हे गणपति गजानन,
मेरे द्वार तुम पधारो,
बिगड़ी मेरी बना के,
मेरा भाग्य तुम सवारों,
हे गणपति गजानंद,
मेरे द्वार तुम पधारो ॥
शुभ लाभ के हो दाता,
तुम भाग्य के विधाता,
मर्जी बिना तुम्हारे,
धन धान्य कुछ ना आता,
नैया फसी भवर में,
इसे पार तुम उतारो,
बिगड़ी मेरी बना के,
मेरा भाग्य तुम सवारों,
हे गणपति गजानंद,
मेरे द्वार तुम पधारो ॥
निर्बल को देते काया,
निर्धन पे करते छाया,
देवों में अग्रणी तुम,
जग तुझमे ही समाया,
दे ज्ञान का तू दर्पण,
मुझको भी तो उबारो,
बिगड़ी मेरी बना के,
मेरा भाग्य तुम सवारों,
हे गणपति गजानंद,
मेरे द्वार तुम पधारो ॥
जानू ना पाठ जप तप,
कैसे तुझे मनाऊं,
तेरी महिमा गा के भगवन,
तुझको तो मैं रिझाऊं,
रिद्धि सिद्धि संग विनायक,
मेरी प्रार्थना स्वीकारो,
बिगड़ी मेरी बना के,
मेरा भाग्य तुम सवारों,
हे गणपति गजानंद,
मेरे द्वार तुम पधारो ॥
हे गणपति गजानन,
मेरे द्वार तुम पधारो,
बिगड़ी मेरी बना के,
मेरा भाग्य तुम सवारों,
हे गणपति गजानंद,
मेरे द्वार तुम पधारो ॥
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