पंडित जी, वैशाली गाज़ियाबाद (Pandit Ji in Vaishali Ghaziabad)

पूजा अनुष्ठान, हवन, जन्मपत्री तथा त्योतिष आदि धार्मिक कार्यों हेतु गाज़ियाबाद महानगर के उप नगर जैसे वैशाली, इंदिरापुरम एवं वसुंधरा क्षेत्र के प्रतिष्ठित पंडित जी से आप भक्ति-भारत के द्वारा सम्पर्क कर सकते हैं। दिए गये सभी पंडितजी अपने-अपने क्षेत्र के प्रसिद्ध मंदिरों के प्रमुख महंत भी हैं।
पंडित जी मोबाइल जगह मंदिर
श्री लवकुश शास्त्री 📞 9818581904 वैशाली गुलमोहर शिवालय
श्री अमित बल्लभ शास्त्री 📞 9818825738 वैशाली शिव शक्ति मंदिर
पं. श्री राम शर्मा 📞 9811131339 वैशाली बालाजी मंदिर
पं. श्री कुलदीप शर्मा 📞 9971940445 इंदिरापुरम श्री शिव मंदिर
पं. प्रमोद कुमार मिश्रा 📞 8766227438 इंदिरापुरम बालाजी धाम मंदिर
पं. लक्ष्मीकांत द्विवेदी 📞 7042231046 वसुंधरा शिव शक्ति मंदिर
Pandit Ji in Vaishali Ghaziabad - Read in English
You can contact the Panditji of Vaishali, Indirapuram and Vasundhara region for religious functions like Puja rituals, havan and horoscopes etc.
गृह प्रवेश पूजा, गायत्री जप, गृह शांति, ग्रह दोष निवारण, हवन, मुंडन संस्कार, नाम करण, नवग्रह जाप, सत्यनारायण कथा, शुद्धि, भूमि पूजन, शांति पूजा, मूल शांति, वास्तु शांति, महा मृत्युंजय जाप, अन्नप्राशन पूजा, लघु रुद्र पूजा, नामकरण पूजा, विवाह पूजा, सगाई पूजा, दुर्गा पूजा, लक्ष्मी पूजा, गणेश प्रतिष्ठान, गणपति पूजा, नवरात्रि पूजा और वसंत पंचमी पूजा।
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हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का महत्व

अक्षय तृतीया का महत्व हिंदू धर्म में बहुत खास है। संस्कृत शब्द अक्षय का अर्थ है वह जो कभी कम न हो या अनन्त (एकांत) हो। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

भाद्रपद 2024

भाद्रपद माह हिन्दु कैलेण्डर में छठवाँ चन्द्र महीना है। जो भाद्र या भाद्रपद या भादो या भाद्रव के नाम से भी जाना जाता है।

सावन 2024

जानें! सावन से जुड़ी कुछ जानकारियाँ एवं सम्वन्धित प्रेरक तथ्य.. | सावन 2023: सावन प्रारम्भ: 4 जुलाई | सावन शिवरात्रि: 15 जुलाई | अधिक मास (सावन): 18 जुलाई - 16 अगस्त | सावन समाप्त: 31 अगस्त

नमस्कार करने के फायदे

नमस्कार भक्ति, प्रेम, सम्मान और विनम्रता जैसे दिव्य गुणों की एक सरल और सुंदर अभिव्यक्ति है।

जैन ध्वज क्या है?

जैन धर्म में जैन ध्वज महत्वपूर्ण है और इसके अनुयायियों के लिए एकता के प्रतीक के रूप में कार्य करता है। विभिन्न समारोहों के दौरान जैन ध्वज मंदिर के मुख्य शिखर के ऊपर फहराया जाता है।