Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa -

दान करने से वस्तु घटती नहीं - प्रेरक कहानी (Daan Karne Se Bastu Ghatati Nahi)


Add To Favorites Change Font Size
एक दयालु नरेश | दान करने से वस्तु घटती नहीं
एक राजा बड़े धर्मात्मा और दयालु थे, किंतु उनसे भूलसे कोई एक पाप हो गया था। जब उनकी मृत्यु हो गयी, तब उन्हें लेने यमराजके दूत आये। यमदूतों ने राजाको कोई कष्ट नहीं दिया। यमराजने उन्हें इतना ही कहा था कि वे राजाको आदरपूर्वक नरकों के पास से आने वाले रास्ते से ले आवें। राजाकी भूल से जो पाप हुआ था, उसका इतना ही दण्ड था।
यमराज के दूत राजा को लेकर जब नरकों के पास पहुँचे तो नरक में पडे़ प्राणियों के चीखने, चिल्लाने, रोने का शब्द सुनकर राजा का हृदय घबरा उठा। वे वहाँ से जल्दी-जल्दी जाने लगे।
इसी समय नरक में पड़े जीवों ने उनसे पुकार कर प्रार्थना की - महाराज! आपका कल्याण हो! हम लोगों पर दया करके आप एक घड़ी यहाँ खड़े रहिये। आपके शरीरसे लगकर जो हवा यहाँ आती है, उसके लगने से हम लोगों की जलन और पीड़ा एकदम दूर हो जाती है। हमें इससे बड़ा सुख मिल रहा है।

राजा ने उन नारकी जीवों की प्रार्थना सुनकर कहा - मित्रो! यदि मेरे यहाँ खड़े रहनेसे आप लोगों को सुख मिलता है तो मैं पत्थर की भाँति अचल होकर यहीं खड़ा रहूँगा। मुझे यहाँ से अब आगे नहीं जाना है।

यमदूतोंने राजासे कहा- आप तो धर्मात्मा हैं। आपके खड़े होने का यह स्थान नहीं है। आपके लिये तो स्वर्ग में बहुत उत्तम स्थान बनाये गये हैं। यह तो पापी जीवों के रहने का स्थान है। आप यहाँ से झटपट चले चलें।

राजाने कहा- मुझे स्वर्ग नहीं चाहिये। भूखे-प्यासे रहना और नरक की आग में जलते रहना मुझे बहुत अच्छा लगेगा, यदि अकेले मेरे दु:ख उठाने से इन सब लोगोंको सुख मिले। प्राणियों की रक्षा करने और उन्हें सुखी करने में जो सुख है वैसा सुख तो स्वर्ग या ब्रह्मलोक में भी नहीं है।

उसी समय वहाँ धर्मराज तथा इन्द्र आये।
धर्मराजने कहा- राजन्! मैं आपको स्वर्ग ले जाने के लिये आया हूँ। अब आप चलें।
राजाने कहा- जब तक ये नरक में पड़े जीव इस कष्ट से नहीं छूटेंगे, मैं यहाँ से कहीं नहीं जाऊँगा।
धर्मराज बोले- ये सब पापी जीव हैं। इन्होंने कोई पुण्य नहीं किया है। ये नरक से कैसे छूट सकते हैं?
राजाने कहा- मैं अपना सब पुण्य इन लोगों को दान कर रहा हूँ। आप इन लोगों को स्वर्ग ले जायँ। इनके बदले मैं अकेले नरक में रहूँगा।

राजाकी बात सुनकर देवराज इन्द्रने कहा- आपके पुण्य को पाकर नरक के प्राणी दु:खों से छूट गये हैं। देखिये ये लोग अब स्वर्ग जा रहे हैं। अब आप भी स्वर्ग चलिये।
राजा ने कहा- मैंने तो अपना सब पुण्य दान कर दिया। अब आप मुझे स्वर्ग में चलने को क्यों कहते हैं?
देवराज हँसकर बोले- दान करने से वस्तु घटती नहीं, बढ़ जाती है। आपने इतने पुण्यों का दान किया, यह दान उन सबसे बड़ा पुण्य हो गया। अब आप हमारे साथ पधारें। दु:खी प्राणियों पर दया करनेसे ये नरेश अनन्त काल तक स्वर्ग का सुख भोगते रहे।
यह भी जानें

Prerak-kahani Daan Prerak-kahaniDonation Prerak-kahaniDonate Prerak-kahaniCharity Prerak-kahaniRaja Prerak-kahaniKing Prerak-kahaniYamdoot Prerak-kahaniIndra Dev Prerak-kahaniSwarg Prerak-kahaniNarak Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

भक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

अन्तत: अन्तिम निर्णय ईश्वर ही करता है - प्रेरक कहानी

जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने को थी। वो एकांत जगह की तलाश में घुम रही थी, कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी।...

उलटे भजन का सीधा भाव

एक बार एक व्यक्ति श्री वृंदावन धाम में दर्शन करने गया। तभी एक संत अपनी कुटिया के बाहर बैठे बड़ा अच्छा पद गा रहे थे कि हो नयन हमारे अटके श्री बिहारी जी के चरण कमल में..

बच्चे की राजा को 4 शर्तें - प्रेरक कहानी

एक बार एक राजा नगर भ्रमण को गया तो रास्ते में क्या देखता है कि, एक छोटा बच्चा माटी के खिलौनो को कान में कुछ कहता फिर तोड कर माटी में मिला रहा है..

गुरु नानक जी के आशीर्वाद का रहस्य - प्रेरक कहानी

एक बार गुरु नानक देव जी अपने शिष्यों के साथ एक ऐसे गांव में पहुंचे जहां के लोग साधु-संन्यासी लोगों को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते थे...

मुझे वो दो जो तेरा है - प्रेरक कहानी

एक बार गुरु नानक देव जी अपने शिष्यों के साथ एक ऐसे गांव में पहुंचे जहां के लोग साधु-संन्यासी लोगों को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते थे...

संगत ही गुण होत है, संगत ही गुण जाय: प्रेरक कहानी

संगत का प्रभाव: एक राजा का तोता मर गया। उन्होंने कहा: मंत्रीप्रवर! हमारा पिंजरा सूना हो गया। इसमें पालने के लिए एक तोता लाओ।

हर समस्या का कोई हल होता है - प्रेरक कहानी

परेशानी के भंवर मे अपने को फंसा पाओ, कोई प्रकाश की किरण नजर ना आ रही हो, हर तरफ निराशा और हताशा हो तब तुम इस ताबीज को खोल कर इसमें रखे कागज़ को पढ़ना, उससे पहले नहीं!

Hanuman Chalisa -
Om Jai Jagdish Hare Aarti -
×
Bhakti Bharat APP