Shri Krishna Bhajan
गूगल पर भक्ति भारत को अपना प्रीफ़र्ड सोर्स बनाएँ

श्री विज्ञ राजं भजे - गणेश मंत्र (Sri Vighnarajam Bhaje)


श्री विज्ञ राजं भजे - गणेश मंत्र
पल्लवि
श्री विज्ञ राजं भजे - भजेहम् भजेहम्
भजेहम् भजे - तमिह
अनुपल्लवि
सन्ततमहम् कुन्जरमुहम्
शन्करसुतम् - तमिह
सन्ततमहम् दन्ति सुन्दर मुखम्
अन्तकान्तक सुतम् - सिव
शन्करि सुतम् - तमिह

चरणम् 1
सेवित सुरेन्द्र महनीय गुणशीलम्
जपत समादि सुख वरद - अनुकूलम्
भावित सुरमणि गन भक्त परिपालम्
भयन्कर विशन्ग मातन्ग कुलकालम्

चरणम् 2
कनक केयूर हारावलि कलित
गम्भीर गौरगिरि शोभम् सुशोभम्
कामादि भय भरित मूड मद
कलिकलुश कन्तित मखन्ड प्रतापम् - प्रतापम्
सनक सुख नारद पदन्जलि पराच्हर
मतन्ग मुनिसन्ग सल्लापम् - सल्लापम्
सत्य पर मब्ज नयनप्रमुद मुक्तिकर
तत्वमसि नित्य निगमादि स्वरूपम्

Sri Vighnarajam Bhaje in English

Shri Vigyan Rajan Bhaje - Bhajeham Bhajeham, Bhajehum Bhaje - Tamih, Santatmaham Kunjarmuham..
यह भी जानें

Mantra Shri Ganesh MantraShri Vinayak MantraGanpati MantraGanpati Bappa MantraGaneshotsav MantraGajanan MantraGanesh Chaturthi Mantra

अगर आपको यह मंत्र पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस मंत्र को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

मंत्र ›

महामृत्युंजय मंत्र

मंत्र के 33 अक्षर हैं जो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 कोटि(प्रकार)देवताओं के द्योतक हैं।

शिव स्तुति: ॐ वन्दे देव उमापतिं सुरगुरुं

ॐ वन्दे देव उमापतिं सुरगुरुं, वन्दे जगत्कारणम् । वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं..

शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र

॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥ नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।

मधुराष्टकम्: अधरं मधुरं वदनं मधुरं

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं। हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥

अच्युतस्याष्टकम् - अच्युतं केशवं रामनारायणं

अच्युतं केशवं रामनारायण कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् । श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकीनायकं रामचंद्रं भजे ॥..

सप्त चिरंजीवी - मंत्र

अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषणः । कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविनः ॥

श्री श्रीगुर्वष्टक

संसार - दावानल - लीढ - लोक - त्राणाय कारुण्य - घनाघनत्वम् । प्राप्तस्य कल्याण - गुणार्णवस्य वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम् ॥ 1

Shiv Chalisa - Shiv Chalisa
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP