Haanuman Bhajan

आठवी पीढ़ी की चिन्ता - प्रेरक कहानी (Aathavi Peedhi Ki Chinta)


Add To Favorites Change Font Size
आटा आधा किलो | सात पीढ़ी की चिंता सब करते हैं.. आठवी पीढ़ी की कौन करता है..
एक दिन एक सेठ जी को अपनी सम्पत्ति के मूल्य निर्धारण की इच्छा हुई। लेखाधिकारी को तुरन्त बुलवाया गया।
सेठ जी ने आदेश दिया- मेरी सम्पूर्ण सम्पत्ति का मूल्य निर्धारण कर ब्यौरा दीजिए, यह कार्य अधिकतम एक सप्ताह में हो जाना चाहिए।
ठीक एक सप्ताह बाद लेखाधिकारी ब्यौरा लेकर सेठ जी की सेवा में उपस्थित हुआ..
सेठ जी ने पूछा- कुल कितनी सम्पदा है?
सेठ जी, मोटे तौर पर कहूँ तो आपकी सात पीढ़ी बिना कुछ किए धरे आनन्द से भोग सके इतनी सम्पदा है आपकी। - लेखाधिकारी बोला

लेखाधिकारी के जाने के बाद सेठ जी चिंता में डूब गए, तो क्या मेरी आठवी पीढ़ी भूखों मरेगी? वह रात दिन चिंता में रहने लगे। तनाव ग्रस्त रहते, भूख भाग चुकी थी, कुछ ही दिनों में कृशकाय हो गए।

सेठानी जी द्वारा बार-बार तनाव का कारण पूछने पर भी जवाब नहीं देते। सेठानी जी से सेठ जी की यह हालत देखी नहीं जा रही थी। मन की स्थिरता व शान्त्ति का वास्ता देकर सेठानी ने सेठ जी को साधु संत के पास सत्संग में जाने को प्रेरित कर ही लिया।

सेठ जी भी पँहुच गए एक सुप्रसिद्ध संत समागम में। एकांत में सेठ जी ने सन्त महात्मा से मिलकर अपनी समस्या का निदान जानना चाहा।
महाराज जी! मेरे दुःख का तो पार ही नहीं है, मेरी आठवी पीढ़ी भूखों मर जाएगी। मेरे पास मात्र अपनी सात पीढ़ी के लिए पर्याप्त हो इतनी ही सम्पत्ति है। कृपया कोई उपाय बताएँ कि मेरे पास और सम्पत्ति आए और अगली पीढ़ियाँ भूखी न मरे। आप जो भी बताएं मैं अनुष्ठान, विधि आदि करने को तैयार हूँ। सेठ जी ने सन्त महात्मा से प्रार्थना की।

संत महात्मा जी ने समस्या समझी और बोले- इसका तो हल तो बड़ा आसान है। ध्यान से सुनो, सेठ! बस्ती के अन्तिम छोर पर एक बुढ़िया रहती है, एक दम कंगाल और विपन्न। न कोई कमाने वाला है और न वह कुछ कमा पाने में समर्थ है। उसे मात्र आधा किलो आटा दान दे दो। यदि वह यह दान स्वीकार कर ले तो इतना पुण्य उपार्जित हो जाएगा कि तुम्हारी मनोकामना पूर्ण हो जाएगी। तुम्हें अवश्य अपना वांछित प्राप्त होगा।

सेठ जी को बड़ा आसान उपाय मिल गया। अब कहां सब्र था उन्हें। घर पहुंच कर सेवक के साथ एक क्विंटल आटा लेकर पहुँच गए बुढिया की झोंपड़ी पर।
माताजी! मैं आपके लिए आटा लाया हूँ इसे स्वीकार कीजिए - सेठ जी बोले।
आटा तो मेरे पास है, बेटा! मुझे नहीं चाहिए - बुढ़िया ने स्पष्ट इन्कार कर दिया।
सेठ जी ने कहा- फिर भी रख लीजिए l
बूढ़ी मां ने कहा- क्या करूंगी रख कर मुझे आवश्यकता ही नहीं है।
सेठ जी बोले- अच्छा, कोई बात नहीं,एक क्विंटल न सही यह आधा किलो तो रख लीजिए l
बेटा! आज खाने के लिए जरूरी,आधा किलो आटा पहले से ही मेरे पास है, मुझे अतिरिक्त की जरूरत नहीं है। बुढ़िया ने फिर स्पष्ट मना कर दिया।

लेकिन सेठ जी को तो सन्त महात्मा जी का बताया उपाय हर हाल में पूरा करना था। एक कोशिश और करते सेठ जी बोले तो फिर इसे कल के लिए रख लीजिए।
बूढ़ी मां ने कहा- बेटा! कल की चिंता मैं आज क्यों करूँ, जैसे हमेशा प्रबंध होता आया है कल के लिए भी कल ही प्रबंध हो जाएगा। इस बार भी बूढ़ी मां ने लेने से साफ इन्कार कर दिया।

सेठ जी की आँखें खुल चुकी थी, एक गरीब बुढ़िया कल के भोजन की चिंता नहीं कर रही और मेरे पास अथाह धन सामग्री होते हुए भी मैं आठवी पीढ़ी की चिन्ता में घुल रहा हूँ। मेरी चिंता का कारण अभाव नहीं तृष्णा है।
यह भी जानें

Prerak-kahani Sheth Prerak-kahaniOld Lady Prerak-kahaniBudhi Mai Prerak-kahaniGreedy Prerak-kahaniAdha Kilo Aata Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

दुर्लभ मनुष्य जीवन - प्रेरक कहानी

फिर उसने अपनी जेब में हाथ डाल कुछ सौ-सौ के नोट गिने। सामान्य कटोरे की भाँति समझ कर कौड़ियां इक्कट्ठे करने में लगे हुए हैं।..

कद्दू का तीर्थ स्नान - प्रेरक कहानी

वह कद्दू ले लिया, और जहाँ-जहाँ गए, स्नान किया वहाँ-वहाँ स्नान करवाया। मंदिर में जाकर दर्शन किया तो उसे भी दर्शन करवाया।...

ठाकुर जी सेवा में अहंकार नहीं विनम्रता रखें - प्रेरक कहानी

कमल किशोर सोने एवं हीरे-जवाहरात बनाने एवं बेचने का काम करता था। उसकी दुकान से बने हुए गहने दूर-दूर तक मशहूर थे।...

जो मुझ से प्रेम रखता है, जो सर्व-शक्तिशाली है - प्रेरक कहानी

मैंने श्राप कभी नहीं दीया, लेकिन कोई है जो मुझ से प्रेम रखता है! और वह इतना शक्तिशाली है कि दुनिया का बड़े से बड़ा राजा भी उसकी लाठी से डरता है...

खुद की मदद करें, भगवान भी तभी मदद करेंगे - प्रेरक कहानी

सन्यासी: तो फिर किस हक़ से तुम भगवान को दोष दे रहे हो, भगवान उन्हीं लोगों की मदद करते हैं जो स्वयं की मदद करते हैं।

जब श्री कृष्ण बोले, मुझे कहीं छुपा लो - प्रेरक कहानी

एक बार की बात है कि यशोदा मैया प्रभु श्री कृष्ण के उलाहनों से तंग आ गयीं और छड़ी लेकर श्री कृष्ण की ओर दौड़ी।...

भक्त के अधीन भगवान - सदना कसाई की कहानी

एक कसाई था सदना। वह बहुत ईमानदार था, वो भगवान के नाम कीर्तन में मस्त रहता था। यहां तक की मांस को काटते-बेचते हुए भी वह भगवान नाम गुनगुनाता रहता था।

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Bhakti Bharat APP