Shri Ram Bhajan
गूगल पर भक्ति भारत को अपना प्रीफ़र्ड सोर्स बनाएँ

जो मिला है उसकी महत्ता को समझें - प्रेरक कहानी (Jo Mila Hai Usaki Mahatta Ko Samajhen)


Add To Favorites Change Font Size
एक अँधा व्यक्ति रोज शाम को सड़क के किनारे खड़े होकर भीख माँगा करता था। जो थोड़े-बहुत पैसे मिल जाते उन्हीं से अपनी गुजर-बसर किया करता था। एक शाम वहां से एक बहुत बड़े रईस गुजर रहे थे। उन्होंने उस अंधे को देखा और उन्हें अंधे की फटेहाल होने पर बहुत दया आई और उन्होंने सौ रूपये का नोट उसके हाथ में रखते हुए आगे की राह ली।
उस अंधे आदमी ने नोट को टटोलकर देखा और समझा कि किसी आदमी ने उसके साथ ठिठोली भरा मजाक किया है क्योंकि उसने सोचा कि अब तक उसे सिर्फ 5 रूपये तक के ही नोट मिला करते थे जो कि हाथ में पकड़ने पर सौ की नोट की अपेक्षा वह बहुत छोटा लगता था और उसे लगा कि किसी ने सिर्फ कागज़ का टुकड़ा उसके हाथ में थमा दिया है और उसने नोट को खिन्न मन से कागज़ समझकर जमीन पर फेंक दिया।

एक सज्जन पुरुष जो वहीँ खड़े ये दृश्य देख रहे थे, उन्होंने नोट को उठाया और अंधे व्यक्ति को देते हुए कहा - "यह सौ रूपये का नोट है!" तब वह बहुत ही प्रसन्न हुआ और उसने अपनी आवश्यकताएं पूरी कीं।

ज्ञानचक्षुओं के अभाव में हम सब भी भगवान के अपार दान को देखकर यह समझ नहीं पाते और हमेशा यही कहते रहते हैं कि हमारे पास कुछ नहीं है, हमें कुछ नहीं मिला, हम साधनहीन हैं, पर यदि हमें जो नहीं मिला उन सबकी शिकायत करना छोड़कर, जो मिला है उसकी महत्ता को समझें तो हमें मालूम पड़ेगा कि जो हम सबको मिला है वो कम नहीं अद्भुत है।
यह भी जानें
अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

ईर्ष्यालु व्यक्ति, किसी को सुखी-संपन्न नहीं देख सकता है - प्रेरक कहानी

ईर्ष्यालु व्यक्ति की प्रकृति यही होती है कि वह दूसरों को सुखी-संपन्न देखकर उनके जैसा उन्नत, संपन्न और सुखी होने की प्रेरणा ग्रहण नहीं करता...

तीन गुरु चोर, कुत्ता और छोटा बच्चा - प्रेरक कहानी

एक दिन एक शिष्य ने महंत से सवाल किया, स्वामीजी आपके गुरु कौन है? मेरे हजारो गुरु हैं! लेकिन फिर भी मै अपने तीन गुरुओ के बारे मे तुम्हे जरुर बताऊंगा...

सेवा का समर्पण भाव - प्रेरक कहानी

एक बार एक राजा भोजन कर रहा था, अचानक खाना परोस रहे सेवक के हाथ से थोड़ी सी सब्जी राजा के कपड़ों पर छलक गई। राजा की त्यौरियां चढ़ गयीं।

कद्दू का तीर्थ स्नान - प्रेरक कहानी

वह कद्दू ले लिया, और जहाँ-जहाँ गए, स्नान किया वहाँ-वहाँ स्नान करवाया। मंदिर में जाकर दर्शन किया तो उसे भी दर्शन करवाया।...

भगवान की लाठी तो हमेशा तैयार है - प्रेरक कहानी

एक बुजुर्ग दरिया के किनारे पर जा रहे थे। जहरीले बिच्छु ने दरिया के अन्दर छलांग लगाई..

हार से क्रोध का कनेक्शन - प्रेरक कहानी

बहुत समय पहले की बात है नवनीत। आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच सोलह दिन तक लगातार शास्त्रार्थ चला। शास्त्रार्थ की निर्णायक थीं मंडन मिश्र की धर्म पत्नी देवी भारती। ...

भगवन नाम का प्रताप - प्रेरक कहानी

एक व्यक्ति गाड़ी से उतरा। और बड़ी तेज़ी से एयरपोर्ट में घुसा, जहाज़ उड़ने के लिए तैयार था, उसे किसी कार्यक्रम मे पहुंचना था जो खास उसी के लिए आयोजित किया जा रहा था। वह अपनी सीट पर बैठा और हवाई जहाज उड़ गया।

Shiv Chalisa - Shiv Chalisa
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP