निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन, सुन लो मेरी पुकार । पवनसुत विनती बारम्बार...
जगमग हुई अयोध्या नगरी, रतन सिंहासन राम विराजें, आई घड़ी महान, धूमधाम से अवधपुरी में, हो मंदिर निर्माण, अँखियाँ तरस गई सदियों से, झूमे सकल जहान, जगमग हुईं अयोध्या नगरी, सन्त करें गुणगान ॥
अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना, तुम्हारी लाड़ली सीता हुई बेहाल कह देना ।
राजा दशरथ कौशल्या, के घर में ख़ुशी, जब अयोध्या में जन्म, लिया राम ने, चैत्र महीने की वो थी, सुहानी घडी,
चैत्र नवमी को जन्म, लिया राम ने, राजा दशरथ कौशल्या, के घर में ख़ुशी, जब अयोध्या मे जन्म, लिया राम ने ॥