Download Bhakti Bharat APP

इल्ली और घुन की कहानी (Elli Aur Dhun Ki Kahani)


Add To Favorites Change Font Size
एक इल्ली और घुन था। इल्ली बोली आओ घुन कार्तिक स्नान करे, घुन बोला तू ही कार्तिक स्नान कर ले। मैं तो नहीं करूँगा। बाद में इल्ली तो राजा की लड़की के पल्ले के लगकर कार्तिक स्नान करती। घुन ने कार्तिक स्नान नहीं किया।
दोनों मर गये। बाद में इल्ली के कार्तिक स्नान के पुण्य के कारण राजा के घर जन्म हुआ और घुन राजा के घर गधा बन गया।

राजा ने बेटी का विवाह किया। बेटी ससुराल जाने लगी तो उसने अपनी पालकी रुकवाई और राजा से कहा यह गधा मुझे चाहिए। तब राजा ने कहा यह मत ले चाहे और धन दौलत ले ले पर लड़की नहीं मानी। मुझे तो यही चाहिए।

गधे को रथ के बांध दिया तो गधा दौड़ने लगा। महल में पहुँचने पर गधे को महल के नीचे बांध दिया। जब लड़की नीचे उतरती तो गधा कहता मुझे पानी पिलादे तब लड़की ने कहा मैंने पहले ही कहा था कार्तिक स्नान कर ले पर तूने कहा था मैं तो बाजरा खाऊँगा और ठंडा-ठंडा पानी पीऊँगा।

उनको बातें करते राजा ने सुन लिया, जब राजा ने कहा कि आप मुझे सारी बात बताओ तब रानी (लड़की) ने राजा को सारी बात बताई कि मैं पिछले जन्म में इल्ली थी और ये घुन था। तब मैंने कहा तू भी कार्तिक नहा ले पर वह नहीं नहाया। मैं कार्तिक स्नान के पुण्य से राजा के घर लड़की हुई और आपके घर में राज पाठ कर रही हूँ।

तब राजा ने कहा कि कार्तिक स्नान का इतना पुण्य है तो हम दोनों जोड़े से नहायेंगे। रानी-राजा ने अत्यंत प्रसन्न मन से कार्तिक स्नान कर दोनों ने दान–पुण्य किया और सारी नगरी में कहलवा दिया की सब कार्तिक स्नान कर नहाया हुआ पानी घुन पे डालेगे जिससे घुन की मोक्ष हुई।

हे कार्तिक! भगवान श्रीहरि विष्णु जैसा सुख इल्ली को दिया वैसा सबको देना।
यह भी जानें

Prerak-kahani Elli Aur Dhun Prerak-kahaniKartik Mas Prerak-kahaniKartik Snaan Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

दद्दा की डेढ़ टिकट - प्रेरक कहानी

एक देहाती बुजुर्ग ने चढ़ने के लिए हाथ बढ़ाया। एक ही हाथ से सहारा ले डगमगाते कदमों से वे बस में चढ़े, क्योंकि दूसरे हाथ में थी भगवान गणेश की एक अत्यंत मनोहर बालमूर्ति थी।

गणेश विनायक जी की कथा - प्रेरक कहानी

एक गाँव में माँ-बेटी रहती थीं। एक दिन वह अपनी माँ से कहने लगी कि गाँव के सब लोग गणेश मेला देखने जा रहे हैं..

प्रेरक कहानी: वाह! किशोरी जी आपके नाम की कैसी अनंत महिमा है

वाह! किशोरी जी आपके नाम की कैसी अनंत महिमा है!! मुझ पर इतनी कृपा की या खुद श्रीमद्भागवत से इतना प्रेम करती हो कि रोज़ मुझ से श्लोक सुनने मे तुमको भी आनंद आता है।

गुरु का स्थान, श्रेष्ठ - प्रेरक कहानी

एक राजा को पढने लिखने का बहुत शौक था। एक बार उसने मंत्री-परिषद् के माध्यम से अपने लिए एक शिक्षक की व्यवस्था की। शिक्षक राजा को पढ़ाने के लिए आने लगा।..

गुरू की बात को गिरिधारी भी नही टाल सकते - प्रेरक कहानी

उन्होंने मेरे शब्दो का मान रखते हुए मेरे शिष्य पर अपनी सारी कृपा उडेल दी। इसलिए कहते है गुरू की बात को गिरिधारी भी नही टाल सकते।

गुरु गूंगे, गुरु बावरे, गुरु के रहिये दास! - Guru Purnima Special - प्रेरक कहानी

गुरु गूंगे गुरु बाबरे गुरु के रहिये दास, गुरु जो भेजे नरक को, स्वर्ग कि रखिये आस!

हमारी लालसाएँ और वृत्तियाँ नहीं बदलती - प्रेरक कहानी

एक पेड़ पर दो बाज रहते थे। दोनों अक्सर एक साथ शिकार की तलाश में निकलते और जो भी पाते, उसे शाम को मिल-बांट कर खाते..

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Bhakti Bharat APP