Shri Ram Bhajan

सुलझन के लिये सद्‌गुरु की बुद्धि से चलो - प्रेरक कहानी (Sulajhan Ke Liye Sadguru Ki Buddhi Se Chalo)


Add To Favorites Change Font Size
एक बार एक महात्मा जी के दरबार मे एक राहगीर आया और उसने पुछा की हॆ महात्मन सद्‌गुरु की आज्ञा का पालन कैसे करना चाहिये?
महात्मा जी ने कहा की बहुत समय पहले की बात है की दो राज्य बिल्कुल पास पास मे थे एक राज्य बहुत बड़ा और एक राज्य छोटा था। बड़े राज्य के पास अच्छीखासी सेना थी और छोटे राज्य के पास ठीक ठाक सेना थी।

बड़े राज्य के राजा विजय प्रताप के मन मे पाप आया की क्यों न इस छोटे राज्य को अपने राज्य मे शामिल कर लिया जायें और उसने छोटे राज्य पर आक्रमण करने की तैयारी शुरू कर दी इधर छोटे राज्य के राजा धर्मराज अपने गुरुवर के पास गये।

और उधर विजयप्रताप को उनके गुरू ने समझाया की बेटा युध्द से पहले एक बार अपना दूत वहाँ भेजकर धर्मराज जी को समझा दो की वो आत्मसमर्पण कर दे तो बड़ी जनहानी रुक जायेगी और बिना युध्द के आपका काम हो जायेगा और एक बात का ध्यान रखना की वहाँ उसे भेजना जो आपके लिये सबसे अहम हो और वहाँ की पलपल की जानकारी आपको दे सके।

राजा ने सोचा मेरे लिये सबसे अहम तो मैं ही हूँ, और विजयप्रताप स्वयं भेश बदलकर गये। राजा धर्मराज और राजा विजयप्रताप एक ऊँची पहाडी पर माँ काली के मन्दिर मे मिले राजा विजयप्रताप ने अपना प्रस्ताव रखा तो राजा धर्मराज ने कहा हॆ देव पहले आप मेरी एक बात सुनिये फिर आप कहोगे तो मैं आपका प्रस्ताव मान लूँगा और राजा धर्मराज जी ने ताली बजाई एक सैनिक आया धर्मराज जी ने कहा जाओ उस पहाडी से नीचे कुद जाओ सैनिक भागकर गया और पहाडी से नीचे जा कुदा फिर धर्मराज ने ताली बजाई एक सैनिक आया और राजा ने वही कहा और सैनिक पहाडी से नीचे जा कुदा हॆ वत्स इस तरह धर्मराज जी ने तीन बार ताली बजाई सैनिक आये और इस तरह सैनिक बिना कुछ कहे पहाडी से जा कुदे।

विजयप्रताप ने कहा अरे ये कैसा पागलपन तो धर्मराज जी ने कहा हॆ मित्र जब तक ऐसे स्वामी भक्त योद्धा हमारे पास है तब तक हम कभी हार स्वीकार नही कर सकते और राजा विजयप्रताप तत्काल उठे अपने राज्य पहुँचे और उन्होंने भी वैसे ही किया पर कोई भी पहाडी से न कुदा सब तर्क-कुतर्क करने लगे फिर राजा तत्काल धर्मराज जी के पास पहुँचे और उन्होंने धर्मराज जी के आगे अपना मस्तक झुका दिया।

राहगीर: ऐसे स्वामी-भक्त सैनिक बड़े ही आदरणीय और दुर्लभ है देव।

महात्मा: हाँ वत्स यही तो मैं आपसे कह रहा हूँ की जब सद्‌गुरु कुछ कहे तो बिना कुछ बोले उसकी पालना कर लेना बड़े लाभ मे रहोगे। महात्मा जी ने आगे कहा की ये तीन सैनिक और कोई नही है ये तीन तन, मन और धन जब भी सद्‌गुरु कुछ कहे तो रणभूमि मे तन मन धन से कुद पड़ना और हॆ वत्स ये कभी न भुलना की सद्‌गुरु के समान कोई हितेषी नही है। और सद्‌गुरु और सच्चे सन्त से तर्क वितर्क कभी मत करना क्योंकि जो तर्क वितर्क मे उलझते है वो फिर उलझते ही चले जाते है और जो नही करते है वो सुलझ जाते है।

उलझन के लिये अपनी बुद्धि लगाओ और सुलझन के लिये सद्‌गुरु की बुद्धि से चलो अर्थात जो भी सद्‌गुरु कहे उसे तत्काल मान लो। और सद्‌गुरु वही है जो तुम्हारा तार हरि से जोड़कर हरि को आगे करके स्वयं पिछे हट जायें ऐसे सद्‌गुरु का आदेश परमधर्म है।

गुरु स्तुति | गुरु पादुका स्तोत्रम् | श्री गुरु अष्टकम | गुरु मेरी पूजा, गुरु गोबिंद, गुरु मेरा पारब्रह्म | गुरु भजन
यह भी जानें

Prerak-kahani Guru Prerak-kahaniGurudev Prerak-kahaniGuru Purnima Prerak-kahaniVyasa Purnima Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

श्री गणेश एवं बुढ़िया माई की कहानी

एक बुढ़िया माई थी। मिट्टी के गणेश जी की पूजा करती थी। रोज बनाए रोज गल जाए। एक सेठ का मकान बन रहा था..

भक्तमाल सुमेरु तुलसीदास जी - सत्य कथा

भक्तमाल सुमेरु श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज| वृंदावन में भंडारा | संत चरण रज ही नहीं अपितु पवित्र व्रजरज इस जूती पर लगी है | हां ! संत समाज में दास को इसी नाम से जाना जाता है..

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा जगन्नाथ जी दर्शन - सत्य कथा

जगन्नाथ जी का दर्शन | जगन्नाथ जी ने आपके लिए प्रसाद भेजा है | मेरे मंदिर के चारों द्वारों पर हनुमान का पहरा है | वह स्थान तुलसी चौरा नाम से विख्यात हुआ..

तुलसीदास जी द्वारा श्री रामचरितमानस की रचना - सत्य कथा

दो वर्ष सात महीने छब्बीस दिन मे श्रीरामचरित मानस की रचना समाप्त हुई। संवत् १६३३ मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष में रामविवाह के दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।

तुलसीदास जी ने स्त्री को पुरुष मे बदला: सत्य कथा

चरवारी के ठाकुर की लड़की जो कि बहुत ही सुन्दरी थी। इसके माता पिता को बहुत प्रयास करने पर पुत्र प्राप्त नहीं हुआ, पुत्री हो गयी।

पीपल एवं पथवारी की कथा - प्रेरक कहानी

एक बुढ़िया थी। उसने अपनी बहू से कहा तू दूध दही बेच के आ। वह बेचने गई तो रास्ते में औरतें पीपल पथवारी सींच रहीं थीं..

सफल लाइफ में ऐसा कोई भी शॉर्टकट नहीं - प्रेरक कहानी

एक बार एक चिड़िया जंगल मे अपने मीठे सुर मे गाना गा रही थी। तभी, उसके पास से एक किसान कीड़ों से भरा एक संदूक ले करके गुजरा।

Ganesh Aarti Bhajan - Ganesh Aarti Bhajan
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP