Shri Ram Bhajan

द्वारका पीठ के अगले शंकराचार्य कौन होंगे? (Who will be the next Shankaracharya of Dwarka Peeth?)

द्वारका पीठ के अगले शंकराचार्य कौन होंगे?
द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का रविवार दोपहर को निधन हो गया। स्वामीजी की देवलोक यात्रा के बाद उनके उत्तराधिकारी के नाम पर चर्चा तेज हो गई। उत्तराधिकारी की घोषणा के बाद संत समाज, द्वारका और ज्योतिष पीठ पर फैसला लेगा।
द्वारका पीठ के उत्तराधिकारी कौन हो सकता है?
उनके उत्तराधिकारी के तौर पर दो लोगों के नाम की काफी चर्चा है। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, द्वारका और ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य के उत्तराधिकारी थे। द्वारका शारदा पीठ के उत्तराधिकारी के रूप में दांडी स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज का नाम सबसे आगे है। वहीं दांडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज का नाम ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में चर्चित है। दोनों शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के मुख्य शिष्य माने जाते हैं।

ऐसा माना जाता है कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने उनके नाम पारंपरिक तरीके से वसीयत में रखे हैं।

कब स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी शंकराचार्य बने थे?
स्वामी स्वरूपानंद को 1950 में दांडी संन्यासी बनाया गया था। उन्होंने ज्योतिर्मठ पीठ के ब्रह्मलिन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती से दंड संन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के नाम से जाने गए। 1981 में उन्हें शंकराचार्य की उपाधि मिली। वे द्वारका पीठ के शंकराचार्य होने के साथ-साथ उत्तराखंड के जोशीमठ के ज्योतिषपीठ भी थे। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उन्हें ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य की उपाधि मिली। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की मृत्यु के बाद अब उनके उत्तराधिकारी की चर्चा तेज हो गई है।

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती 99 वर्ष के थे। उन्हें मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में सोमवार को भू समाधि दी जाएगी.

Who will be the next Shankaracharya of Dwarka Peeth? in English

Swami Swaroopanand Saraswati, Shankaracharya of Dwarkapeeth, passed away on Sunday afternoon. After Swamiji's Devlok Yatra, the discussion on the name of his successor intensified. After the announcement of the successor, the Sant Samaj will take a decision on Dwarka and Jyotish Peeth.
यह भी जानें

Blogs Sankaracharya BlogsDwarkapeeth BlogsNew Dwarkapeeth Sankaracharya BlogsSankaracharya Samadhi Blogs

अगर आपको यह ब्लॉग पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस ब्लॉग को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

ब्लॉग ›

ब्रज के भावनात्मक 12 ज्योतिर्लिंग

ब्रजेश्र्वर महादेव: (बरसाना)श्री राधा रानी के पिता भृषभानु जी भानोखर सरोवर मे स्नान करके नित्य ब्रजेश्वर महादेव की पूजा करते थे।

जैन ध्वज क्या है?

जैन धर्म में जैन ध्वज महत्वपूर्ण है और इसके अनुयायियों के लिए एकता के प्रतीक के रूप में कार्य करता है। विभिन्न समारोहों के दौरान जैन ध्वज मंदिर के मुख्य शिखर के ऊपर फहराया जाता है।

रुद्राभिषेक क्या है ?

अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ है – स्नान कराना। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक अर्थात शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना।

शरद विषुव | सितंबर विषुव

ग्रीष्म संक्रांति तब होती है जब पृथ्वी का सूर्य की ओर झुकाव अधिकतम होता है। इसलिए, ग्रीष्म संक्रांति के दिन, सूर्य दोपहर की स्थिति के साथ अपनी उच्चतम ऊंचाई पर दिखाई देता है जो ग्रीष्म संक्रांति से पहले और बाद में कई दिनों तक बहुत कम बदलता है।

ब्रह्म मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त सुबह का एक पवित्र समय है, जिसे भारतीय आध्यात्मिक और योगिक परंपराओं में अत्यधिक शुभ माना जाता है।

कांवर यात्रा की परंपरा किसने शुरू की?

धार्मिक ग्रंथों में माना जाता है कि भगवान परशुराम ने ही कांवर यात्रा की शुरुआत की थी। इसीलिए उन्हें प्रथम कांवरिया भी कहा जाता है।

तनखैया

तनखैया जिसका अर्थ है “सिख पंथ में, धर्म-विरोधी कार्य करनेवाला घोषित अपराधी।

Shiv Chalisa - Shiv Chalisa
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP