Shri Krishna Bhajan

कोयल- अपनी वाणी को मधुर बना लेना (Apani Vaani Ko Madhur Bana Lena)


Add To Favorites Change Font Size
संस्कृत साहित्य की यह चर्चित कथा है। एक बार वसंत ऋतु में एक कोयल वृक्ष पर बैठी कूक रही थी। आते-जाते लोग उसकी कूक को सुनते और उसकी सुरीली आवाज का आनंद लेते हुए उसकी तारीफ के पुल बांधते। कुछ देर बाद कोयल के सामने एक कौआ तेज गति से आया।
कोयल ने उससे पूछा: इतनी तेज गति से कहां जा रहे हो? कुछ देर बैठो, बातें करते हैं।

कौए ने उत्तर दिया: कि वह जरा जल्दी में है और देश को छोड़कर परदेस जा रहा है।

कोयल ने इसका कारण पूछा तो कौआ बोला: यहां के लोग बहुत खराब हैं। सब तुम्हें ही चाहते हैं। सभी लोग सिर्फ तुम्हारा आदर करते हैं। वह यही चाहते हैं कि तुम हमेशा की तरह इसी प्रकार से उनके क्षेत्र में गाती रहो। वहीं जहां तक मेरी बात है तो मुझे कोई देखना तक नहीं चाहता। यहां तक कि मैं किसी की मुंडेर पर बैठता हूं तो मुझे कंकड़ मारकर वहां से भगा दिया जाता है। मेरी आवाज भी कोई नहीं सुनना चाहता। जहां मेरा अपमान हो, मैं ऐसे स्थान पर एक क्षण भी नहीं रहना चाहता। ज्ञानियों ने भी हमें यही शिक्षा दी है कि अपमान की जगह पर नहीं रहना चाहिए।

यह सुनकर कोयल बोली: परदेस जाना चाहते हो तो बड़े शौक से जाओ। यह पूरी तरह से तुम्हारी इच्छा पर निर्भर है। लेकिन एक बात का सदैव ध्यान रखना कि वहां जाने से पहले अपनी आवाज को बदल लेना। अपनी वाणी को मधुर बना लेना। यदि तुम्हारी वाणी ठीक वैसी ही कठोर रही, जैसी यहां पर है तो परदेस में भी लोग तुम्हारे साथ वही व्यवहार करेंगे जो अभी हो रहा है।

संसार जो है, जैसा भी है, उसे बदला नहीं जा सकता। लेकिन हम अपनी दृष्टि और वाणी को बदल सकते हैं। इन दोनों के बदलने से जीवन की दिशा और दशा, दोनों बदल जाती है और यहीं से संसार में आनंद और सुख की प्राप्ति शुरू होती है।
यह भी जानें
अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

जब तक दुख नहीं मिलते, प्रभु की याद नहीं आती - प्रेरक कहानी

फिर सुपरवाईजर ने उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए एक १० रु का नोट नीचे फैंका, जो ठीक मजदूर के सामने जा कर गिरा..

बुरे समय में कृतज्ञता ना छोड़ें - प्रेरक कहानी

एक शिकारी ने शिकार पर तीर चलाया। तीर पर सबसे खतरनाक जहर लगा हुआ था।..

एक जोड़ी, पैरों के निशान? - प्रेरक कहानी

आपने तो कहा था. कि आप हर समय मेरे साथ रहेंगे, पर मुसीबत के समय मुझे दो की जगह एक जोड़ी ही पैर ही दिखाई दिए...

गोस्वामी तुलसीदास को श्री कृष्ण का राम रूप दर्शन - सत्य कथा

तुलसीदास जी को भगवान् श्री कृष्ण का राम रूप में दर्शन देना | श्रीकृष्ण ने हाथ में धनुष-बाण ले लिया | श्री दशरथ जी का पुत्र, परम सुंदर उपमा रहित जानकार उनसे प्रेम करता था..

तुलसीदास जी द्वारा श्रीराम के दर्शन का उपाय - सत्य कथा

साक्षात् भगवान् श्रीराम के दर्शन करने का उपाय | उसके लिए प्रेम और भाव चाहिए, संत की कृपा चाहिए | वह व्यक्ति तुरंत पेड़ पर चढ़कर त्रिशूलपर कूद पडा..

प्रेरणादायक महाराजा रणजीत सिंह की कहानियाँ

एक बार महाराजा कहीं जा रहे थे, तभी उनके माथे पर पत्थर आकार लगा। उनके माथे पर से खून बहने लगा।...

निर्दोष को कैसी सजा - प्रेरक कहानी

बहुत समय पहले हरिशंकर नाम का एक राजा था। उसके तीन पुत्र थे और अपने उन तीनों पुत्रों में से वह किसी एक पुत्र को राजगद्दी सौंपना चाहता था।

Ganesh Aarti Bhajan - Ganesh Aarti Bhajan
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP