विपरीत परिस्थिति में कैसा व्यवहार करे? - प्रेरक कहानी (Viparit Paristhiti Mein Kaisa Vyavahar Karen)


एक साधू अपने शिष्य के साथ नदी में स्नान कर रहे थे। तभी एक बिच्छू जल की धारा में बहता हुआ उधर आया और साधू ने उसे पानी से निकालने के लिए अपने हाथ पर लेने की कोशिश की। बिच्छू ने साधू के हाथ पर तेज डंक का प्रहार किया और साधू के हाथ से छूट कर दूर जा कर गिरा.
तभी साधू ने दोबारा उसे हाथ में लेकर बचने की कोशिश की पर बिच्छू ने एक बार फिर से तेज डंक का प्रहार किया और साधू के हाथ से छूट कर दूर जा कर गिरा। साधू ने उसे फिर बचने के लिए हाथ बढाया और
बिच्छू ने फिर से डंक मारा और यह क्रम कई बार चला और अंततः साधू ने बिच्छू को किनारे पर पहुंचा दिया। पर इस क्रम में साधू के हाथ में कम से कम ६-७ डंक लग चुके थे।

एक शिष्य जो ये सारा उपक्रम देख रहा था, बोला: महाराज जब ये बिच्छू बार बार आपको डंक मार रहा था तो फिर आपने उसे इतने डंक खाकर क्यों पानी से बाहर निकाला?

साधू बोले: बिच्छू का स्वभाव ही डंक मारने का होता है और वो अपने स्वभाव को नहीं छोड़ सकता।

शिष्य बोला: तो फिर आप तो उसको बचाना छोड़ सकते थे।

साधू बोले: जब बिच्छू जैसे प्राणी ने अपना स्वभाव नहीं छोड़ा तो फिर मैं क्यों साधू होकर अपना स्वभाव त्याग देता और बिच्छू को ना बचाता?।

कई बार हम सबके साथ भी कुछ ऐसा होता है बहुत से विपरीत स्वभाव के व्यक्तियों से हमारा सामना हो जाता है, उस परिस्थिति में वह व्यक्ति हमारे साथ कैसा भी व्यवहार करे, परन्तु हम उसके साथ वह व्यवहार ना करें जो एक साधू को नहिं करना चाहिए साधू केवल वेष धारण नहिं साधू तो भाव है।
Viparit Paristhiti Mein Kaisa Vyavahar Karen - Read in English
Once upon a time there was a Sadhu doing something near a river. Suddenly he saw there that a Bichu
अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

भक्त के अधीन भगवान - सदना कसाई की कहानी

एक कसाई था सदना। वह बहुत ईमानदार था, वो भगवान के नाम कीर्तन में मस्त रहता था। यहां तक की मांस को काटते-बेचते हुए भी वह भगवान नाम गुनगुनाता रहता था।

भगवान की लाठी तो हमेशा तैयार है - प्रेरक कहानी

एक बुजुर्ग दरिया के किनारे पर जा रहे थे। जहरीले बिच्छु ने दरिया के अन्दर छलांग लगाई..

तुलसीदास जी द्वारा विप्रचंद ब्राह्मण पर कृपा - सत्य कथा

एक बार एक विप्रचंद नामक ब्राह्मण से हत्या हो गयी और उस हत्या के प्रायश्चित के लिये वह अनेक तीर्थों में घूमता हुआ काशी आया।

नारद मुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे

एक बार की बात है, वीणा बजाते हुए नारद मुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे। नारायण नारायण !! नारदजी ने देखा कि द्वार पर हनुमान जी पहरा दे रहे है। हनुमान जी ने पूछा: नारद मुनि! कहाँ जा रहे हो?

सच्चे गुरु के बिना बंधन नहीं छूटता - प्रेरक कहानी

एक पंडित रोज रानी के पास कथा करता था। कथा के अंत में सबको कहता कि राम कहे तो बंधन टूटे। तभी पिंजरे में बंद तोता बोलता, यूं मत कहो रे पंडित झूठे।