Haanuman Bhajan

इल्ली और घुन की कहानी (Elli Aur Dhun Ki Kahani)


Add To Favorites Change Font Size
एक इल्ली और घुन था। इल्ली बोली आओ घुन कार्तिक स्नान करे, घुन बोला तू ही कार्तिक स्नान कर ले। मैं तो नहीं करूँगा। बाद में इल्ली तो राजा की लड़की के पल्ले के लगकर कार्तिक स्नान करती। घुन ने कार्तिक स्नान नहीं किया।
दोनों मर गये। बाद में इल्ली के कार्तिक स्नान के पुण्य के कारण राजा के घर जन्म हुआ और घुन राजा के घर गधा बन गया।

राजा ने बेटी का विवाह किया। बेटी ससुराल जाने लगी तो उसने अपनी पालकी रुकवाई और राजा से कहा यह गधा मुझे चाहिए। तब राजा ने कहा यह मत ले चाहे और धन दौलत ले ले पर लड़की नहीं मानी। मुझे तो यही चाहिए।

गधे को रथ के बांध दिया तो गधा दौड़ने लगा। महल में पहुँचने पर गधे को महल के नीचे बांध दिया। जब लड़की नीचे उतरती तो गधा कहता मुझे पानी पिलादे तब लड़की ने कहा मैंने पहले ही कहा था कार्तिक स्नान कर ले पर तूने कहा था मैं तो बाजरा खाऊँगा और ठंडा-ठंडा पानी पीऊँगा।

उनको बातें करते राजा ने सुन लिया, जब राजा ने कहा कि आप मुझे सारी बात बताओ तब रानी (लड़की) ने राजा को सारी बात बताई कि मैं पिछले जन्म में इल्ली थी और ये घुन था। तब मैंने कहा तू भी कार्तिक नहा ले पर वह नहीं नहाया। मैं कार्तिक स्नान के पुण्य से राजा के घर लड़की हुई और आपके घर में राज पाठ कर रही हूँ।

तब राजा ने कहा कि कार्तिक स्नान का इतना पुण्य है तो हम दोनों जोड़े से नहायेंगे। रानी-राजा ने अत्यंत प्रसन्न मन से कार्तिक स्नान कर दोनों ने दान–पुण्य किया और सारी नगरी में कहलवा दिया की सब कार्तिक स्नान कर नहाया हुआ पानी घुन पे डालेगे जिससे घुन की मोक्ष हुई।

हे कार्तिक! भगवान श्रीहरि विष्णु जैसा सुख इल्ली को दिया वैसा सबको देना।
यह भी जानें

Prerak-kahani Elli Aur Dhun Prerak-kahaniKartik Mas Prerak-kahaniKartik Snaan Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

तुलसीदास जी द्वारा विप्रचंद ब्राह्मण पर कृपा - सत्य कथा

एक बार एक विप्रचंद नामक ब्राह्मण से हत्या हो गयी और उस हत्या के प्रायश्चित के लिये वह अनेक तीर्थों में घूमता हुआ काशी आया।

नारद मुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे

एक बार की बात है, वीणा बजाते हुए नारद मुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे। नारायण नारायण !! नारदजी ने देखा कि द्वार पर हनुमान जी पहरा दे रहे है। हनुमान जी ने पूछा: नारद मुनि! कहाँ जा रहे हो?

सच्चे गुरु के बिना बंधन नहीं छूटता - प्रेरक कहानी

एक पंडित रोज रानी के पास कथा करता था। कथा के अंत में सबको कहता कि राम कहे तो बंधन टूटे। तभी पिंजरे में बंद तोता बोलता, यूं मत कहो रे पंडित झूठे।

महाभारत के युद्ध में भोजन प्रबंधन

आर्यावर्त के समस्त राजा या तो कौरव अथवा पांडव के पक्ष में खड़े दिख रहे थे। श्रीबलराम और रुक्मी ये दो ही व्यक्ति ऐसे थे जिन्होंने इस युद्ध में भाग नहीं लिया।

कुछ लोग ही कृष्ण की ओर बढ़ते हैं - प्रेरक कहानी

भोजन की गंध पाने पर तालाब से पांच छह बतखें उनके पास आकर पुकारने लगी क्वेक, क्वेक प्रभुपाद ने बड़े स्नेह से उन बतखों को भोजन दिया...

असल में ज्ञानी कौन? - प्रेरक कहानी

सन्तोष मिश्रा जी के यहाँ पहला लड़का हुआ तो पत्नी ने कहा: बच्चे को गुरुकुल में शिक्षा दिलवाते है...

कर्म महत्वपूर्ण है - प्रेरक कहानी

उसकी नजर एक मरे हुए सांप पर पड़ी। उसने एक लाठी पर सांप को लटकाया और घर की और जाते हुए सोचने लगा, इसे देखकर पत्नी डर जाएगी और आगे से काम पर जाने के लिए नहीं कहेगीं।...

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
×
Bhakti Bharat APP