आशुतोष शशाँक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू..
कांवड़ सजा के चालो, सावन ऋतू है आई, भक्तो को शिव ने अपने, आवाज है लगाई, कावड़ सजा के चालो, सावन ऋतू है आई ॥
हे शिवशंकर हे करुणाकर, हे परमेश्वर परमपिता, हर हर भोले नमः शिवाय,
भोले भंडारी सबके ही भंडार भरे, जो पूजे उनको, उनका वो उद्धार करे
शिव शंकर का गुणगान करो, शिव भक्ति का रसपान करो, जीवन ज्योतिर्मय हो जाए
हे शिव शंकर परम मनोहर सुख बरसाने वाले, दुःख टालते भव से तार ते शम्भू भोले भाले..
ना मन हूँ, ना बुद्धि, ना चित अहंकार, ना जिव्या नयन नासिका, करण द्वार..