गोविंद चले चरावन धेनु ।
गृह गृह तें लरिका सब टेरे
शृंगी मधुर बजाई बेनु ॥
सुरभी संग सोभित द्वै भैया
लटकत चलत नचावत नेंन ।
गोप वधू देखन सब निकसीं
कियो संकेत बताई सेंन ॥
ब्रजपति जब तें बन पाउँ धारे
न परत ब्रजजन पल री चैन ।
तजि गृह काज विकली सी डोलत
दिन अरि जाए हो एक बैन ।
जसोमति पाक परोसि कहति सखि
तूं ले जाउ बेगि इह देंन ।
गोविंद लिए बिरहनी दौरी,
तलफत जैसे जल बिनु मेंन ॥
गोविंद चले चरावन धेनु ।
गृह गृह तें लरिका सब टेरे
शृंगी मधुर बजाई बेनु ॥
पुस्तक: गोविंद स्वामी (पृष्ठ 41)
संपादक: कंठमणि शास्त्री 'विशारद'
रचनाकार: गोविंद स्वामी
Bhajan Gopashtami BhajanShri Krishna BhajanBrij BhajanBaal Krishna BhajanBhagwat BhajanJanmashtami BhajanLaddu Gopal BhajanRadhashtami BhajanShri Radha Krishna BhajanShri Radha Rani BhajanShri Shayam BhajanFalgun Mela BhajanGau BhajanGau Mata BhajanDhenu BhajanShri Rajendra Das Ji Maharaj Bhajan
** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें।