एक सेठ के घर के बाहर एक साधू महाराज खड़े होकर प्रार्थना कर रहे थे और बदले में खाने को रोटी मांग रहे थे। सेठानी काफी देर से उसको कह रही थी कि आ रही हूँ। रोटी हाथ में थी पर फिर भी कह रही थी कि रुको आ रही हूँ। साधू ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे और रोटी मांग रहे थे ।
सेठ ये सब देख रहा था पर समझ नहीं पा रहा था,
आखिर सेठानी से बोला- रोटी हाथ में लेकर खड़ी हो, वो बाहर मांग रहे हैं, उन्हें कह रही हो आ रही हूँ तो उन्हें रोटी क्यों नहीं दे रही हो?
सेठानी बोली- हाँ रोटी दूँगी, पर क्या है ना कि मुझे उनकी प्रार्थना बहुत अच्छी लग रही है, अगर उनको रोटी दे दूँगी तो वो आगे चले जायेंगे। मुझे उसकी प्रार्थना और सुननी है।
यदि प्रार्थना के बाद भी भगवान आपकी नहीं सुन रहे हैं तो समझना कि उस सेठानी की तरह प्रभु को आपकी प्रार्थना प्यारी लग रही है, इसलिये इंतजार करो और प्रार्थना करते रहो।
जीवन में कैसा भी दुःख और कष्ट आये पर प्रार्थना मत छोड़िए। क्या कष्ट आता है तो आप भोजन करना छोड़ देते हैं? क्या बीमारी आती है तो आप सांस लेना छोड़ देते हैं? नहीं ना? फिर जरा सी तकलीफ आने पर आप प्रार्थना करना क्यों छोड़ देते हो?
कभी भी दो चीजें मत छोड़िये। भोजन छोड़ दोगे तो जिंदा नहीं रहोगे और प्रार्थना छोड़ दोगे तो कहीं के नहीं रहोगे। सही मायने में जिंदगी में प्रार्थना और भोजन दोनों ही आवश्यक हैं।
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