Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel
Hanuman Chalisa - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa -

खुद की मदद करें, भगवान भी तभी मदद करेंगे - प्रेरक कहानी (Khud Ki Madad Karen Bhagawan Bhi Tabhi Karenge)


Add To Favorites Change Font Size
एक बार की बात है कि किसी दूर गाँव में एक किसान रहता था। उन दिनों बारिश का समय था चारों तरफ गड्ढों में पानी भरा हुआ था। कच्ची सड़क बारिश की वजह से फिसलन भरी हो गयी थी। सुबह सुबह किसान को बैलगाड़ी लेकर कुछ धन कमाने बाजार जाना होता था लेकिन आज बारिश की वजह से बहुत दिक्कत हो रही थी। फिर भी किसान धीरे धीरे सावधानी पूर्वक बैलगाड़ी लेकर बाजार की ओर जा रहा था।
अचानक रास्ते में एक गड्ढा आया और बैलगाड़ी का पहिया गड्ढे में फंस गया। कीचड़ भरे गड्ढे से निकलना काफी मुश्किल था। बैल ने भी अपनी पूरी ताकत लगायी लेकिन सफलता नहीं मिली। अब तो किसान बुरी तरह परेशान हो उठा। उसने चारों तरफ नजर घुमाई लेकिन ख़राब मौसम में दूर दूर तक कोई नजर नहीं आया। किसान सोचने लगा कि किससे मदद माँगे कोई इंसान दिखाई ही नहीं दे रहा। किसान दुखी होकर एक तरफ बैठ गया और मन ही मन अपने भाग्य को कोसने लगा। हे भगवान! ये तूने मेरे साथ क्या किया? कोई आदमी भी दिखाई नहीं दे रहा इतना खराब नसीब मुझे क्यों दिया? किसान खुद के भाग्य को कोसे जा रहा था।

तभी वहाँ से एक सन्यासी गुजरे उन्होंने किसान को देखा तो किसान सन्यासी के पास जाकर अपनी परेशानी बताने लगा। मैं सुबह से यहाँ बैठा हूँ, मेरी गाड़ी फँस गयी है और मेरा नसीब भी इतना ख़राब है कि कोई मेरी मदद करने भी नहीं आया। भगवान ने मेरे साथ बहुत अन्याय किया है। सन्यासी उसकी सारी बात सुनकर बोले: तुम इतनी देर से यहाँ बैठे अपने भाग्य को कोस रहे हो और भगवान को बुरा भला बोल रहे हो, क्या तुमने खुद अपनी गाड़ी निकालने का प्रयास किया?

किसान: नहीं,
सन्यासी: तो फिर किस हक़ से तुम भगवान को दोष दे रहे हो, भगवान उन्हीं लोगों की मदद करते हैं जो स्वयं की मदद करते हैं।

अब किसान के बात समझ में आ गयी उसने तुरंत पहिया निकालने का प्रयास किया और वो सफल भी हुआ।

ज्यादातर लोग उस किसान की ही तरह हैं जो खुद कुछ नहीं करना चाहते और हमेशा अपने भाग्य और दूसरे लोगों को कोसते रहते हैं। हमें लगता है कि भगवान ने हमारे साथ बहुत गलत किया है। हममें से कोई डॉक्टर बनना चाहता है, कोई इंजिनियर, कोई कलेक्टर, कोई लेकिन जब हम अपने काम में सफल नहीं होते तो यही विचार हमारे दिमाग में आता है कि हमारा भाग्य ख़राब है और भगवान ने कुछ नहीं दिया। लेकिन शायद आप भूल रहे हैं कि भगवान ने आपको, हम सबको एक बहुत अमूल्य चीज़ दी है: ये शरीर। आपके अंदर हर सामर्थ्य है तो फिर आप भाग्य भरोसे क्यों हैं? भगवान भी उन्हीं लोगों की मदद करते हैं जो खुद की मदद करते हैं। किसी महान पुरुष का एक दोहा है:

विद्या धन उद्धम बिना, कहूँ जो पावे कौन,
बिना डुलाये ना मिले, ज्यूँ पंखा की पौन
मतलब बिना कार्य किये आप कुछ नहीं पा सकते। जैसे आपके सामने पंखा रखा हो लेकिन वो जब तक आपको हवा नहीं देगा जब तक उसे अपने हाथ से झलेंगे नहीं।

आप खुद की मदद करिये तभी भगवान भी आपकी मदद करेंगे तो आओ आज मिलकर एक साथ शपथ लेते हैं कि कभी अपने भाग्य को नहीं कोसेंगे और स्वयं ही अपने कर्णधार बनेंगे।
यह भी जानें
---- कहानी से जुड़ी एक और प्रेरक कहानी ----

एक गाँव में एक साधू रहते थे जो दिन रात कड़ी तपस्या करते थे और उनका भगवान पर अटूट विश्वास था। गाँव में भयंकर तेज बारिश हुई। बढ़ते हुए पानी को देखकर गाँव वाले सुरक्षित स्थान पर जाने लगे।

लोगों ने उन साधू को सुरक्षित स्थान पर चलने को कहा, लेकिन साधू ने यह कहकर मना कर दिया कि: तुम लोग जाओ मुझे मेरे भगवान पर पूरा भरोसा है, वे मुझे बचाने जरूर आएँगे।

धीरे धीरे पूरा गाँव पानी से लबालब हो गया और पानी साधू के घुटनों तक आने लगा तभी वहां पर एक गाड़ी आई और उसमें सवार व्यक्ति ने साधू को गाड़ी में आने के लिए कहा लेकिन साधू ने फिर यह कहकर मना कर दिया: मुझे तुम्हारी कोई आवश्यकता नहीं, मुझे मेरा भगवान जरूर बचाने आएगा।

गाड़ी वाला वहां से चला गया। पानी बढ़ने लगा और साधू भगवान को याद करने लगा तभी वहां पर एक नांव आई।
बचावकर्मी ने कहा: जल्दी से आइये मुनिवर, मैं आपको सुरक्षित स्थान पर छोड़ देता हूँ।

साधू ने कहा: मेरे भगवान मुझे बचाने जरूर आयेंगे, तुम यहाँ से चले जाओ।

बचावकर्मी ने कहा: गुरुवर मुझे अन्य लोगों को भी सुरक्षित स्थान पर पहुँचाना है, आप समय बर्बाद मत कीजिए, जल्दी आइये

लेकिन साधू ने अपनी जिद नहीं छोड़ी, आख़िरकार वह नांव वाला अन्य लोगों को बचाने के लिए वहां से चला गया। कुछ ही देर बाद साधू बाढ़ में बह गए और उनकी मृत्यु हो गयी ।

मरने के बाद साधू जब स्वर्ग पहुंचे तो उन्होंने भगवान से कहा: हे भगवान मैंने कई वर्षों तक कड़ी तपस्या की और आप पर इतना विश्वास किया लेकिन आप मुझे बचाने नहीं आये।

भगवान ने कहा: मैंने तुम्हे बचाने एक बार नहीं बल्कि तीन बार प्रयत्न किया। तुम्हे क्या लगता है, तुम्हारे पास लोगों को, गाड़ी को और नावं को किसने भेजा था?

असफलता केवल दो तरह की होती है:
* पहली असफलता अवसर को न पहचानना हैं
* और दूसरी असफलता अवसर को पहचानने के बाद भी प्रयास न करना है।

Prerak-kahani Kisan Prerak-kahaniFarmer Prerak-kahaniBhagwan Prerak-kahaniGod Prerak-kahaniKisan Prerak-kahaniBail Gadi Prerak-kahaniBullock Cart Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

गोस्वामी तुलसीदास की श्री हनुमान जी से भेंट - सत्य कथा

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा श्री हनुमान जी के दर्शन: गोस्वामी जी काशी मे प्रह्लाद घाटपर प्रतिदिन वाल्मीकीय रामायण की कथा सुनने जाया करतेे थे।..

कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी

प्रेरक कहानी: कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता फिर भी नाम जपने के लिये बैठ जाते है, क्या उसका भी कोई फल मिलता है?

नारद मुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे

एक बार की बात है, वीणा बजाते हुए नारद मुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे। नारायण नारायण !! नारदजी ने देखा कि द्वार पर हनुमान जी पहरा दे रहे है। हनुमान जी ने पूछा: नारद मुनि! कहाँ जा रहे हो?

सिय राम मय सब जग जानी - प्रेरक कहानी

अरे महात्मा जी, इस रास्ते से मत जाइये आगे एक बैल गुस्से में लोगों को मारता हुआ घूम रहा है। और आपने तो लाल वस्त्र भी पहन रखे हैं...

हनुमानजी की उपासना से आयु वृद्धि होती है - प्रेरक कहानी

चित्रकूटके घाट पर, भइ संतन की भीर । तुलसिदास चंदन घिसें, तिलक देन रघुबीर ॥..

गोस्वामी तुलसीदास की सूरदास जी से भेंट - सत्य कथा

श्री सूरदास जी से भगवान् का विनोद करना | तुलसीदास जी वाला पलड़ा भारी हो गया। अब सूरदास श्री को बड़ा दुःख हुआ | किशोरी जी जहाँ हो वहाँ का पलड़ा तो भारी होगा ही..

तुलसीदास जी रचित श्री रामचरितमानस के प्रथम श्रोता - सत्य कथा

श्री रामचरितमानस के प्रथम श्रोता संत: मनुष्यों में सबसे प्रथम यह ग्रन्थ सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ मिथिला के परम संत श्रीरूपारुण स्वामीजी महाराज को।

Hanuman Chalisa -
Hanuman Chalisa -
×
Bhakti Bharat APP