Shri Krishna Bhajan

श्री मातृ पञ्चकम् (Shri Mathru Panchakam)


श्री मातृ पञ्चकम्
आदि गुरु शंकराचार्य अपनी माँ की मृत्यु के समय अपनी माँ के पास पहुँचे तथा उन्होंने अपनी माँ का अंतिम संस्कार भी किया। जबकि शंकराचार्य होते हुए उनका अग्नि को हाथ लगाना वर्जित था। तब गुरु शंकराचार्य ने माँ पर समर्पित यह पांच श्लोक लिखे। यह संभवतः, उनकी लिखी एकमात्र रचना थी, जो किसी ईश्वर के लिए अथवा किसी भी दर्शन के लिए नहीं थी।
आस्तां तावदियं प्रसूतिसमये दुर्वारशूलव्यथा
नैरुच्यं तनुशोषणं मलमयी शय्या च संवत्सरी ।

एकस्यापि न गर्भभारभरणक्लेशस्य यस्याक्षमः
दातुं निष्कृतिमुन्नतोऽपि तनयस्तस्यै जनन्यै नमः ॥

मातः सोऽहमुपस्तितोऽस्मि पुरतः पूर्वप्रतिज्ञां स्मरन्,
प्रत्यश्रावि पुराहि तेऽन्त्य समये प्राप्तुं समीपं तव ।

ग्राहग्रासमिषाद्यया ह्यनुमतस्तुर्याश्रमं प्राप्तुवान्,
यत्प्रीत्यै च समागतोऽहमधुना तस्यै जनन्यै नमः ॥ १॥

ब्रूते मातृसमा श्रुतिर्भगवती यद्बार्हदारण्यकै,
तत्त्वं वेत्स्यति मातृमांश्च पितृमानाचार्यवानित्यसौ ।

तत्रादौ किल मातृशिक्षणविधिं सर्वोत्तमं शासती,
पूज्यात्पूज्यतरां समर्थयति यां तस्यै जनन्यै नमः ॥ २॥

अम्बा तात इति स्वशिक्षणवशादुच्चारणप्रक्रियां,
या सूते प्रथमं क्व शक्तिरिह नो मातुस्तु शिक्षां विना ।

व्युत्पत्तिं क्रमशश्च सार्वजनिकीं तत्तत्पदार्थेषु या,
ह्याधत्ते व्यवहारमप्यवकिलं तस्यै जनन्यै नमः ॥ ३॥

इष्टानिष्टहिताहितादिधिषणाहौना वयं शैशवे,
कीटान् शष्कुलवित् करेण दधतो भक्ष्याशया बालिशाः ।

मात्रा वारितसाहसाः खलुततो भक्ष्याण्यभक्ष्याणि वा,
व्यज्ञासिष्म हिताहिते च सुतरां तस्यै जनन्यै नमः ॥ ४॥

आत्मज्ञानसमार्जनोपकरणं यद्देहयन्त्रं विदुः
तद्रोगादिभयान्मृगोरगरिपुव्रातादवन्ती स्वयम् ।

पुष्णन्ती शिषुमादराद्गुरुकुलं प्रापय्य कालक्रमात्
या सर्वज्ञशिखामणिं वितनुते तस्यै जनन्यै नमः ॥ ५॥
- श्री शङ्कराचार्य कृतं

Shri Mathru Panchakam in English

Shri Maatah Sohamupastitosmi Puratah Poorvapratigyan Smaran, Pratyashravi Purahi Tenty Samaye Praptun Samipan Tav ।
यह भी जानें

Mantra Matra MantraMother MantraMaa MantraMata MantraAdi Shankaracharya MantraBy Sooryagayathri MantraMothers Day Mantra

अन्य प्रसिद्ध श्री मातृ पञ्चकम् वीडियो

अगर आपको यह मंत्र पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस मंत्र को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

मंत्र ›

श्री तुलसी स्तुति

जगद्धात्रि नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे । यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टिस्थित्यन्तकारिणः..

वक्रतुण्ड महाकाय - गणेश मंत्र

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

संकट मोचन हनुमानाष्टक

बाल समय रवि भक्षी लियो तब।.. लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।...

दामोदर अष्टकम

नमामीश्वरं सच्-चिद्-आनन्द-रूपं, लसत्-कुण्डलं गोकुले भ्राजमनम्य, शोदा-भियोलूखलाद् धावमानं

श्रीरामचन्द्राष्टकम्

सदा सेव्यः पूर्णोजनकतनयाङ्गः सुरगुरू, रमानाथो रामो रमतुमम चित्ते तु सततम्॥1॥

श्री तुलसी नामाष्टक स्तोत्रम्

वृंदा, वृन्दावनी, विश्वपुजिता, विश्वपावनी । पुष्पसारा, नंदिनी च तुलसी, कृष्णजीवनी..

श्री नृसिंह मंत्र

उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम् । नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ॥

Ganesh Aarti Bhajan - Ganesh Aarti Bhajan
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP