रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा का वार्षिक रथ उत्सव है। वे तीन अलग-अलग रथों पर यात्रा करते हैं और लाखों लोग रथ खींचने के लिए इकट्ठा होते हैं।
❀ हर साल नए रथ बनाए जाते हैं और निर्माण
अक्षय तृतीया से शुरू होता है। रथ बनाने में 200 कारीगरों को 2 महीने लगते हैं।
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रथ यात्रा में रथों का डिज़ाइन और आयाम कभी नहीं बदलते। रथ बनाने के लिए 100 से ज़्यादा बढ़ई 1000 से ज़्यादा लकड़ी के लट्ठों पर काम करते हैं।
❀ रथों के लिए छतरियाँ 1200 मीटर कपड़े से बनी होती हैं। छतरियाँ बनाने के लिए 15 दर्जी की टीम काम करती है।
❀ रथ खींचने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रस्सियाँ नारियल के रेशे से बनी होती हैं और इनका व्यास 8 इंच मोटा होता है।
❀ शास्त्र कहते हैं,
रथे च वामनं दृष्ट्वा पुनर जन्म न विद्यते - जो रथ पर जगन्नाथ देवताओं के दर्शन करता है, उसका कोई पुनर्जन्म नहीं होता है।
भगवान जगन्नाथ के अनसर अनुष्ठान
नंदिघोष - भगवान जगन्नाथ का रथ
❀ पहियों की संख्या - 16
❀ लकड़ी के टुकड़ों की कुल संख्या - 832
❀ ऊंचाई - 13.5 मी.
❀ कपड़े लपेटने का रंग - लाल, पीला
❀ द्वारा संरक्षित - गरुड़
❀ सारथियों के नाम - दारुका
❀ ध्वज - त्रैलोक्यमोहिनी
❀ घोड़े - शंख, बलाहक, श्वेत, हरिदाश्व
❀ रस्सियाँ - शंखचूड़
❀ इष्टदेव नौ देवता - वराह, गोवर्धन, कृष्ण, गोपी - कृष्ण, राम, नारायण, त्रिविक्रम, हनुमान और रुद्र
तालध्वज - भगवान बलभद्र का रथ
❀ पहियों की संख्या - 14
❀ लकड़ी के टुकड़ों की कुल संख्या - 763
❀ ऊंचाई - 13.2 मी.
❀ कपड़ा लपेटने का रंग - लाल, हरा
❀ संरक्षक - वासुदेव
❀ सारथियों के नाम - मातलि
❀ झंडा -उन्नानी
❀ घोड़े - तिबारा, घोरा, दीर्घाश्रम, स्वर्णनावा
❀ रस्सियाँ - बासुकी
❀ इष्टदेव नौ देवता - वराह, गोवर्धन, कृष्ण, गोपी - कृष्ण, राम, नारायण, त्रिविक्रम, हनुमान और रुद्र
दर्पदलन (या पद्मध्वज) - देवी सुभद्रा का रथ
❀ पहियों की संख्या - 12
❀ लकड़ी के टुकड़ों की कुल संख्या - 593
❀ ऊंचाई - 12.9 मी.
❀ कपड़ा लपेटने का रंग - लाल, काला
❀ संरक्षित - जयदुर्गा
❀ सारथियों के नाम - अर्जुन
❀ ध्वज - नादंबिका
❀ घोड़े - रोचिका, मोचिका, जीता, अपराजिता
❀ रस्सियाँ - स्वर्णचूड़ा
❀ इष्टदेव नौ देवता - चंडी, चामुंडा, उग्रतारा, वनदुर्गा, शुलिदुर्गा, वाराही, श्यामा काली, मंगला और विमला