Haanuman Bhajan
Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp ChannelDownload APP Now - Download APP NowHanuman Chalisa - Hanuman ChalisaRam Bhajan - Ram Bhajan

सुलझन के लिये सद्‌गुरु की बुद्धि से चलो - प्रेरक कहानी (Sulajhan Ke Liye Sadguru Ki Buddhi Se Chalo)


Add To Favorites Change Font Size
एक बार एक महात्मा जी के दरबार मे एक राहगीर आया और उसने पुछा की हॆ महात्मन सद्‌गुरु की आज्ञा का पालन कैसे करना चाहिये?
महात्मा जी ने कहा की बहुत समय पहले की बात है की दो राज्य बिल्कुल पास पास मे थे एक राज्य बहुत बड़ा और एक राज्य छोटा था। बड़े राज्य के पास अच्छीखासी सेना थी और छोटे राज्य के पास ठीक ठाक सेना थी।

बड़े राज्य के राजा विजय प्रताप के मन मे पाप आया की क्यों न इस छोटे राज्य को अपने राज्य मे शामिल कर लिया जायें और उसने छोटे राज्य पर आक्रमण करने की तैयारी शुरू कर दी इधर छोटे राज्य के राजा धर्मराज अपने गुरुवर के पास गये।

और उधर विजयप्रताप को उनके गुरू ने समझाया की बेटा युध्द से पहले एक बार अपना दूत वहाँ भेजकर धर्मराज जी को समझा दो की वो आत्मसमर्पण कर दे तो बड़ी जनहानी रुक जायेगी और बिना युध्द के आपका काम हो जायेगा और एक बात का ध्यान रखना की वहाँ उसे भेजना जो आपके लिये सबसे अहम हो और वहाँ की पलपल की जानकारी आपको दे सके।

राजा ने सोचा मेरे लिये सबसे अहम तो मैं ही हूँ, और विजयप्रताप स्वयं भेश बदलकर गये। राजा धर्मराज और राजा विजयप्रताप एक ऊँची पहाडी पर माँ काली के मन्दिर मे मिले राजा विजयप्रताप ने अपना प्रस्ताव रखा तो राजा धर्मराज ने कहा हॆ देव पहले आप मेरी एक बात सुनिये फिर आप कहोगे तो मैं आपका प्रस्ताव मान लूँगा और राजा धर्मराज जी ने ताली बजाई एक सैनिक आया धर्मराज जी ने कहा जाओ उस पहाडी से नीचे कुद जाओ सैनिक भागकर गया और पहाडी से नीचे जा कुदा फिर धर्मराज ने ताली बजाई एक सैनिक आया और राजा ने वही कहा और सैनिक पहाडी से नीचे जा कुदा हॆ वत्स इस तरह धर्मराज जी ने तीन बार ताली बजाई सैनिक आये और इस तरह सैनिक बिना कुछ कहे पहाडी से जा कुदे।

विजयप्रताप ने कहा अरे ये कैसा पागलपन तो धर्मराज जी ने कहा हॆ मित्र जब तक ऐसे स्वामी भक्त योद्धा हमारे पास है तब तक हम कभी हार स्वीकार नही कर सकते और राजा विजयप्रताप तत्काल उठे अपने राज्य पहुँचे और उन्होंने भी वैसे ही किया पर कोई भी पहाडी से न कुदा सब तर्क-कुतर्क करने लगे फिर राजा तत्काल धर्मराज जी के पास पहुँचे और उन्होंने धर्मराज जी के आगे अपना मस्तक झुका दिया।

राहगीर: ऐसे स्वामी-भक्त सैनिक बड़े ही आदरणीय और दुर्लभ है देव।

महात्मा: हाँ वत्स यही तो मैं आपसे कह रहा हूँ की जब सद्‌गुरु कुछ कहे तो बिना कुछ बोले उसकी पालना कर लेना बड़े लाभ मे रहोगे। महात्मा जी ने आगे कहा की ये तीन सैनिक और कोई नही है ये तीन तन, मन और धन जब भी सद्‌गुरु कुछ कहे तो रणभूमि मे तन मन धन से कुद पड़ना और हॆ वत्स ये कभी न भुलना की सद्‌गुरु के समान कोई हितेषी नही है। और सद्‌गुरु और सच्चे सन्त से तर्क वितर्क कभी मत करना क्योंकि जो तर्क वितर्क मे उलझते है वो फिर उलझते ही चले जाते है और जो नही करते है वो सुलझ जाते है।

उलझन के लिये अपनी बुद्धि लगाओ और सुलझन के लिये सद्‌गुरु की बुद्धि से चलो अर्थात जो भी सद्‌गुरु कहे उसे तत्काल मान लो। और सद्‌गुरु वही है जो तुम्हारा तार हरि से जोड़कर हरि को आगे करके स्वयं पिछे हट जायें ऐसे सद्‌गुरु का आदेश परमधर्म है।

गुरु स्तुति | गुरु पादुका स्तोत्रम् | श्री गुरु अष्टकम | गुरु मेरी पूजा, गुरु गोबिंद, गुरु मेरा पारब्रह्म | गुरु भजन
यह भी जानें

Prerak-kahani Guru Prerak-kahaniGurudev Prerak-kahaniGuru Purnima Prerak-kahaniVyasa Purnima Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न भाइयों का प्यार

राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न चारों भाइयों के बचपन का एक प्रसंग है! जब ये लोग खेलते थे तो लक्ष्मण राम की तरफ उनके पीछे होता था..

हे कन्हैया! क्या बिगाड़ा था मैंने तुम्हारा - प्रेरक कहानी

एक औरत रोटी बनाते बनाते ॐ भगवते वासूदेवाय नम: का जाप कर रही थी, अलग से पूजा का समय कहाँ निकाल पाती थी बेचारी, तो बस काम करते करते ही..

राधा रानी भक्त गुलाब सखी - सत्य कथा

श्री बरसाने में प्रेम सरोवर के मार्ग पर एक समाधी बनी हुई है। जिसे हर कोई गुलाब सखी (Gulab Sakhi) के चबूतरे के नाम से जानते है। एक भक्त का नाम गुलाब खान(Gulab Khan) था।

बुराई का अंत हर हाल में होता है - प्रेरक कहानी

एक सांप को एक बाज़ आसमान पे ले कर उड राहा था। अचानक पंजे से सांप छूट गया और कुवें मे गिर गया बाज़ ने बहुत कोशिश की अखिर थक हार कर चला गया।

आठवी पीढ़ी की चिन्ता - प्रेरक कहानी

आटा आधा किलो | सात पीढ़ी की चिंता सब करते हैं.. आठवी पीढ़ी की कौन करता है - एक दिन एक सेठ जी को अपनी सम्पत्ति के मूल्य निर्धारण की इच्छा हुई। लेखाधिकारी को तुरन्त बुलवाया गया।

प्रणाम का महत्व - प्रेरक कहानी

महाभारत का युद्ध चल रहा था, एक दिन दुर्योधन के व्यंग्य से आहत होकर भीष्म पितामह घोषणा कर देते हैं कि: मैं कल पांडवों का वध कर दूँगा..

भगवन को आपकी एक सुई की भी चिंता है - प्रेरक कहानी

एक गांव में कृष्णा बाई नाम की बुढ़िया रहती थी वह भगवान श्रीकृष्ण की परमभक्त थी। वह एक झोपड़ी में रहती थी।

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
×
Bhakti Bharat APP