो सुख में हैं आप उसे दुःख नहीं देते है।

लक्ष्मी जी कहाँ निवास करतीं हैं - प्रेरक कहानी

एक बार की बात है, राजा बलि समय बिताने के लिए एकान्त स्थान पर गधे के रूप में छिपे हुए थे।..

इन्द्रियों के भोग से कैसे जीव का नाश हो सकता है

परमात्मा द्वारा जीव को पांच ज्ञानेन्द्रियां प्रदान की गई हैं। श्रवण, त्वक,चक्षु, जिह्वा और घ्राणेन्द्रिय।इनके क्रमशः शब्द,स्पर्श, रूप, रस और गंध विषय हैं।

इन सब के लिए भगवान तेरा धन्यवाद

एक पक्षी था जो रेगिस्तान में रहता था, बहुत बीमार, कोई पंख नहीं, खाने-पीने के लिए कुछ नहीं, रहने के लिए कोई आश्रय नहीं था।

ज्ञानपिपासु विद्यार्थियों - प्रेरक प्रसंग

एक गुरु के दो शिष्य थे। एक पढ़ाई में बहुत तेज और विद्वान था और दूसरा फिसड्डी। पहले शिष्य की हर जगह प्रसंशा और सम्मान होता था।..

युधिष्ठर ने ही समझ, सत्यम वद का सही मतलब - प्रेरक कहानी

यह उस समय की बात है जब कौरव पांडव गुरु द्रोणाचार्य के आश्रम में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। एक दिन गुरु द्रोण ने अपने सभी शिष्यों को एक सबक दिया - सत्यम वद मतलब सत्य बोलो।

Shiv Chalisa - Shiv Chalisa
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP