Shri Ram Bhajan
गूगल पर भक्ति भारत को अपना प्रीफ़र्ड सोर्स बनाएँ

सेवा का समर्पण भाव - प्रेरक कहानी (Sewa Ka Samarpan Bhav)


Add To Favorites Change Font Size
एक बार एक राजा भोजन कर रहा था, अचानक खाना परोस रहे सेवक के हाथ से थोड़ी सी सब्जी राजा के कपड़ों पर छलक गई। राजा की त्यौरियां चढ़ गयीं।
जब सेवक ने यह देखा तो वह थोड़ा घबराया, लेकिन कुछ सोचकर उसने प्याले की बची सारी सब्जी भी राजा के कपड़ों पर उड़ेल दी। अब तो राजा के क्रोध की सीमा न रही। उसने सेवक से पूछा, 'तुमने ऐसा करने का दुस्साहस कैसे किया?

सेवक ने अत्यंत शांत भाव से उत्तर दिया, महाराज! पहले आपका गुस्सा देखकर मैनें समझ लिया था कि अब जान नहीं बचेगी। लेकिन फिर सोचा कि लोग कहेंगे की राजा ने छोटी सी गलती पर एक बेगुनाह को मौत की सजा दी। ऐसे में आपकी बदनामी होती। तब मैनें सोचा कि सारी सब्जी ही उड़ेल दूं। ताकि दुनिया आपको बदनाम न करे। और मुझे ही अपराधी समझे।

राजा को उसके जबाव में एक गंभीर संदेश के दर्शन हुए और पता चला कि सेवक भाव कितना कठिन है। जो समर्पित भाव से सेवा करता है उससे कभी गलती भी हो सकती है फिर चाहे वह सेवक हो, मित्र हो, या परिवार का कोई सदस्य, ऐसे समर्पित लोगों की गलतियों पर नाराज न होकर उनके प्रेम व समर्पण का सम्मान करना चाहिए।
यह भी जानें

Prerak-kahani Raja Prerak-kahaniKing Prerak-kahaniServent Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

कर्ण की युद्ध में धर्म-नीति निष्ठा - प्रेरक कहानी

वह बाण बनकर कर्ण के तरकस में जा घुसा, ताकि जब उसे धनुष पर रखकर अर्जुन तक पहुँचाया जाए, तो अर्जुन को काटकर प्राण हर ले।

अर्जुन व कर्ण पर विचारों का सम्मोहन - प्रेरक कहानी

इसकी विपरीत कारण अर्जुन से कहीं अधिक वीर और साहसी होने पर भी दुविधा में पड़ा रहा। उसकी मान कुंती ने युद्ध से पूर्व यह वचन ले लिया की वह युद्धभूमि में अर्जुन के सिवाय और किसी भाई को नहीं मारेगा।...

कर्म फल भोगते हुए भी दुःखी नहीं हों - प्रेरक कहानी

कर्मफल का भोग टलता नहीं: राजकुमार का सिर कट गया और वह मर गया। राजकन्या पति के मरने का बहुत शोक करने लगी...

जीवन एक प्रतिध्वनि है - प्रेरक कहानी

जीवन एक प्रतिध्वनि है आप जिस लहजे में आवाज़ देंगे पलटकर आपको उसी लहजे में सुनाईं देंगीं। न जाने किस रूप में मालिक मिल जाये...

भगवान को आपके धन की कोई आवश्यकता नहीं - प्रेरक कहानी

पुरानी बात है एक सेठ के पास एक व्यक्ति काम करता था। सेठ उस व्यक्ति पर बहुत विश्वास करता था। जो भी जरुरी काम हो सेठ हमेशा उसी व्यक्ति से कहता था...

अठावन घड़ी कर्म की और दो घड़ी धर्म की - प्रेरक कहानी

एक नगर में एक धनवान सेठ रहता था। अपने व्यापार के सिलसिले में उसका बाहर आना-जाना लगा रहता था। एक बार वह परदेस से लौट रहा था। साथ में धन था, इसलिए तीन-चार पहरेदार भी साथ ले लिए।

जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है - प्रेरक कहानी

एक बार भगवान से उनका सेवक कहता है, भगवान: आप एक जगह खड़े-खड़े थक गये होंगे, एक दिन के लिए मैं आपकी जगह मूर्ति बनकर खड़ा हो जाता हूँ, आप मेरा रूप धारण कर घूम आओ।

Shiv Chalisa - Shiv Chalisa
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP