Shri Krishna Bhajan

नाम जप की महत्ता - प्रेरक कहानी (Naam Jap Ki Mahatta)


नाम जप की महत्ता - प्रेरक कहानी
Add To Favorites Change Font Size
एक बार की बात है राजा एवं महामंत्री ने मार्ग में किसी ब्राह्मण को भीख माँगते देखा।
राजा ने महामंत्री से पूछा: यह क्या है?
महामंत्री ने तत्काल कहा: महाराज! भूला हुआ है।
राजा ने कहा: तो इस पण्डित को रास्ते पे लाओ।
महामंत्री ने कहा: आ जायेगा, राजन! पर समय लगेगा। कृपया तीन माह की अवधि दीजिये।
राजा ने स्वीकृति दे दी।
शाम को महामंत्री ब्राह्मण के घर गया और ब्राह्मण से विद्वान होकर भीख मांगने का कारण पूछा। ब्राह्मण के बताने पर महामंत्री ने कहा, कल से प्रात: आप चार बजे जाग जायँ और मेरे लिये दो घण्टे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे नाम जप करें, शाम को एक स्वर्ण मुद्रा रोज आपके घर पहुँचा दी जायेगी।

ब्राह्मण को पहले तो यह सुन कर आश्चर्य हुआ, किन्तु मन ही मन सोचा कि ऐसा करने में क्या हर्ज है। जप करना स्वीकार कर लिया।

पिछले जन्म के कुल के सँस्कार शुभ थे। चार बजे उठने और नाम जप करने में कोई कठिनाई नहीं हुई। रोज शाम को एक स्वर्ण मुद्रिका मिल जाने से धीरे-धीरे ब्राह्मण धनवान हो गया। अभ्यास करते करते राम कृष्ण नाम के दिव्य सँस्कारो ने दबे सुसंस्कारो को उभारा।

एक दिन ब्राह्मण ने सोचा कि यदि महामंत्री के लिय नाम-जप ने धनाढ्य बना दिया तो स्वयं के लिये जपने से तो लोक और परलोक दोनो धनाढ्य हो ही जाएँगे। ऐसा सोच कर रोज दो घण्टे खुद के लिये जपने लगे।

भगवान नाम की ऐसी कृपा हुई की ब्राह्मण की कामनाएँ खत्म होने लगी और एक दिन ब्राह्मण ने महामंत्री से कहा: आप कृप्या सोने की मुद्रिका ना भेजें मैं अब केवल अपने लिये ही जप करूँगा। प्रभु नाम की उपासना ने मेरा विवेक एवं वैराग्य जाग्रत कर दिया, प्रभु भक्ति की लग्न लग गयी।

एक दिन ब्राहमण ने पत्नी से कहा-ईश्वर कृपा से अपनी गरीबी दूर हो गयी। सब ठीक हो गया अब आप अनुमति दें तो मैं एकान्त में रहकर नाम जप साधना करना चाहता हूँ। पत्नी साध्वी थी अत: उसने स्वीकृति दे दी।

अब ब्राह्मण देवता सतत प्रभु स्मरण में रंग गये। साधना फलने फूलने लगी। लोग दर्शनार्थ पधारने लगे धीरे-धीरे बात राजा तक पहुँची तो राजा भी एक दिन महामंत्री के साथ महात्मा के दर्शन करने पधारे।

वापिस लौटते समय राजा ने कहा: महात्मन् मैं भारत का राजा आपसे प्रार्थना करता हूँ, यदि आपको किसी चीज की जरूरत पड़े तो नि:संकोच संदेश भिजवाईयेगा, तत्काल मिलेगी।

ब्राह्मण देवता मुस्कुराये ओर बोले: राजन् आपके पास ऐसा कुछ नहीं जिसकी मुझे जरूरत हो। हाँ यदि आपको कुछ चाहिये तो माँगने में संकोच मत करना।

महामंत्री ने कहा: राजन् आपने पहचाना इनको, ये वही ब्राह्मण हैं जो तीन माह पूर्व भीख माँग रहे थे। प्रभु नाम के जप ने एक भिखारी को सच्चा दाता बना दिया है। यह सुनकर राजा बड़े हैरान हुये। ये है नाम जप का प्रभाव जो भिखारी से सच्चा दाता बना दे।
यह भी जानें

Prerak-kahani Shri Ram Prerak-kahaniRam Naam Prerak-kahaniShri Raghuvar Prerak-kahaniRam Navmi Prerak-kahaniJanaki Prerak-kahaniRamayan Prerak-kahaniRaja Prerak-kahaniPandit Prerak-kahaniMaha Mantri Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

बुजुर्गों का अनुभव हमें हर पल सिखाता है - प्रेरक कहानी

युवा युगल उन वरिष्ठ युगल से बहुत अधिक लगाव रखते थे, और उन्हें दादा दादी की तरह सम्मान देते थे..

श्री राम नाम जाप महिमा

अगर तुम तीन बार राम नाम का जाप करते हो तो यह सम्पूर्ण विष्णु सहस्त्रनाम या १००० बार ईश्वर के नाम का जाप करने के बराबर है।

भगवान की कृपा से ही सब मिलता है - प्रेरक कहानी

एक राजा था, वह जब पूजा के लिए मंदिर जाता, तो 2 भिखारी उसके दाएं और बाएं बैठा करते।..

बुढ़िया माई को मुक्ति दी - तुलसी माता की कहानी

कार्तिक महीने में एक बुढ़िया माई तुलसीजी को सींचती और कहती कि: हे तुलसी माता! सत की दाता मैं तेरा बिडला सीचती हूँ..

भरे हुए में राम को स्थान कहाँ? - प्रेरक कहानी

लोभ, लालच, ईर्ष्या, द्वेष और भली-बुरी बातों से जब दिल-दिमाग भरा रहेगा तो उसमें ईश्वर का वास कैसे होगा?

मानव सेवा में गोल्ड मेडेलिस्ट - प्रेरक कहानी

वासु भाई और वीणा बेन गुजरात के एक शहर में रहते हैं। आज दोनों यात्रा की तैयारी कर रहे थे।..

तोटकाचार्य कैसे बने शंकराचार्य के प्रिय शिष्य - सत्य कथा

वहाँ अवाक् बैठे सभी शिष्य तब और ज्यादा अवाक् हो गए जब उन्होंने देखा कि गुरु शंकराचार्य ने गिरी को आदेश देते हुए कहा कि आज उनकी जगह पर गिरी ब्रह्मसूत्र पर शंकराचार्य के मन्तव्य को समझाएंगे।

Shiv Chalisa - Shiv Chalisa
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP