Shri Krishna Bhajan
गूगल पर भक्ति भारत को अपना प्रीफ़र्ड सोर्स बनाएँ

समर्पित भक्त का वास वैकुन्ठ में - प्रेरक कहानी (Samarpit Bhakt Ka Vas Vaikunth Mein)


समर्पित भक्त का वास वैकुन्ठ में - प्रेरक कहानी
Add To Favorites Change Font Size
एक ब्राह्मण था तथा महान भक्त था, वह मंदिर की पूजा में बहुत शानदार सेवा पेश करना चाहता था, लेकिन उसके पास धन नहीं था। एक दिन की बात है वह एक भागवत पाठ में बैठा हुआ था और उसने सुना कि नारायण मन में भी पूजे जा सकते हैं।
उसने इस अवसर का लाभ उठाया क्योंकि वह एक लंबे समय से सोच रहा था कि कैसे बहुत शान से नारायण की पूजा करूं, लेकिन उसके पास धन नहीं था।

जब वह यह समझ गया, कि मन के भीतर नारायण की पूजा कर सकते हैं। एक दिन वह गोदावरी नदी में स्नान करने के बाद एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ था।

अपने मन के भीतर वह बहुत खूबसूरत सिंहासन का निर्माण कर रहा था, गहनों के साथ लदी और सिंहासन पर भगवान की मूर्ति को रखते हुए, वह भगवान का गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, कावेरी नदी के जल के साथ अभिषेक कर रहा था।

फिर बहुत ही उत्तम तरह से भगवान का श्रृंगार कर और फूल, माला के साथ पूजा करते हुए, वह मीठे चावल बहुत अच्छी तरह से भोजन के रूप मे पका रहा था। वह परखना चाहता था किभोजन भोग के लिए कहीं गरम तो नहीं हैं। तो एसा जानने के लिए उसने भोजन में अपनी उंगली डाली तो उसकी उँगली जल गई।

तब उसका ध्यान टूटा क्योंकि वहाँ कुछ भी नहीं था। केवल अपने मन के भीतर वह सब कुछ कर रहा था। लेकिन उसने अपनी उंगली जली हुइ देखी। तो वह चकित रह गया।

इस तरह, वैकुन्ठ से नारायण, मुस्कुरा रहे थे।
देवी लक्ष्मीजी ने पूछा: आप क्यों मुस्कुरा रहे हैं ?

भगवान बोले: मेरा एक भक्त अतिप्रभावी मानस पूजन कर रहा है। मेरे अन्य धनिक भक्त सब उच्च साधनो एवं सामग्रियों से मेरी अर्चना करते हैं, परन्तु उनका मन भटकता ही रहता है। इस समर्पित भक्त का वास वैकुन्ठ मे होना चाहिए अतः मेरे दूतों को तुरंत उसे वैकुन्ठ लाने के लिए भेजो।

भक्ति-योग इतना अच्छा है कि भले ही आपके पास भगवान की भव्य पूजा के लिए साधन न हो, परंतु आप मन के भीतर ये सब साधन जुटा सकते हो, और यह सब इस भक्त ने संभव करके भी दिखा दिया है।
यह भी जानें

Prerak-kahani Karm Prerak-kahaniVillage Prerak-kahaniGaon Prerak-kahaniLakshmi Prerak-kahaniShri Hari Prerak-kahaniLakshmi Narayan Prerak-kahaniShri Vishnu Prerak-kahaniVaikunth Prerak-kahaniBhavya Pooja Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

नारद मुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे

एक बार की बात है, वीणा बजाते हुए नारद मुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे। नारायण नारायण !! नारदजी ने देखा कि द्वार पर हनुमान जी पहरा दे रहे है। हनुमान जी ने पूछा: नारद मुनि! कहाँ जा रहे हो?

तुलसीदास जी द्वारा कौशल्यानंदन भगवान् स्थापित - सत्य कथा

कौशल्यानंदन भगवान् श्री राम का विग्रह स्थापित: कुछ लोग दक्षिण देश से भगवान् श्रीराम की मूर्ति लेकर स्थापना करने के लिये श्रीअवध जा रहे थे। यमुना-तट पर उन्होंने विश्राम किया।

बस! अपने मां बाप की सेवा करो - प्रेरक कहानी

एक छोटा सा बोर्ड रेहड़ी की छत से लटक रहा था, उस पर मोटे मारकर से लिखा हुआ था...
घर मे कोई नही है, मेरी बूढ़ी माँ बीमार है, मुझे थोड़ी थोड़ी देर में उन्हें खाना, दवा और टायलट कराने के लिए घर जाना पड़ता है, अगर आपको जल्दी है तो अपनी मर्ज़ी से फल तौल ले...

कहीं बारिश हो गयी तो - प्रेरक कहानी

कहीं बारिश हो गयी तो! बारिश की एक बूँद तक नहीं गिरी थी। सभी बड़े परेशान थे। हरिया भी अपने बीवी-बच्चों के साथ जैसे-तैसे समय काट रहा था। ईश्वर में विश्वास रखें

भक्ति का प्रथम मार्ग है, सरलता - प्रेरक कहानी

प्रभु बोले भक्त की इच्छा है पूरी तो करनी पड़ेगी। चलो लग जाओ काम से। लक्ष्मण जी ने लकड़ी उठाई, माता सीता आटा सानने लगीं। आज एकादशी है...

एक दिन का पुण्य ही क्यूँ? - प्रेरक कहानी

तुम्हारे बाप के नौकर बैठे हैं क्या हम यहां, पहले पैसे, अब पानी, थोड़ी देर में रोटी मांगेगा, चल भाग यहाँ से।

बुढ़िया माई को मुक्ति दी - तुलसी माता की कहानी

कार्तिक महीने में एक बुढ़िया माई तुलसीजी को सींचती और कहती कि: हे तुलसी माता! सत की दाता मैं तेरा बिडला सीचती हूँ..

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Bhakti Bharat APP